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Wednesday 21 July 2010

“खटीमा में हालात् बदतर हुए!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

पाँच दिनों से लगातार हो रही बारिश से
आज 21-07-2010 को खटीमा में
बाढ़ से हालात और बिगड़ गये!
कल की शाम 5 बजे की  तस्वीर देखिए-
IMG_1719आज शाम 6 बजे मेरे घर के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग।
IMG_1736पानी देखने को इकट्ठे हुए नगर के लोग।
IMG_1733मेरे घर के पीछे जलमग्न घरों का दृश्य।
IMG_1725मेरे घर के बाईं ओर राष्ट्रीय राजमार्ग।
IMG_1730मेरे घर के दाईं ओर राष्ट्रीय राजमार्ग। IMG_1717 जलमग्न खेत और घर-मकान।
IMG_1726
और यह है अब से ठीक 15 मिनट पूर्व 7-40 पर ली गई,
मेरे गेट (आंगन) में आते हुए बाढ़ के पानी की तस्वीर।

Saturday 17 July 2010

“ हरितक्रान्ति का प्रतीक है हरेला” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“आज हरेला है”
 
उत्तराखण्ड की संस्कृति की धरोहर “हरेला” उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार है!
उत्तराखण्ड के परिवेश और खेती के साथ इसका सम्बन्ध विशेषरूप से जुड़ा हुआ है!
हरेला पर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आता है-
1- चैत्र मास में!
(प्रथम दिन बोया जाता है तथा नवमी को काटा जाता है!)
2- श्रावण मास में
(सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में बोया जाता है और दस दिन बाद श्रावण के प्रथम दिन काटा जाता है!)
3- आश्विन मास में!
(आश्विम मास में नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है!)  
harela_3 किन्तु उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला को ही अधिक महत्व दिया जाता है! क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है।
यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है!  
harela_2सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि 5 या 7 प्रकार के बीजों  को बो दिया जाता है। नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं। दसवें दिन इसे काटा जाता है।
4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है।
घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं।
घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है!
इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी! साथ ही प्रभू से  फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है!
आज हरेला है !
उत्तराखण्ड के इस पावन पर्व पर  मेरी ओर से सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ!!

Saturday 10 July 2010

"नवगीत-स्वरःअर्चना चावजी”

आज सुनिए!
अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!
मेरा यह नवगीत-



पंक में खिला कमल,
किन्तु है अमल-धवल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!

डण्ठलों के साथ-साथ,
तैरते हैं पात-पात,
रश्मियाँ सँवारतीं ,
प्रसून का सुवर्ण-गात,
देखकर अनूप-रूप को,
गया हृदय मचल! 
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!! 

पंक के सुमन में ही, 
सरस्वती विराजती,
श्वेत कमल पुष्प को,
ही शारदे निहारती,
पूजता रहूँगा मैं,
सदा-सदा चरण-कमल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!
-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” 

Monday 5 July 2010

“दस्तावेजों से खिलवाड़” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“सरकारी मशीनरी की लापरवाही”

इन दिनों समूचे उत्तराखण्ड में नये राशन-कार्डों का वितरण/सत्यापन चल रहा है!
आप सभी यह जानते हैं कि राशन-कार्ड एक साधारण कागज नही अपितु महत्वपूर्ण दस्तावेज है!
मुझे भी नया राशन-कार्ड मिल गया है!
आप भी इसका अवलोकन कर लीजिए-
IMG_1674 IMG_1684 - Copy इस महत्वपूर्ण दस्तावेज में मेरे नाम, मेरे पिता जी के नाम, मेरी आय तथा घरेलू गैस के विवरण तक पर चूना अर्थात इंक रिमूवर लगाया गया है!
इस सन्दर्भ में मैं आज खण्ड विकास अधिकारी खटीमा से मिला तो पहले तो उन्होंने कहा कि इससे हर्ज ही क्या है?
लेकिन जब मैंने इस जालसाजी की रिपोर्ट करने की बात कही तो घबड़ाकर झट से अपने स्टाफ की गलती स्वयं स्वीकार कर ली और एक सप्ताह में इसे बदलवाने की बात स्वीकार कर ली है!
ऐसे और भी बहुत से कार्ड-धारक होंगे लेकिन सभी तो अधिकारियों से बहस नही कर सकते!
शासन और प्रशासन के अधिकारीगण आज आम आदमी की बात को सुनने के लिए राजी नही हैं! यदि इस घटना को गुजरे हुए 1-2 महीना हो गया होता तो ये अधिकारी तो उलटे उपभोक्ता पर ही जालसाजी करने का आरोप लगाते देर नही लगाते!