आज ताऊ के देश की एक कथा सुनाने का मन है। इनके गाँव में एक किसान दम्पत्ति रहता था। परिवार में पति पत्नी और एक बिटिया थी। इनके घर में एक व्यक्ति मेहमान बन कर आया। एक दो दिन तो इन्होंने उसकी खूब खातिरदारी की परन्तु मेहमान था कि जाने का नाम ही नही ले रहा था। इन्होंने मेहमान को भगाने की एक युक्ति निकाली। जैसे ही अतिथि जंगल दिशा के लिए गया। ये तीनों लोग खेत की ओर निकल गये। इधर जब मेहमान जंगल दिशासे वापिस आया तो उसे घर में कोई दिखाई नही दिया। इसने थोड़ी देर तो इसने इन्तजार किया कि कोई वापिस आ जायेगा, परन्तु जब दोपहर तक भी कोई घर नही आया तो इसने कण्डों के हारे में कढ़ रहे दूध से खीर बनाई और उसे खा कर पेड़ के नीचे खाट बिछा कर उस पर सो गया। शाम को जब सब लोग घर वापिस आये तो मेहमान दिखाई नही दिया। ये लोग मन में प्रसन्न होकर गाने लगे- सबसे पहले किसान ने गाना गाया- ‘‘मैं बड़ा अजब हुशियार, तजुर्बेकार, बड़ा कड़के का। मैं खुर्पा-रस्सी ठाय गया तड़के का।।’’ फिर किसान की पत्नी झूम-झूम कर गाने लगी- ‘‘मैं बड़ी अजब हुशियार, तजुर्बेकार, बड़ा कड़के की। मैं लड़की लेकर साथ गयी तड़के की।।’’ तभी पेड़ के नीचे पड़ी खाट से आवाज आयी- मैं बड़ा अजब हुशियार, तजुर्बेकार, बड़ा कड़के का। थारी गुड़ से रगड़ी खीर पड़ा तड़के का।।’’ अब मैं ताऊ से पूछता हूँ कि ताऊ कोई ऐसी तरकीब तो बता दे कि ये मेहमान हमारा पीछा छोड़ कर चला जाये। |
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Tuesday, 23 June 2009
‘‘मेहमान’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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मयंक जी आपको बता दूँ कि ताउ के पास हर समस्या का सटीक हल है पोस्ट अच्छी लगी आभार्
ReplyDeleteaajkal mehman bhi akalmand ho gaye hain.........kya kiya jaye.
ReplyDeleteबहुत मजेदार .. इसी तरह की एक कहानी पहले पढ चुकी थी .. फिर भी यह अच्छी लगी।
ReplyDeleteमजेदार..देखो अब ताऊ की क्या सलाह आती है.
ReplyDeleteबहुत हंसी आई आपकी रचना को पढ़ कर... मन प्रशन्न हो गया....... मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है...
ReplyDeleteमेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है.
ReplyDeleteाआदरणीय शास्त्री जी,
ReplyDeleteकथा तो बहुत रोचक और मजेदार लगी।पढ़कर मजा आ गया।
पूनम