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Tuesday 23 February 2010
Friday 19 February 2010
“दो सौ रुपये दीजिए! सम्मान लीजिए!!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
“तस्कर साहित्यकार”
कुछ दिन पूर्व मेरे पास एक जुगाड़ू कवि आये। बोले- “मान्यवर! अपना एक फोटो दे दीजिए!” मैंने पूछा- “क्या करोगे?” कहने लगे- “आपको बाल साहित्य के पुरस्कार से सम्मानित करना है! मैं एक कार्यक्रम करा रहा हूँ। उसमें केवल उन्हीं को सम्मानित किया जायेगा जो दो सौ रुपये की रसीद कटावायेंगे।” मैंने कहा- “कार्यक्रम की रूपरेखा बताइए!” उन्होंने बताना शुरू किया-“7-8 महीने पूर्व धनानन्द प्रकाश की पत्नी की डैथ हुई थी, वो उनकी स्मृति में पुरस्कारों का व्यय वहन कर रहे हैं। एक उद्योगपति ने खाने-रहने और वेन्यू की व्यवस्था कर दी है! इसके अलावा जनरल चन्दा-उगाही भी करेंगे। ” मैंने कहा- “मित्रवर! दान के नाम पर तो हजार-पाँच सौ रुपये दे सकता हूँ। लेकिन पुरस्कार खरीदने के लिए दो सौ रुपये मेरे पास नही हैं।” अच्छा एक बात बताइए- “पुरस्कार और रहने खाने की व्यवस्था तो मुफ्त में हो रही है तो दान-चन्दा और पुरस्कार के एवज में 200 रुपये क्यों माँग रहे हो?” अब वो बुरा सा मुँह बना कर बोले- “अरे यार! क्या मैं किसी के बाप का नौकर हूँ? आखिर मुझे भी तो पारिश्रमिक चाहिए!” जानना चाहते हो इन साहित्यकारों को क्या कहते हैं? इनके लिए तो एक ही नाम है- “तस्कर साहित्यकार!” |
Friday 12 February 2010
“महर्षि दयानन्द सरस्वती को शत्-शत् नमन!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
आज स्वामी दयानन्द बोधरात्रि है! शिवरात्रि को ही बालक मूलशंकर को बोध हुआ था! परम शैव भक्त कर्षन जी तिवारी के घर टंकारा गुजरात में बालक मूल शंकर का जन्म हुआ था! शिव भक्त होने के कारण इस बालक ने भी शिवरात्रि का व्रत रखा था! रात्रि में शिव मन्दिर में बालक मूलशंकर आखों पर पानी के छींटे डाल-डाल कर जगता रहा कि आज सच्चे शिव के साक्षात् दर्शन हो जायेंगे! आधी रात के पश्चात जब सब भक्त जन सो रहे थे तो कुछ चूहे शिव की पिण्डी पर चढ़कर प्रसाद खाने लगे और वहीं पर विष्टा भी करने लगे! यह देखकर मूलशंकर को बोध हुआ! उन्होंने कहा कि सच्चा शिव तो कोई और ही है! यह शिव जब अपनी रक्षा भी नही कर सकता तो जग का कल्याण कैसे करेगा? यह कह कर उन्होंने व्रत तोड़ दिया और सच्चे शिव की खोज में निकल पड़े! हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने कुरीतियों का खण्डन किया और सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार किया! वेदों का महाभाष्य किया तथा दुनिया को सत्य धर्म का मार्ग बताया! महर्षि दयानन्द सरस्वती को शत्-शत् नमन! |
Monday 8 February 2010
“समीर लाल का स्वर सुन लिया!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
“लाइव-संस्मरण”
“…… ….. की आवाज पतली है?”
Thursday 4 February 2010
"माँ तुम्हारी आरती में ही मेरा संसार है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
Monday 1 February 2010
कृपा करो बिजली महारानी! (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक)
कल अपराह्न 3 बजे से हमारे शहर की बत्ती गुल है!
आशा है कि आज दोपहर के पश्चात
कुछ वैकल्पिक व्यवस्था हो पायेगी!
तभी आप लोगों से सम्पर्क होगा!
यह सूचना पोस्ट लैपटॉप से बमुश्किल लगा पाया हूँ।
अब बिना बिजली के यह भी मजबूरी प्रकट कर रहा है।
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