शनिवार 4 जून, 2011 को हम लोग
माता पूर्णागिरि के दर्शनों के लिए निकल पड़े।
घर के सामने पूर्णागिरि के भक्तों का हुजूम था!
सुबह 6 बजे सड़क का नजारा
रास्ते में चकरपुर गाँव मिला!
इसके बाद 1 किमी आगे
वनखण्डी महादेव का मन्दिर मिला,
यहाँ भी पूर्णागिरि के यात्रियों का जत्था था!
यहाँ बाबा जी से आशीर्वाद लिया
यहाँ रात में शिव की पिण्डी
7 बार रंग बदलती है!
अब यहाँ से टनकपुर की ओर आगे बढ़े!
टनकपुर से 12 किमी आगे
आद्या महाकामेश्वरी शक्तिपीठ के दर्शन किये!
इसके बाद ठुलीगाड़ नामक स्थान पर पहुँचे!
यहाँ से पैदल यात्रा शुरू करनी थी!
रास्ता दुर्गम चढ़ाई वाला था!
दूर पर्वत पर शिखर पर
माता पूर्णागिरि का मन्दिर दिखाई दे रहा था!
नीचे शारदा नदी
कलकलनिनाद करती हुई बह रही थी!
कुछ दूर चलने पर एक भाई सीना पकड़े बैठे थे!
आखिर मैं भी सुस्ताने के लिए बैठ ही गया!
कुछ दूर आगे जाने पर यह नन्दी भी सुस्ताता हुआ मिला!
अब टुन्यास आ गया था!
इसके बाद नाई बाड़ा शुरू हुआ!
यहाँ मुण्डन संस्कार हो रहे थे!
यहाँ से माता जी का पहाड़ शुरू होता है!
कुछ दूर चलने पर सीढ़िया भी आ गईं थी!
यहाण दर्शनार्थियों की भारी भीड़ थी
और मैंने माता जी के मन्दिर के
पिछले भाग का फोटो ले लिया!
अब माता जी का दरबार सामने था!
माता पूर्णागिरि के दर्शन करके मन प्रसन्न हो गया
और मैं सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा!
रास्ते में झूठे मन्दिर के भी दर्शन किये!
कुछ सुन्दर दृश्यों को कैमरे में भी कैद किया!
यहाँ से शारदा नदी ऐसी नजर आ रही थी!
अब भूख बहुत जोर से लगी थी!
सबने प्रेम से भोजन किया!
बचा हुआ खाना
इन महात्मा जी को दे दिया!
इस प्रकार से हमारी पूर्णागिरि की यात्रा
सम्पन्न हुई!
आपकी जानकारी के लिए !
पूर्णागिरि माता का मन्दिर चम्पावत जिले में
टनकपुर से 25 किमी दूर है!
खटीमा से मन्दिर की दूरी 50 किमी है!
दिल्ली से यह 350 किमी
मुरादाबाद से 200 किमी
बरेली से 135 किमी तथा
रुद्रपुर से 130 किमी दूर है!
पावन यात्रा की सुंदर चित्रमयी झांकी .....आभार
ReplyDeleteमजा आ गया "जय माता दी"
ReplyDeleteइस पोस्ट में एक खूबी यह है हम पल-पल आपके साथ थे, ऐसा लगा।
ReplyDelete** आप फोटो बहुत अच्छी उतारते हैं, चाहे कविता हो चाहे कैमरा।
*** आप एक अच्छे गाइड हैं।
वाह जी वाह ! एक साथ दो-दो पुण्य कमा लिए आपने . खुद तो यात्रा क़ी ही और आपने सबको भी सचित्र यात्रा करा दी . सारे परिवार ने आपकी प्रस्तुति देखी . बहुत - बहुत धन्यवाद . आभार . .... और जोर से .... बोलता हूँ ... जय माता क़ी .
ReplyDeleteसुंदर चित्रमयी झांकी .....आभार
ReplyDeleteपावन यात्रा की सुंदर चित्रमयी झांकी .....आभार
ReplyDeleteसभी फ़ोटो अच्छे लगे,
ReplyDeleteरंग बदलने वाली पिण्डी से मिलना पडेगा,
झूठे मन्दिर का चक्कर समझ नहीं आया।
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteपर यह पोस्ट तो उच्चारण पर लगनी चाहिए थी!
सुंदर चित्र! आप ने हमारी भी यात्रा करा डाली।
ReplyDeleteयात्रा की सुन्दर झांकी. आभार.
ReplyDeleteचलिए आपके साथ हमने भी माता के दर्शन कर लिए ...पर इस झूठे मंदिर के बारे में जरूर बताइएगा...मुझे पता नहीं है....
ReplyDeleteऐसे लगा जैसे पूर्णागिरी की यात्रा खुद ने की हो
ReplyDeleteपूर्णागिरी के दर्शन करवाने के लिए आपका धन्यवाद
"जय माता दी"
Aapne yatra to kara dee...ab iska puny bhee aap hee ko haasil!!
ReplyDeleteBahut sundar chitr hain sabhee!
पंतनगर से १९९० में की गयी यात्रा की याद दिला दी आपने...फोटो फीचर से सारे दृश्य पुनः उभर आये...ये यात्रा हम लोगों ने साइकिल से की थी...
ReplyDeletebahut achchha laga.ham to aaj tak keval poornagiri ka naam hi sunte aa rahe the aaj aapne hame darshan kara kar hamara jeevan dhanya kar diya.aaj apne blog jagat se jude hone par garv mahsoos ho raha hai.aabhar.
ReplyDeleteपूर्णागिरी मैया की जय!
ReplyDeleteतस्वीरों के माध्यम से पूर्णागिरी की यात्रा कर आये हम भी ...
ReplyDeleteसभी तस्वीरों के शारदा नदी का चित्र मनोरम है ...
आभार !
ji mata ji k itne sunder drisyo ko post karne k liye dhanyawaad !!! maa aapka kalyaan karein!!
ReplyDeleteमनमोहक और ख़ूबसूरत चित्रों से सुसज्जित प्रस्तुती! ऐसा लगा जैसे मैं भी पूर्णागिरी घूमकर आ गयी आपके तस्वीरों के माध्यम से! बहुत अच्छा लगा!
ReplyDeleteबड़ी अच्छी जानकारी। आभार।
ReplyDeleteयह पावन यात्रा हमने भी चित्रों के माध्यम से कर ली ..आच्छी जानकारी देती पोस्ट .
ReplyDeleteaisa lagaa saakshaat darshan huye ho!!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चित्रमयी झांकी .
ReplyDeleteसुंदर चित्रमयी झांकी ।तस्वीरों के माध्यम से पूर्णागिरी की यात्रा कर आये हम भी ...बहुत अच्छा लगा!.....आभार
ReplyDeleteसुंदर चित्रमयी झांकी को देखते ऐसा लगा कि हमने भी यात्रा कर ली .. आपका आभार !!
ReplyDelete♥ झूठे का चढ़ाया हुआ मन्दिर ♥
ReplyDeleteमाँ पूर्णागिरि के महात्मय को सुनकर
प्राचीन समय में एक सेठ जी ने माता के दरबार में आकर
पुत्र की कामना की और प्रण किया कि
मेरे घर मे पुत्र का जन्म होगा तो
माता को सोने का मन्दिर भेंट करूँगा!...
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इसकी कथा मेरे ब्लॉग मयंक पर है!
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)JI AAPKI PAVITR YATRA KA CHITRMAYA VARANAN DEKHKAR LAGA KI M KHUD AAPAKE SAATH HI HUN MAATA JI KA ASHIEWAD AAP PAR,DEKHANE WALO PRA,SADAIV BANA RAHE ,PAIDAL YATRIYON KE CHARANO M SHAT-SHAT NAMAN
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा माता के दर्शन आपके साथ करके,
ReplyDeleteसाभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
aapka dhnyavad .aap ke sath hum ne bhi yatra kar li ma ke drshn kr ke man prasan huaa.
ReplyDeletesaader
rachana
प्राकृतिक सौंदर्य के बीच उभर आया सीमेंट-कांक्रीट और लोहे का जंजाल.
ReplyDeleteकदम दर कदम सचित्र वर्णन दिखा कर आपने हम को भी यात्रा करने का सुख दिया.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर!
सादर
हमने भी यात्रा को साक्षी भाव से देखा .झूठे का मंदिर अनोखा लगा .ये भारत देश भी अनोखा है यहाँ मध्य प्रदेश में एक मंदिर स्वान -प्रभु (अपने कुत्ता भाई का भी है ).अच्छा छायांकन है .बधाई .
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