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Wednesday 21 July 2010
Saturday 17 July 2010
“ हरितक्रान्ति का प्रतीक है हरेला” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
Saturday 10 July 2010
"नवगीत-स्वरःअर्चना चावजी”
आज सुनिए! अर्चना चावजी के मधुर स्वर में! मेरा यह नवगीत- पंक में खिला कमल, किन्तु है अमल-धवल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! डण्ठलों के साथ-साथ, तैरते हैं पात-पात, रश्मियाँ सँवारतीं , प्रसून का सुवर्ण-गात, देखकर अनूप-रूप को, गया हृदय मचल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! पंक के सुमन में ही, सरस्वती विराजती, श्वेत कमल पुष्प को, ही शारदे निहारती, पूजता रहूँगा मैं, सदा-सदा चरण-कमल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |
Monday 5 July 2010
“दस्तावेजों से खिलवाड़” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
“सरकारी मशीनरी की लापरवाही”
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