समर्थक

Saturday 12 June 2010

“माँ पूर्णागिरि की यात्रा” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

“माता ने अचानक बुलाया!”

कानपुर से मेरे बड़े समधी अचानक खटीमा  पहुँचे!
बिना किसी पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के 
टनकपुर से 17 किमी पूर्णागिरि की पहाड़ी पर स्थित 
माता पूर्णागिरि के दर्शनों का कार्यक्रम बन गया!
और चल पड़े माता जी के दर्शनों के लिए!
रास्ते में सबसे पहले खटीमा से 7 किमी दूर चकरपुर के जंगलों में स्थित 
राष्ट्रीय राजमार्ग-125 के किनारे बने वनखण्डी महादेव के दर्शन किये!  02112009068_1IMG_1336
IMG_1337मन्दिर के मुख्य-महन्त ने इससे जुड़ी कहानी सुनाते हुए कहा-
“प्रणवीर महाराणा प्रताप के वीरगति को प्राप्त होने के उपरान्त कुछ राजपूत महिलाएँ तो सती हो गईं थी, लेकिन कुछ राजकुमारियों ने अपने सेवकों के साथ मेवाड़ से पलायन कर खटीमा के समीप नेपाल की तराई के जंगलों में अपना ठिकाना बना लिया था। यह कबीला “थारू” जनजाति के नाम से जाना जाता है।
उसी समय की बात है कि एक थारू की गाय घर में बिल्कुल दूध नही देती थी। लोगों ने जब इसका कारण खोजा तो पता लगा कि यह गाय प्रतिदिन जंगल में जाकर एक पत्थर के पास जाती है और अपने थनों से दूध गिरा कर आ जाती है।”
थारू समाज के लोगों ने यहाँ एक साधारण सा शिवालय बना दिया।
मन्दिर में कलश के नीचे वही पत्थर है जिस पर गाय अपने थनों से दूध गिरा कर इसको प्रतिदिन स्नान कराती थी।

IMG_1332 प्रत्येक वर्ष यहाँ शिवरात्रि को एक विशाल मेला लगता है। जो सात दिनों तक चलता है।
कभी आपका भी इधर आना हो तो “वनखण्डी-महादेव” के इस प्राचीन शिव-मन्दिर का दर्शन करना न भूलें!
इसके बाद टनकपुर से 10 किमी की दूरी पर 
पूर्णागिरि मार्ग पर 
श्री आद्या महाकामेश्वरी माता के भी दर्शनों का लाभ मिल गया!
IMG_1400 IMG_1399 इसके बाद माता पूर्णागिरि का पर्वत आ गया! 
जिसके कुछ चित्र निम्नवत् हैं!
IMG_1392मेरे समधी साहब मुन्ना लाल जी तो 
सीढ़ियोंनुमा दुर्गम राह पर चलते-चलते 
सीना पकड़कर ही बैठ गये!
IMG_1339 उन्होंने यहाँ थोड़ा आराम किया और आगे बढ़ चले!
IMG_1345अब हम टुन्यास में पहुँच गये थे! 
यहाँ से एक किमी आगे गये तो 
माता पूर्णागिरि का मन्दिर हमारे सामने था!
IMG_1360  यहाँ दर्शनार्थी भक्तों की लम्बी कतार लगी थी!IMG_1361IMG_1365यहाँ पर मैंने मन्दिर के पीछे का भी एक फोटो ले लिया! 
IMG_1362लगभग एक घण्टे की प्रतीक्षा के बाद माता के दर्शनों का सौभाग्य मिला!
IMG_1366माता जी के मन्दिर में विराजमान सिंहासन पर बैठी माँ पूर्णागिरि जी! IMG_1368मन्दिर की चोटी से लिया गया पर्वतों का सुन्दर चित्र!  IMG_1367माता पूर्णागिरि के पग पखारती शारदा नदी! IMG_1359 अब माँ काली के नीचे बनी मथुरादत्त पाण्डेय जी की दुकान नं.-6 में भोजन किया!
IMG_1371वापिस लौटकर आये तो टुन्यास में रखे 
झूठे के द्वारा लाये गये मन्दिर के भी दर्शन किये!
IMG_1348झूठे मन्दिर की कथा-
प्राचीन समय में एक सेठ जी ने माता के दरबार में आकर पुत्र की कामना की और प्रण किया कि मेरे घर मे पुत्र का जन्म होगा तो माता को सोने का मन्दिर भेंट करूँगा!
मता की कृपा से उसके घर एक पुत्र ने जन्म लिया और वह ताम्बे का मन्दिर बनवाकर उसपर सोने का पानी चढ़वा कर माता के दरबार में चढ़ाने के लिए आया!
टुन्नास में इस स्थान पर सेवकों ने जब मन्दिर रखकर कुछ विश्राम किया तो यह मन्दिर यहाँ से उठा ही नही!
IMG_1347आज भी झूठे का चढ़ाया हुआ यह प्राचीन ताम्बे का मन्दिर यहाँ मूलरूप में रखा हुआ है!
IMG_1397 इसके बाद बचे हुए शुद्ध और ताजा भोजन को 
हमने एक महात्मा जी को खिलाया और उनके आशीष प्राप्त किये!

इस प्रकार हमारी माता पूर्णागिरि की यात्रा सम्पन्न हुई 
और अचानक ही माता के दर्शनों का सौभाग्य मिल गया!
माता पूर्णागिरि का मन्दिर 
दिल्ली से 350 किमी, बरेली से 150 किमी 
और मुरादाबाद से 200 किमी दूर है!

28 comments:

  1. जय माता दी !
    बोलो सच्चे दरबार की जय !

    ReplyDelete
  2. शास्त्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद. पिछली बार पूर्णागिरी दर्शन किये हुए करीब २५ वर्ष तो बीत ही चुके हैं. तब से बहुत परिवर्तन दिख रहा है

    ReplyDelete
  3. आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!

    ReplyDelete
  4. JAI MATA KI...SHASTRI JI BINA GAYE AAP NE MATA KE DARSHAN KARWA DIYE ..DHNYWAD

    ReplyDelete
  5. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  6. आदरणीय शास्त्री जी .....ये मेरा सौभाग्य ही है कि एक मुलाकात के बाद ही आपने माताजी के दर्शन करवा दिए............आभार आपका........जय माता दी

    ReplyDelete
  7. Kya khoobsoorat sthaan hai..sansmaran aur prawas warnan padhna hamesh achha lagta hai..khud jo safar nahi kar pati!
    Yahan to aapne qalam aur chitr don se safar kara diya!

    ReplyDelete
  8. सार्थक पोस्ट

    ReplyDelete
  9. लगा आपकी यात्रा में कही मैं आपके साथ ही हूं।
    माताजी के दर्शन का लाभ करवाकर आपने एक बड़ा उपकार किया है।

    ReplyDelete
  10. माता तो अचानक ही बुलाती हैं!
    --
    बहुत बढ़िया पोस्ट!

    ReplyDelete
  11. जय माता दी ! मान्यता लेकिन ये है कि बिना ब्रहमदेव के दर्शन के पूर्णागिरी माता की यात्रा सफल नहीं होती। ब्रहमदेव का मंदिर, टनकपुर से कोई दो किलोमीटर दूर नेपाल सीमा में है। शारदा नदी पार करते ही ब्रहमदेव मंदिर है। आपकी तस्वीरें में ब्रहमदेव का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए लिख रहा हूं। अगर नहीं गए इस बार तो अगली बार जरुर जायेगा। धन्यवाद

    ReplyDelete
  12. जय माता दी .. मां पूर्णागिरी की यात्रा का चित्र सहित बढिया विवरण के लिए आभार .. आप लोगों के साथ हमलोगों ने भी यात्रा कर ली !!

    ReplyDelete
  13. शास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद घर बैठें हमें भी माता के दर्शन हो गये..धाम का सचित्र सुंदर प्रस्तुतिकरण..धन्यवाद शास्त्री जी

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर तस्वीरें! जय माता दी! उनका दर्शन मिल गया उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ! बहुत बढ़िया पोस्ट!

    ReplyDelete
  15. आपके माध्यम से हमने भी दर्शन और जानकारी प्राप्त कर ली.

    ReplyDelete
  16. (पुन्यागिरी ) माँ पूर्णागिरी का मंदिर उत्तराखंड का वैष्णो देवी कहा जा सकता है.प्रदेश सरकार को यहाँ की यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं को अधिक सुविधाजनक बना कर पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिये.

    ReplyDelete
  17. इस प्रस्तुति के कारण आप के साथ हम भी मां पूर्णागिरी की यात्रा कर सके.....इसके लिये धन्यवाद....
    अच्छी प्रस्तुति........बधाई.....

    ReplyDelete
  18. पर्वतों के बीच माता का मंदिर --स्वर्ग समान लगा। हमें तो यहाँ तक ठंडक का अहसास हो रहा है ।
    बहुत बढ़िया चित्रमय यात्रा । आभार शास्त्री जी ।

    ReplyDelete
  19. शास्त्रीजी
    बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने हमे माता पूर्णागिरी के दर्शन घर बैठे ही करवा दिए |असल में अभी अप्रेल माह में हम श्यामलाताल (रामकृष्ण मिशन )मेंगये थे वहा हमे एक पहाड़ी परिवार ने कहा था की आप इतनी दूर आये है तो माता
    पूर्णागिरी के दर्शन करके जाइये ये भी वैष्णव देवी का ही रूप है कितु हमे मायावती (रामकृष्ण मिशन )लौहगढ़ जाना था हमारा कार्यक्रम निशित था तो हम नहीं जा पाए और ये भी सच है की जब तक माँ का बुलावा नहीं आएगा कैसे जा पायेगे ?आपका पुनह धन्यवाद |
    "जय माता दी "

    ReplyDelete
  20. जय माता की । सुन्दर तस्वीरों समेत अच्छी जानकारी धन्यवाद्

    ReplyDelete
  21. bahut sundar post...ham bhi itni door baithe baithe darshan kar liye...aapka dhnywaad..

    ReplyDelete
  22. aisa laga ki saakshaat darshn huye ho//shukriyaa guru ji..

    ReplyDelete
  23. जय हो ...बढ़िया यात्रा रही

    ReplyDelete
  24. दर्शन करवाने के लिए आभार।
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  25. य्यात्रा बर्णन बहुत अच्छा लगा |चित्रों ने तो उसमें जान डाल दी ,देवी दर्शन का सौभाग्यप्राप्त हुआ |बहुत बहुत धन्यवाद |
    आशा

    ReplyDelete
  26. जय माता दी !
    बोलो सच्चे दरबार की जय

    ReplyDelete
  27. पूर्णागिरि पर बेहद रोचक और आकर्षक पोस्ट----चित्रों ने लेख में चार चांद लगा दिया।

    ReplyDelete
  28. बहुत ही बढिया यात्रा रही साथ ही हम भी वहाँ हो आये और दर्शन कर आये………………शुक्रिया।

    ReplyDelete

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।