मित्रों! कल मैंने एक पोस्ट लगाई थी ‘‘बड़ा पुत्र ही बेईमानी अधिक करता है।’’ मैं जानता हूँ कि इससे बहुत से लोगों को बहुत कष्ट हुआ होगा। मैं भी अपने माता-पिता की ज्येष्ठ सन्तान हूँ, परन्तु मेरा कोई सगा भाई नही है। कल मैंने केवल तीन उदाहरण दिये थे, किन्तु अपनी धारणा नही बनाई थी कि परिवार का बड़ा भाई बेईमान होता है। दुनिया में आज भी बहुत से ऐसे भाई हैं, जिन्होने अपने छोटे भाइयों के लिए बहुत कुछ त्याग किया है। एक मेरा मौसेरा भाई है जो पशु चिकित्साधिकारी के पद पर कार्यरत है। ये दो भाई हैं। गाँव में उनकी पैतृक कृषि भूमि थी। जिसे बेच दिया गया । लाखों रुपये की इस रकम को बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को दे दिया और कहा कि तेरा कारोबार कमजोर है। इसे तू ही रख ले। दूसरी घटना शेरकोट कस्बे की है। यहाँ 6 भाई थे। जिनमें से पाँच अच्छे-अच्छे सरकारी पदों पर नियुक्त थे। सबसे छोटा भाई कम पढ़-लिखा था। वह एक ब्रुश बनाने की फैक्ट्री में काम करता था। समय निकाल कर किसी आयोजन में सब भाई इकट्ठे हुए और सबने सलाह करके अपने-अपने हिस्सों की जायदाद उसके नाम कर दी। कहने का तात्पर्य यह है कि सभी बड़े भाई लोभी-लालची और बे-ईमान नही होते तथा न ही सभी छोटे भाई ईमानदार होते हैं। दुनिया में सभी तरह के लोग हैं। लेकिन इतनी बात तो तय है कि ईमानदार कम हैं और बे-ईमान अधिक हैं। |
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Thursday, 18 June 2009
‘‘बड़ा पुत्र ही बेईमानी अधिक करता है।’’ अन्तिम कड़ी- (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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मैं भी अपने भाई बहनों में बडा ही हूं, पर फिरभी आपकी बात का बुरा नहीं मानूगा।
ReplyDeleteमैं तो मजाक कर रहा था। वैसे न जाने क्यों कहानियों में बडे भाइयों को खूब बदनाम किया गया है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
शास्त्री जी,आप की पि्छली पोस्ट भी काफी हद तक सही थी लेकिन उस से किसी को कष्ट हुआ होगा या बुरा लगा होगा मै नही समझता। हम जैसे अपने आस पास घटता देखते है वैसे ही विचार व्यक्त कर देते हैं। ब्लोगर इस बात को समझता है।आप किसी बात को अन्यथा ना लें।
ReplyDeleteमैं बात को तोलने की कोशिश कर रहा हूँ... मगर कुछ कह नहीं सकता शायद इतना समझदार नहीं हूँ।
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गुलाबी कोंपलें
आदरणीय शास्त्री जी में अपने पूरे कुनबे में सबसे बड़ा हू घर की तो बात अलग हैं पर आप ने जो लिखा हैं में उससे तनिक भी नाराज़ नही हू................कुछ बड़े भाइयो ने अपने छोटो को सम्मान नही दिया ये सही हैं में आप से सहमत हू
ReplyDeleteaapne har baat ek dam sahi likhi hai.
ReplyDeleteye duniya hai yahan har tarah ke log hain jaisa meine pahle bhi kaha.
aapne jo likha chahe pahle ya chahe ab.......dono hi baatein sahi hain.
बुरे या अच्छे इन्सान
ReplyDeleteहर तबक्के मेँ देखे हैँ -
राम जी भी सबसे बडे भाई थे -
- लावण्या
ab ye to nahin kahungi ki aap galat hain ya sahi lekin haan samaaj me jab bhautikta haavi hoti hai tab jise mauka milta hai vah baimaan ho jata hai fir chahe vah chota ho ya bada bhaai ya fir majhala hi kyon na ho .roti ke liye sabhi "bandar " se ho jate hain .
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपकी टिपण्णी पढी, उसके लिए सर्वप्रथम आपका आभार व्यक्त करता हूँ ! लेकिन सच कहू तो न जाने क्यों आपकी टिपण्णी पढ़कर लगा कि आप कही अंतर्मन से काफी नाराज है मुझसे ! शास्त्री जी, आप उम्र, ज्ञान और अनुभव के आधार पर मुझसे बहुत सीनियर हो! या यूँ कहू कि मेरे पिता सामान हो! और आपकी हर एक छोटी-छोटी बात को मैं यहाँ पर बड़े ही गौर से पढता हूँ ! मैंने आपकी यह पोस्ट भी उसी बक्त पढ़ ली थी जब आपने इसे पोस्ट किया था ! शाश्त्रीजी, यहाँ पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर इंसान को है, और उसको जो उचित लगे वह लिखता है लेकिन आप मेरी इस बात से सहमत होंगे कि हम जिस इंसान से बहुत अधिक की उम्मीद लगाए रहते है अगर वह आदमी यकायक कभी ऐसा निष्कर्ष दे डाले कि जो बहुजन को स्वीकार्य न हो तो प्रतिक्रया स्वाभाविक है ! आप अगर इन दोनों पोस्टो की सारी प्रतिक्रियावो को गौर से पढ़े तो आप पायेंगे कि अधिकाँश लोगो ने आपके इस तथ्य से असहमति ही अधिक व्यक्त की है क्योंकि बात ही कुछ ऐसी है जिसे शायद एपी भी ठीक से नहीं समझ सके ! इसी लिए आपने दूसरी पोस्ट में भी आखिर में अपनी बात कुछ इस तरह कह डाली:
"लेकिन इतनी बात तो तय है कि ईमानदार कम हैं और बे-ईमान अधिक हैं।"
लेकिन अगर आपको मेरी बात का कहीं भी बुरा लगा हो तो मैं उसके लिए आपसे क्षमा मांगता हूँ !
thik hai.
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