एक बार मैंने लिखा था
‘‘क्या ब्लॉगिंग एक नशा है?’’
आप सब ने उस पर भाँति-भाँति की प्रतिक्रियाएँ टिप्पणी के रूप में मुझे उपहार में दीं थी।
आज मैं लिख रहा हूँ कि ब्लॉगिंग एक नशा नही बल्कि आदत है।
मेरी दिनचर्या रोज सुबह एक लोटा जल पीने से शुरू होती है। उसके बाद नेट खोलकर लैप-टाप में मेल चैक करता हूँ। इतनी देर में प्रैसर आ जाता है तो शौच आदि से निवृत हो जाता हूँ।
प्रैसर आने में यदि देर लगती है तो दो-तीन मिनट में ही कुछ शब्द स्वतः ही आ जाते हैं और एक रचना का रूप ले लेते हैं।
क्या लिखता हूँ? कैसे लिखता हूँ? यह मुझे खुद भी पता नही लगता।
ब्लॉग पर मैंने क्या लिखा है? इसका आभास मुझे तब होता है जब आप लोगों की प्रतिक्रियाएँ मिलतीं हैं।
पाँच महीने पूर्व तो कापी-कलम संभाल कर लिखता था। एक-एक लाइन को कई-कई बार काट-छाँटकर गढ़ने की कोशिश करता था।
महीना-पन्द्रह दिन में एक आधी लिख गई तो अपने को धन्य मान कर अपनी पीठ थप-थपा लिया करता था। परन्तु, जब से नेट चलाना आ गया है। तब से कापी कलम को हाथ भी नही लगाया है।
नेट-देवता की कृपा से और माँ सरस्वती के आशीर्वाद से प्रतिदिन-प्रतिपल भाव आते हैं और आराम से ब्लाग पर बह जाते हैं।
जब ताऊ रामपुरिया उर्फ पी0सी0 मुद्गल ने मेरा साक्षात्कार लिया था तो मुझसे एक प्रश्न किया था कि आप ब्लॉगिंग का भविष्य कैसा देखते हैं?
उस समय तो यह आभास भी नही था कि इस प्रश्न का उत्तर क्या देना है?
बस मैंने तुक्के में ही यह बात कह दी थी कि- ब्लॉगिंग का भविष्य उज्जवल है।
लेकिन ,
आज मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि ब्लॉगिंग का भविष्य उज्जवल है और यह एक नशा नही बल्कि एक आदत है।
यह आदत अच्छी है या बुरी यह तो आप जैसे सुधि-जन ही आकलन कर सकते हैं।
दुनिया भर के साहित्यिक लोगों से मिलने का, उनके विचार जानने का और अपने विचारों को उन तक पहुँचाने का माध्यम ब्लॉगिंग के अतिरिक्त दूसरा हो ही नही सकता।
दुनिया भर के साहित्यिक लोगों से मिलने का, उनके विचार जानने का और अपने विचारों को उन तक पहुँचाने का माध्यम ब्लॉगिंग के अतिरिक्त दूसरा हो ही नही सकता।
ReplyDeleteइसमें से साहित्यिक हटा दें तब भी यह सही ही रहेगा।
बहुत ही सही बात कहा आप ने
ReplyDeleteखूबसूरत विचारों की बंदगी बन गयी है,
और ब्लॉगिंग करना अब तो ज़िदगी बन गयी है,
सचमुच यह एक आदत ही है सहमत हूँ .
ReplyDeleteआदत भी क्या, अब तो लत लग गयी है.
ReplyDeletesachmuch ek gazab ka proffesional touch aata hai niyamit blogging karne se....maine apne vacations me ye do maheene mukhayatah blogging ko diye hai,aur mujhe ummeed hai ki isse mujhe faada hogaa
ReplyDeleteब्लागिंग में सबकी हालत एक सी ही दिखती है !!
ReplyDeleteब्लॉगिंग नशा नहीं
ReplyDeleteशान है
बस नशा को उलटना है
पर ध्यान से
कहीं नशा न उलट दे आपको
इससे पहले आप शान हो जाइए
ब्लॉगिंग की शान
वैसे पड़ी हुई है सारे कुंए में ।
ब्लागिंग क्या है इसके पचड़े में पड़े बिना ब्लागियाते रहिये। :)
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ReplyDeleteआदत और नशा तो एक समान ही हैं। आदत जब तक आदत रहे तो आदत रहती है, लेकिन जब कोई भी आदत जुनून का रूप ले तो वह नशे में बदल जाती है। क्या ब्लागिंग एक नशा है? आपके इस लेख को पढऩे के बाद ही हमने दूसरे दिन लिखा था कि हमको तो नशा है ब्लागिंग का जनाब संभवत: तब आपकी नजर शायद हमारे इस लेख पर नहीं पड़ी थी।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने, यह तो आदत ही बन चुकी है अपने विचारों को प्रस्तुत करना और एक इसकी खास आदत है टिप्पणी पर नजर डालने की उसे नहीं भूलना चाहिए क्योंकि उसके बिना तो आपका ब्लाग और सूना लगता है ।
ReplyDeleteसुन्दर विचारों से सजी इस प्रस्तुति के लिये आपका आभार ।
Aapki baat se sahmat hoon.
ReplyDeletebilkul shi kaha aapne bloging ki aadat rch bas gai hai .itne logo ko ak hi sath unke vicharo ke sath kitni aasani se mil liya jata hai .
ReplyDeleteaur bdi saomyta se vicharo ka aadan prdan bhi ho jata hai .
कुछ तो है
ReplyDeleteजो है
पता है भी
और नहीं भी
फिर भी है ।