मेरी रिश्ते की मौसी जी हैं। उनके चार पुत्र तथा चार पुत्रियाँ हैं।
मौसा जी के पास 40 बीघा खेती की जमीन थी और आठ बीघा का आम का बगीचा था। अपनी मृत्यु से पूर्व ही मौसा जी ने चारों पुत्रों को तथा मौसी जी अपने पास बैठाकर हिस्सा बाँट दिया था कि 8-8 बीघा जमीन सबकी है इसके अलावा 8 बीघे का बाग बोनस के रूप में मौसी जी को अलग से दिया था और बाकायदा अपनी वसीयत कर दी थी।
जब मौसा जी जीवित थे तो चारों पुत्रियों और दो पुत्रों की शादी कर चुके थे। इसके बाद वो गोलोकवासी हो गये। अपने बड़े पुत्र को सारी जिम्मेदारी सौंप गये थे।
छोटे दो पुत्र उस समय नाबालिग थे। अतः बड़े पुत्र के पास उनकी भी जमीन थी। मौसी जी भी उसके ही साथ साझे में रहतीं थीं। अतः उसके पास 32 बीघा जमीन थी और 8 बीघा का बाग भी था। जबकि बड़े मले पुत्र के पास मात्र 6 बीघा जमीन थी।
जैसे-तैसे मौसी जी तथा रिश्तेदारों ने क्वारे बचे उनके दोनों पुत्रों का भी विवाह करा दिया।
चारों भाइयों की शादी हो जाने के उपरान्त भी इसने जमीन उनको वापिस नही की अन्ततः मजबूर होकर आज वो फैक्टरियों में नौकरी कर रहे हैं। लोगो के समझाने-बुझाने पर उसने छोटे भाइयों को दस-दस हजार प्रतिवर्ष मुआवजा देना स्वीकार कर लिया है।
लेकिन आज भी वो 32 बीघा जमीन और 8 बीघा बाग पर काबिज है।
दूसरी घटना मेरे ही शहर की है। दो भाई थे। 22 बीघा जमीन दोनों के पास थी। कुछ समय बाद दोनों अलग-अलग हो गये। लेकिन छल-बल से बड़े भाई ने छोटे भाई की जमीन कम रेट पर खरीद ली।
आज छोटा भाई दर-दर का भिखारी है जबकि बड़ा भाई उस जमीन की प्लाटिंग करके बेच रहा है और वो इस समय करोड़पति बना बैठा है।
तीसरी घटना मेरे पास के गाँव की है। जहाँ बड़े भाई ने अपने छोटे भाइयों को सिंगिल कमरे का मकान बना कर दे दिया है और अपने आप एक बड़े भवन व भूमि का स्वामी बना हुआ है।
उपरोक्त घटनाओं को देख कर मैं यह कह रहा हूँ कि अक्सर बड़ा पुत्र ही बेईमान होता है।
मैंने भी ऐसी कई घटनाएं देखी हैं मगर फिर भी मैं बड़े भाई को हमेशा दोष नहीं दूंगा क्योंकि बच्चों के संस्कार में माता-पिता का भी बहुत बड़ा हाथ है. बेईमानी के माहौल वाले परिवारों में जिसकी चलती है वही बेईमान हो जाता है. बड़ा भाई अक्सर छोटों से बड़ा ही होता है(?) इसलिए ऐसी ज़्यादातर स्थिति में उसकी बेईमानी औरों से ज़्यादा प्रखर हो जाती है.
ReplyDeleteक्या शास्त्री जी, सिर्फ़ चार उदाहरण देकर बड़े भाई को बेईमान साबित कर रहे हैं आप। मैं ऐसे सैकड़ों उदाहरन दे सकता हूँ जिसमें बड़े भाई ने पिता के निधन के बाद छोटे भाईयों की परवरिश की और उनकी शादियाँ की, कई त्याग किये…। इस प्र्कार से सबको एक ही सोटे से हांकना ठीक नहीं है… आप इतने पढ़े लिखे होने का दावा करने वाले, उम्रदराज दिखने वाले सज्जन लगते हैं आपसे इस प्रकार की उथली-छिछली पोस्ट की उम्मीद न थी।
ReplyDeleteऐसे बहुत कम हैं आज जो मैं सबसे छोटा होने के कारण भोग रहा हु और बड़ी बात ये की अपने अधिकार मांगता हूं तो माँ-बाप मेरा रास्ता रोकते है
Deleteबेनामी भाई।
ReplyDeleteआपकी बात से मैं कदापि असहमत नही हूँ।
सत्यता है आपकी बात मे,
लेकिन जहाँ सभी छोटे भाई अच्छे नही हो सकते,
वहीं सभी बड़े भाई बुरे भी नही हो सकते।
मैंने तो केवल घटनाक्रम ही प्रकाशित किया है।
यदि कुछ लोगों की भावना इससे आहत हुई हों तो खेद प्रकट करता हूँ।
मेरी उम्र कुछ ज्यादा नहीं पर मैं वर्तमान में इस संघर्ष से जूझ रहा हु। मैं उन भाइयो की कल्पना करता हु जो अपने छोटो के लिए जिंदगी कुर्बान कर देते थे। कैसे रहे होंगे वो भाई आज की स्थिति को देखते हुए कल्पना मुश्किल हो रही है कि ऐसे देवता भाई भी इस युग म हुए और कुछ हैं भी । आजकल तो भाइयों के लिए कुछ करना तो दूर बल्कि उनका कुछ हिस्सा हड़पने की ही सोचते हैं।
Deleteमैं आज इसी दुःख से दुखी हूं और रात 12:41 am पर जागकर यही सोचते हुए ये पोस्ट पढ़ रहा हु की बड़े भाइयों की बेमानी से कैसे निपटा जाए। मैं
Me khud bhi pareshan hu
Deleteshastri ji
ReplyDeleteaapki baat bilkul sahi hai..........iska ek udaharan to mere husband hi hain......bade bhai ke julm ke shikar aur sirf bade bhai nhi balki mata pita bhi usmein shamil the.........ab kya kaha jaye ise?aaj sirf jiski lathi uski bhains wali kahavat charitarth hoti hai.
vaise is duniya mein har tarah ke log milte hain achche bhi aur bure bhi......phir chahe wo bade hon ya chote.
ye to aapne sirf ek udaharan diya hai......jo kafi had tak sahi hai..........kai baar sanskaar bhi kaam nhi aate.......kai baar aisa bhi hota hai ki raam ke ghar bhi ravan paida ho jate hain.......isliye ye kahna ki beimaani ke mahol wala hi beimaan hoga sahi nhi hai.......har insaan ka apna jameer hota hai aur apne hi karm..........han kabhi kabhi mahol jimmedar hota hai magar hamesha nhi.
aapne achcha lekh likha hai.
शास्त्री जी,
ReplyDeleteअगर मेरे पिताजी ने आपकी ये पोस्ट पढ़ ली तो आपकी खैर नहीं. क्योंकि मैं भी तो बड़ा पुत्र ही हूँ.
मुझमे उन्होंने इतने अच्छे अच्छे संस्कार डाले हैं कि ऐसी कोई बात नहीं पढ़ सकेंगे.
शास्त्री जी,आप ने वहीं लिखा जो आप के आस पास घटा है। लेकिन यह जरूरी नही होता कि बड़ा ही बेईमानी करता है। बेईमानी कोई भी कर सकता है अगर वह लालची है तो।
ReplyDeleteनीरज (मुसाफिर जाट) जी।
ReplyDeleteसंयोग से मैं भी परिवार में सबसे बड़ा हूँ,
परन्तु मेरा कोई सगा भाई नही है।
यदि मेरा कोई सगा भाई होता तो मैं
उसके साथ कभी कोई बे-ईमानी नही करता।
शास्त्री जी, आप को मै गलत नही कहता क्योकि आप ने जो देखा वोही लिखा...
ReplyDeleteहम दो भाई है, मै ओर मेरा छोटा भाई, मेने १४ साल की उम्र से ही मेहनत की, साथ मे पढाई भी की, फ़िर विदेश मै आ गया, यहां आ कर नोकरी की, अपना धधा शुरु किया, ओर आंखे मुंद कर पेसा घर वालो को भेजा, आज तक कभी हिसाब नही मांगा, मेरा छोटा भाई जो पढा नही, आज तक कोई काम नही किया, अपने नाम से दुकान खरीद ली, ओर मेने आज तक कभी उस से इन सब बातो के बारे नही पुछा...
अब बडा पुत्र केसे बेईमान हो गया ???
बेईमान वो होता है जहां मां बाप संसकार डालने मै कोई गलती कर बेठते है, या फ़िर बहु आ कर किसी एक के कान भरे ओर लडका ओरत का गुलाम हो, तो वहा दिल मे बेईमानी आती है, ओर उस समय चाहे बडा हो या छोटा.
बात छोटे बडे़ कि नहीं है... बड़ा भी बेइमान हो सकता है छो्टा भी... बडा़ बेइमानी हो जरुरी नहीं और छोटा शरिफ हो गारंटी नहीं..
ReplyDeletemaaf kijiye main aapki batt se sahmat nahin...
ReplyDeletejaroori nahin bada putra
hamesha hi beiman ho....
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteशास्त्री जी....
ReplyDeleteआपने ऐसी बात लिखी कैसे?
सिर्फ २-४ उदाहरणों से सारे बड़े भाइयों पर धब्बा????
कैसा न्याय है यह??
मैं खुद सबसे बड़ा हूँ और कभी ऐसा सोच भी नहीं सकता.
और मेरे पिता जी के अनुभव से ही बता दूँ (जो सबसे बड़े हैं उनकी पीढी में) की उन्होंने आज तक एक रत्ती भर बेईमानी नहीं की खासकर जमीन के मामले में, और उनके ही छोटे भाई दगा दिए बैठे हैं...
हुए न आप गलत???
imaandaari aur baemaani niyat sae hotee haen iska umr badaaii aur chhotaaii sae koi laena dena nahin hota
ReplyDeleteRachna
मैं भी बड़ा भाई हूँ और पढ़कर बहुत गुस्सा आया पर यहां पर तो पहले ही बहुत सारे लोग गुस्सा निकाल चुके हैं पर असल बात यह है कि बेईमानी तो कोई भी कर सकता है उसके लिये बड़ा भाई होने की जरुरत नही है।
ReplyDeletesriman ji ,
ReplyDeleteadhikansh ghro mein bada bhai kotvaal aur chota bhai chor ki bhomika mein rehte hai.yahi bhartit samaj ki avyavstha hai . samantvaad mein chote bhaiyo dvara vyavstha ka jara sa virodh karne par takhta ya jail hoti thi .
बड़ा भाई मतलबी होता है अपना काम निकालता है
ReplyDeleteबडा भाई बईमान होता है मेरे साथ भी किया है बेमानी
ReplyDeleteShashtriji pranam
ReplyDeleteMain apka aur bahot se logo ka comment padhkar mujhe likhana pada hum do bhai hai main chota hoon Mera bada bhai 8 varso se kaam dhanda yahi baimani karne ko bana liya hai o agar kahin kaam karega to 15k 20k 25k kamayega aur mahine mahine mehnat karna hoga par uski niyat kharab aur man mein lalach hogaya hai Baimani karke lakho aur karod jamalega aisi hai uski soch aur par aisa har bada bhai nahi karta par aksar bade bhai karte hai aur phir bhi praman chahiye to main dikha sakta hoon usne 8 salo mein kya kya kiya hai agar main pura likhne jaun to ek kitab ban jayega Khali ishwar bhagwan Shanidev se prathna karta hoon ki o nyaay kab karenge suna hai o nyaay ke devta hai.
मैंने अपने 20 साल के वकालत के अनुभव में यही पाया कि लगभग 95% घरेलू मुकदमों में बड़ा भाई ही बेईमानी करता है।छोटे भाई की हिम्मत ही नहीं पड़ती कि वह बड़े से बेईमानी करे।
ReplyDelete