आज विद्यालय का पहला दिन था। प्रार्थना के समय अपने विद्यालय के बच्चों को कुछ कहने जा रहा था कि मन में आया कि आज बुद्धि के बारे में कुछ बताया जाये। संसार में बहुधा तीन प्रकार की बुद्धियाँ मानी जाती हैं। इनको मैंने कुछ इस प्रकार से बताया- प्यारे बच्चों! बुद्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं - 1- रबड़ बुद्धि 2- चमड़ा बुद्धि और 3- तेलिया बुद्धि। रबड़ बुद्धि का नाम सुनते बहुत से बालकों ने अपने हाथ खड़े किये और कहा- ‘‘सर जी! हमारी बुद्धि रबड़ है।’’ जब चमड़ा बुद्धि का नाम सुना तो इक्का दुक्का बालकों ने ही हाथ खड़े किये और तेलिया बुद्धि का नाम सुन कर तो किसी ने अपना हाथ नही खड़ा किया। अब मैंने व्याख्या करनी शुरू की। रबड़ बुद्धि रबड़ की भाँति होती है। कितना भी समझाओ खीचो-तानो मगर वह फिर अपनी जगह पर आ जाती है। रबड़ में सूई से कितने ही सुराख कर दो है मगर वो बन्द हो जाते हैं। अर्थात जिस बुद्धि में कुछ भी न समाये वो रबड़ बुद्धि कहलाती है। अब विद्यार्थियों ने कहना शुरू किया- ‘‘सर जी! हमारी बुद्धि तो चमड़ा बुद्धि है।’’ मैंने चमड़ा-बुद्धि की व्याख्या करनी शुरू की। चमड़ा बुद्धि वह बुद्धि होती है जो चमड़े के समान होती है । चमड़े में जितना सूराख कर दो वह उतना ही रहता है।गुरू जी ने जितना समझाया बस उतना हल ग्रहण कर लिया। अपना दिमाग बिल्कुल भी नही लगाया। यह औसत दर्जे की बुद्धि कहलाती है। तीसरे प्रकार की बुद्धि तेलिया बुद्धि होती है। इसे कुशाग्र-बुद्धि या उत्तम प्रकार की बुद्धि भी कह सकते हैं। जिस प्रकार कागज पर एक तेल की बून्द गिरने पर वह पूरे कागज में फैल जाती है। इसी प्रकार तेलिया बुद्धि वाले को इशारा ही काफी होता है। गुरू ती ने पाठ याद करने को दिया तो तेलिया बुद्धि वाले बच्चे अगले दिन पढ़ाये जाने वाले पाठ की भी तैयारी करके आते हैं। |
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Wednesday, 1 July 2009
‘‘तीन प्रकार की बुद्धि’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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वाह क्या व्याख्या है.
ReplyDeleteबेहतरीन!!
ReplyDeleteSHASTRIJI,
ReplyDeleteKYA BUDHI TEEN HI PARKAR KI HOTI H?
EK LAKDI KI BHI HOTI H :
JO BAHANE BANANA SIKHATI H.
KABHI DARWAJA, KABHI KHIDKI, KABHI KURSI, KABHI FUEL ETC .........
SOCH V SHALLY BAHUT KHUB H JANAB JI.
RAMESH SACHDEVA (DIRECTOR)
HPS SENIOR SECONDARY SCHOOL
A SCHOOL WHERE LEARNING & STUDYING @ SPEED OF THOUGHTS
M. DABWALI-125104
HERE DREAMS ARE TAKING SHAPE
PHONE 01668-230327, 229327
MOBILE 09896081327
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बहुत सुन्दर और सटीक व्याख्या है अद्भुत रचना के लिये बधाई
ReplyDeleteवाह शास्त्री जी
ReplyDeleteक्या बेहतरीन व्याख्या की है आपने बुद्धि की !
आपका ये वर्गीकरण बिलकुल सही है !
सोच रहा हूँ स्वयं की बुद्धि को किस श्रेणी में रखूं ?
आज की आवाज
हम तो जी पहले भी रबड़ बुद्धि थे, आज भी रबड़ बुद्धि हैं.
ReplyDeletebhut shi vyakhya ki hai .
ReplyDeletedhnywad
lajawaab vyakhya.......agar bachchon ko aise padhaya jaye to wo kabhi nhi bhoolenge.
ReplyDeleteबेहद सुंदर रचना और उतनी ही अच्छी व्याख्या ! बहुत अच्छा लगा!
ReplyDeleteबुद्धि की क्या बेहतरीन व्याख्या की है आपने!बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteबहुत सही व्याख्या की है आपने।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }