भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड में सत्ता में रहते हुए भी लोकसभा की पाँचों सीटें क्यों हार गयी?
इसी गुणा-भाग में पार्टी के वरिष्ठ नेता लगे हुए हैं, परन्तु इसके असली कारण पार्टी दफ्तर में बैठ कर नही अपितु जनता के बीच जाकर तलाश करने होंगे।
मेरा भा0ज0पा0 से कुछ लेना देना नही है तथा नही मैं इस पार्टी का सदस्य हूँ। लेकिन एक नागरिक होने के नाते हार के कारणों की समीक्षा तो कर ही सकता हूँ।
मेरी पहचान के एक व्यक्ति हैं, जो भा0ज0पा0 कोटे से आयोग के नये-नये मेम्बर बने हैं। उन्होंने चुनाव से 5-6 दिन पहले एक बोलेरो जीप हायर की और 8-9 निठल्लों को बैठा कर प्रचार के चुनाव यात्रा पर लिए निकल पड़े। उनके पास एक बहुत बढ़िया कैमरा भी था, जिसमें वो अपनी चुनाव प्रचार यात्रा की फोटो खिंचवाते रहे।
ये सज्जन केवल वहाँ-वहाँ ही गये जहाँ कि प्रत्याशी जा रहा था। अर्थात् ये प्रत्याशी के साथ रहे और उसके साथ ही फोटों का कलेक्शन करते रहे। जब इनका मकसद पूरा हो गया तो संयोग से ये मेरे शहर में भी आये।
आयोग का पूर्व सदस्य होने के नाते ये सज्जन अपनी निठल्ली फौज को लेकर दिन में 11 बजे मेरे पास पहुँचे। सबने भोजन किया, दोपहर मे आराम किया और शाम को 5 बजे वापिस लौट गये।
जब मैंने इन सज्जन से चुनाव के बारे में चर्चा की तो वो बोले कि हमें यहाँ जानता ही कौन है? हम तो यहाँ से साढ़े तीन सौ कि.मी. दूर के रहने वाले हैं।
इन्होंने आगे कहा कि वैसे भी हमारा प्रत्याशी तो जीत ही रहा है। बस हमें तो कैण्डीडेट को अपनी शक्ल दिखानी थी। इसलिए दो-चार सभाओं में उनके साथ रहे। उनकी लोकप्रियता की सूची में अपना नाम आ गया और हो गया चुनाव प्रचार।
अब इनसे कोई पूछे कि आपने अपने क्षेत्र में जहाँ आपका प्रभाव था चुनाव प्रचार क्यों नही किया? तो इसका कोई उत्तर इनके पास नही था।
सच पूछा जाये तो बड़बोलापन भा0ज0पा0 को ले डूबा। इसके साथ ही सरकार में बैठे नेताओं ने भी पार्टी के साथ गद्दारी करने में कोई कसर नही छोड़ी और भा0ज0पा0 के ताबूत में कील ठोकते चले गये।
यही थे भा0ज0पा0 की हार के कारण।
मयंक जी ये केवल भाजपा के कार्यकर्तायों का ही नहीं आज कल सभी कार्यकर्ता यही करते हैं जो अच्छा कर्यकर्ता है उसकी नेताओं को भनक भी नहीं लगने देते आभार्
ReplyDeletekamobesh har party ka yahi hal hai.
ReplyDeletejo jeeta wo sikandar wala hal hai.