14 नवम्बर, 2011 को बालदिवस के अवसर परखटीमा पब्लिक स्कूल एशोसियेसन के द्वारा एक विशाल बाल मेले का आयोजन किया गया। जिसमें एशोसियेसन से जुड़े 53 विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा रंगा-रंग कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथियों के रूप में माननीय पुष्कर सिंह धामी उपाध्यक्ष-शहरी विकास एवं अनुश्रवण परिषद, (राज्य मन्त्री, उत्तराखण्ड सरकार) और खण्ड शिक्षा अधिकारी श्री डी.एस.राजपूत पधारे।
बालदिवस के अवसर पर 20 हजार लोगों की उपस्थिति में खटीमा पब्लिक स्कूल एशोसियेसन के अध्यक्ष डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” द्वारा रचित दो पुस्तकों "हँसता गाता बचपन" (बाल कविता संग्रह) और "धरा के रंग" (कविता संग्रह) का लोकार्पण किया गया। जिसका संचालन स्थानीय हेमवतीनन्दन बहुगुणा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धेश्वर सिंह ने किया। इस अवसर पर माननीय पुष्कर सिंह धामी उपाध्यक्ष-शहरी विकास एवं अनुश्रवण परिषद, (राज्य मन्त्री, उत्तराखण्ड सरकार) मा. राजू भण्डारी (प्रदेश उपाध्यक्ष-भा.ज.पा) मा. रंदीप सिंह पोखरिया (प्रदेश प्रभारी-हिंदू.जा.म.), मा. महेश चन्द्र जोशी (पूर्व प्रदेश सं.मन्त्री, कांग्रेस) मा. प्रकाश तिवारी (प्रदेश अध्यक्ष-किसान कांग्रेस) श्री डी.एस.राजपूत (खण्ड शिक्षा अधिकारी), डॉ. गंगाधर राय (हिन्दी प्रवक्ता-राजकीय इंटर कालेज, खटीमा), सरस पायस के सम्पादक श्री रावेंद्रकुमार रवि, पुस्तकों की प्रकाशक श्रीमती आशा शैली, लब्धप्रतिष्ठित वरिष्ठ कवि देवदत्त प्रसून, रूमानी शायर गुरू सहाय भटनागर बदनाम, कोषाध्यक्ष-मोहन चन्द्र मुरारी तथा एशोसियेसन के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर वरिष्ठ समाज सेवी एस सी उपाध्याय डॉ. शास्त्री को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। अपने सम्बोधन में एशोसियेसन के सचिव श्री नीरज कुमार ने कहा- "आज हमें खटीमा पब्लिक स्कूल एशोसियेसन के अध्यक्ष डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" को सम्मानित करते हुए बहुत गर्व और हर्ष का अनुभव हो रहा है।
डॉ. गंगाधर राय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा- “जनवरी 2011 में डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" की दो पुस्तकें “सुख का सूरज” और “नन्हे सुमन” प्रकाशित हुईं थी और इसके ठीक नौ माह के उपरान्त अक्टूबर, 2011 में दीपावली के पावन अवसर पर पुनः उनकी दो पुस्तकें "हँसता गाता बचपन" (बाल कविता संग्रह) और "धरा के रंग" (कविता संग्रह) प्रकाशित हुईं हैं। यह उनकी सृजन क्षमता का जीता जागता उदाहरण है।”
इस अवसर पर सरस पायस के सम्पादक श्री रावेंद्रकुमार रवि ने कहा कि मैं अक्सर मयंक जी के पास बैठता हूँ और उनकी रचनात्मक क्षमता देखकर हतप्रभ हो जाता हूँ। 62 वर्ष की आयु में भी वे बिल्कुल युवाओं की भाँति ब्लॉगिंग में संलग्न रहते हैं। उनके पास तो अभी इतना साहित्य है कि उनकी अभी एक दर्जन किताबें और प्रकाशित होने के बाद भी काफी रचनाएँ बाकी रह सकती हैं।
खण्ड शिक्षा अधिकारी श्री डी.एस.राजपूत ने अपने सम्बोधन में कहा कि शास्त्री जी से मेरा पहली बार परिचय हुआ है और में इनकी काव्यकला का कायल हो गया हूँ। बड़े पदों पर रहने के बाद भी डॉ. मयंक में आज भी सहजता है और वे बहुत ही आत्मीयता के छोटे बड़े हर तबके के लोगों से मिलते हैं।
डॉ. शास्त्री की पुस्तकों की प्रकाशक श्रीमती आशा शैली (आरती प्रकाशन, लालकुँआ, नैनीताल) ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" एक सरल, सभ्य और संस्कारवान लेखक हैं। मैं उनकी पुस्तकों को प्रकाशित करके बहुत ही गौरव का अनुभव कर रही हूँ!
हेमवतीनन्दन बहुगुणा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धेश्वर सिंह ने इस अवसर पर कहा कि बालदिवस, बालमेला और बालकों के बीच में बालकविताओं की पुस्तक "हँसता गाता बचपन" और "धरा के रंग" (कविताए-संग्रह) का लोकार्पण एक सुखद संयोग है।
मुख्यअतिथि के रूप में पधारे माननीय पुष्कर सिंह धामी उपाध्यक्ष-शहरी विकास एवं अनुश्रवण परिषद, (राज्य मन्त्री, उत्तराखण्ड सरकार) ने अपने सम्बोधन में कहा कि जनवरी में मेरे विवाह समारोह में भी डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" की दो पुस्तकों “सुख का सूरज” और “नन्हे सुमन” का विमोचन उत्तराखण्ड के तत्कालीन यशस्वी मुख्यमन्त्री मा. डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने किया था। यह मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे
डॉ.शास्त्री की पुस्तकों "हँसता गाता बचपन" और "धरा के रंग" (कविता-संग्रह) का लोकार्पण मेरे द्वारा किया जा रहा है। मैं कामना करता हूँ कि शास्त्री जी की पुस्तकें लगातार प्रकाशित होती रहें और खटीमा का नाम विश्व में रौशन होता रहे।
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मा. राजू भण्डारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि मैं अपने गुरुवर डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री की छत्रछाया में ही पला और बड़ा हुआ हूँ। मुझे यह देख कर बहुत प्रसन्नता हो रही है कि मेरे ही गाँव अमाऊँ के निवासी और गुरुदेव शास्त्री जी की पुस्तकों का आज बलदिवस के पावन पर्व पर विमोचन किया गया है। इस अवसर पर मैं अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त करता हूँ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने इस विमोचन समारोह में लोकार्पण की गई पुस्तकों "हँसता गाता बचपन" और "धरा के रंग" से कुछ कविताओं का वाचन भी किया एवं इस अवसर पर पधारे सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए बालदिवस की शुभकामनाएँ दीं।