समर्थक

Saturday, 13 September 2014

"खटीमा में हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन" (रपट)

खटीमा (उत्तराखण्ड)
           आज हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर संस्कार भारती के तत्वावधान में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में स्थानीय राणाप्रताप इण्डर कालेज में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता गीताराम बंसल ने की तथा संचालन राजकीय इण्टक कालेज के हिन्दी प्राध्यापक और प्रख्यात कवि डॉ.महेन्द्र प्रताप पाण्डेय "नन्द" ने किया। सम्मेलन के मुख्यअतिथि डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" थे।
      कविसम्मेलन की विशेषता यह रही कि जाने-माने कवियों देवदत्तप्रसून, शिव भगवान मिश्र, एम.इलियास सिद्दीकी, अमीर अहमद अमीर, डॉ.राजकिशोर सक्सेना "राज", गेन्दा लाल शर्मा निर्जन, गुरूसहाय भटनागर बदनाम, रामचन्द्र प्रेमी, उदीयमान कवि विनीत मिश्रा, अमन मारवाड़ी, श्री भगवान मिश्रा, डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक,  डॉ.महेन्द्र प्रताप पाण्डेय "नन्द", रावेन्द्र कुमार रवि, सितारगंज तथा नानक मत्ता साहिब के दो-दो कविवृन्द आदि के साथ कुल मिला कर 72 कवि-कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। जिसमें विभिन्न विद्यालयों के बालकवि भी शामिल थे।
         कवि सम्मेलन अपराह्न 3 से बजे से रात्रि 8 बजे तक चला। इस अवसर पर संस्कार भारती की ओर से कवियों और कवयित्रियों को सम्मानपत्र देकर अलंकृत किया गया।
देखिए इस कवि सम्मेलन की झलकियाँ

































































































Wednesday, 20 August 2014

"एक रपट-विद्यालयी प्रतियोगिता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

आज स्थानीय राणाप्रताप इण्टर कालेज, खटीमा में 
गोकुलधाम संस्कृत योग सेवा संस्थान के बैनर तले
संस्कृत स्वतन्त्रता दिवस महोत्सव का आयोजन किया गया।
जिसकी अध्यक्षता हिन्दी संस्कृत के प्रवक्ता 
शिवभगवान मिश्र ने की तथा मुख्यअतिथि
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री, विशिष्ट अतिथि डॉ.एम.पी. पाण्डेय,
श्री भगवान मिश्र, शिव भगवान मिश्र थे।
कार्यक्रम का संचालन 
गोकुलधाम संस्कृत योग सेवा संस्थान के संस्थापक
आचार्य गेन्दा लाल शर्मा ने किया।
DSC08145.JPG दिखाया जा रहा है
सबसे पहले नुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन कर 
माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया
DSC08164.JPG दिखाया जा रहा है
इसके बाद विभिन्न विदग्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा
स्वतन्त्रता दिवस के परिपेक्ष्य में कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।
DSC08187.JPG दिखाया जा रहा है
DSC08155.JPG दिखाया जा रहा है
DSC08154.JPG दिखाया जा रहा है
DSC08153.JPG दिखाया जा रहा है
DSC08191.JPG दिखाया जा रहा है
मुख्यअतिथि डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ने इस अवसर पर
संस्कार पर पर्काश डालते हुए कहा-
"जन्मने जायते शूद्राः संस्कार द्विज उच्यते"
DSC08200.JPG दिखाया जा रहा है
इस महोत्सव में राणाप्रताप इण्टर कालेज, खटीमा के
प्रबन्धक गीताराम बंसल, प्रधानाचार्य डॉ. महेश चन्द्र जुयाल,
जगदीशचन्द्र फुलोरिया, प्रोफे. डॉ.सिद्धेश्वर सिंह, के साथ 
दर्जनों श्रोता और दर्शक मौजूद रहे।
एस अवसर पर कालेज के उदीयमान छात्रकवि विनीत मिश्रा
ने अपनी रचना का सस्वर पाठ किया।
प्रतिभाग कर रहे विद्यालयों में
राणाप्रताप इण्टर कालेज को सीनियर वर्ग में प्रथम,
हरिप्रिया पब्लिक स्कूल को जूनियर वर्ग में प्रथम,
नोजगे पब्लिक स्कूल को हाई स्कूल वर्ग में प्रथम
घोषित किया गया।
वाद्य कलाकारों में नरसिंह कुँवर, उनके 6 वर्षीय पुत्र लक्की कुँवर
और शनिदेव मन्दिर के कलाकारों ने भाग लिया।
संगीत के सिद्ध श्रीभगवान मिश्र ने
इस अवसर पर 
"यह माटी हिन्दुस्तान की" को स्वर देकर
समाँ बाँध दिया।

Thursday, 17 July 2014

"बाबा नागार्जुन का दुर्लभ चित्र" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)



      उत्तर-प्रदेश के नैनीताल जिले के काशीपुर शहर (यह अब उत्तराखण्ड में है) से धुमक्कड़ प्रकृति के बाबा नागार्जुन का काफी लगाव था।
        सन् 1985 से 1998 तक बाबा प्रति वर्ष एक सप्ताह के लिए काशीपुर आते थे। वहाँ वे अपने पुत्र तुल्य हिन्दी के प्रोफेसर वाचस्पति जी के यहाँ ही रहते थे। मेरा भी बाबा से परिचय वाचस्पति जी के सौजन्य से ही हुआ था। फिर तो इतनी घनिष्ठता बढ़ गयी कि बाबा मुझे भी अपने पुत्र के समान ही मानने लगे और कई बार मेरे घर में प्रवास किया।
             प्रो.वाचस्पति का स्थानान्तरण जब जयहरिखाल (लैन्सडाउन) से काशीपुर हो गया तो बाबा ने उन्हें एक पत्र भी लिखा। जो उस समय अमर उजाला बरेली संस्करण में छपा था।जिसके साथ बाबा नागार्जुन का एक दुर्लभ बिना दाढ़ी वाला चित्र भी है। जिसमें बाबा के साथ प्रो0 वाचस्पति भी हैं।
          बाबा ने 15 अक्टूबर,1998 को अपना मुण्डन कराया था। उसी समय का यह दुर्लभ चित्र प्रो0 वाचस्पति और अमर उजाला के सौजन्य से प्रकाशित कर रहा हूँ।
 बाबा अक्सर अपनी इस रचना को सुनाते थे-
--
 खड़ी हो गयी चाँपकर कंगालों की हूक
 नभ में विपुल विराट सी शासन की बन्दूक
 उस हिटलरी गुमान पर सभी रहे हैं मूक
 जिसमें कानी हो गयी शासन की बन्दूक
 बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक
 धन्य-धन्य, वह धन्य है, शासन की बन्दूक
 सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक
 जहाँ-तहाँ ठगने लगी, शासन की बन्दूक
जले ठूँठ पर बैठ कर, गयी कोकिला कूक
बाल न बाँका कर सकी, शासन की बन्दूक
--

Tuesday, 24 June 2014

"आज से ब्लॉगिंग बन्द" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')

मित्रों।
फेस बुक पर मेरे मित्रों में एक श्री केवलराम भी हैं। 
उन्होंने मुझे चैटिंग में आग्रह किया कि उन्होंने एक ब्लॉगसेतु के नाम से एग्रीगेटर बनाया है। अतः आप उसमें अपने ब्लॉग जोड़ दीजिए। 
मैेने ब्लॉगसेतु का स्वागत किया और ब्लॉगसेतु में अपने ब्लॉग जोड़ने का प्रयास भी किया। मगर सफल नहीं हो पाया। शायद कुछ तकनीकी खामी थी।
श्री केवलराम जी ने फिर मुझे याद दिलाया तो मैंने अपनी दिक्कत बता दी।
इन्होंने मुझसे मेरा ईमल और उसका पासवर्ड माँगा तो मैंने वो भी दे दिया।
इन्होंने प्रयास करके उस तकनीकी खामी को ठीक किया और मुझे बता दिया कि ब्लॉगसेतु के आपके खाते का पासवर्ड......है।
मैंने चर्चा मंच सहित अपने 5 ब्लॉगों को ब्लॉग सेतु से जोड़ दिया।
ब्लॉगसेतु से अपने 5 ब्लॉग जोड़े हुए मुझे 5 मिनट भी नहीं बीते थे कि इन महोदय ने कहा कि आप ब्लॉग मंच को ब्लॉग सेतु से हटा लीजिए।
मैंने तत्काल अपने पाँचों ब्लॉग ब्लॉगसेतु से हटा लिए।
अतः बात खत्म हो जानी चाहिए थी। 
---
कुछ दिनों बाद मुझे मेल आयी कि ब्लॉग सेतु में ब्लॉग जोड़िए।
मैंने मेल का उत्तर दिया कि इसके संचालक भेद-भाव रखते हैं इसलिए मैं अपने ब्लॉग ब्लॉग सेतु में जोड़ना नहीं चाहता हूँ।
--
बस फिर क्या था श्री केवलराम जी फेसबुक की चैटिंग में शुरू हो गये।
--
यदि मुझसे कोई शिकायत थी तो मुझे बाकायदा मेल से सूचना दी जानी चाहिए थी । लेकिन ऐसा न करके इन्होंने फेसबुक चैटिंग में मुझे अप्रत्यक्षरूप से धमकी भी दी।
एक बानगी देखिए इनकी चैटिंग की....
"Kewal Ram
आदरणीय शास्त्री जी
जैसे कि आपसे संवाद हुआ था और आपने यह कहा था कि आप मेल के माध्यम से उत्तर दे देंगे लेकिन आपने अभी तक कोई मेल नहीं किया
जिस तरह से बिना बजह आपने बात को सार्जनिक करने का प्रयास किया है उसका मुझे बहुत खेद है
ब्लॉग सेतु टीम की तरफ से फिर आपको एक बार याद दिला रहा हूँ
कि आप अपनी बात का स्पष्टीकरण साफ़ शब्दों में देने की कृपा करें
कोई गलत फहमी या कोई नाम नहीं दिया जाना चाहिए
क्योँकि गलत फहमी का कोई सवाल नहीं है
सब कुछ on record है
इसलिए आपसे आग्रह है कि आप अपन द्वारा की गयी टिप्पणी के विषय में कल तक स्पष्टीकरण देने की कृपा करें 24/06/2014
7 : 00 AM तक
अन्यथा हमें किसी और विकल्प के लिए बाध्य होना पडेगा
जिसका मुझे भी खेद रहेगा
अपने **"
--
ब्लॉग सेतु के संचालकों में से एक श्री केवलराम जी ने मुझे कानूनी कार्यवाही करने की धमकी देकर इतना बाध्य कर दिया कि मैं ब्लॉगसेतु के संचालकों से माफी माँगूँ। 
जिससे मुझे गहरा मानसिक आघात पहुँचा है।
इसलिए मैं ब्लॉगसेतु से क्षमा माँगता हूँ।
साथ ही ब्लॉगिंग भी छोड़ रहा हूँ। क्योंकि ब्लॉग सेतु की यही इच्छा है कि जो ब्लॉगर प्रतिदिन अपना कीमती समय लगाकर हिन्दी ब्लॉगिंग को समृद्ध कर रहा है वो आगे कभी ब्लॉगिंग न करे।
मैंने जीवन में पहला एग्रीगेटर देखा जिसका एक संचालक बचकानी हरकत करता है और फेसबुक पर पहल करके चैटिंग में मुझे हमेशा परेशान करता है।
उसका नाम है श्री केवलराम, हिन्दी ब्लॉगिंग में पी.एचडी.।
इस मानसिक आघात से यदि मुझे कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी ब्लॉगसेतु और इससे जुड़े श्री केवलराम की होगी।
आज से ब्लॉगिंग बन्द।
और इसका श्रेय ब्लॉगसेतु को।
जिसने मुझे अपना कीमती समय और इंटरनेट पर होने वाले भारी भरकम बिल से मुक्ति दिलाने में मेरी मदद की।
धन्यवाद।

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"

Saturday, 21 June 2014

"छोटे पुत्र विनीत का जन्मदिन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मित्रों!
आज मेरे छोटे पुत्र का जन्मदिन है।
खाओ आज मिठाई जमकर,
जन्मदिवस है आज तुम्हारा।
महके-चहके जीवन बगिया,
आलोकित हो जीवन सारा।।
बाबा-दादी, पापा-मम्मी,
सब देंगे उपहार आपको।
वर्षगाँठ है आज तुम्हारी,
देंगे अपना प्यार आपको।।
बूढ़ीदादी-दादा जी भी,
अपने आशीषों को देंगे।
बदले में अपनें बच्चों की,
मुस्कानों से मन भर लेंगे।।
केक सलोना आप काटना,
हमें खिलाना, खुद भी खाना।

खुशियाँ पसरेंगी आँगन में,
जन्मदिवस हर साल मनाना।।
प्राची के संग भाई प्राञ्जल,
देते तुमको आज बधाई।
इस पावन अवसर पर,
चाची ने भी खुशियाँ खूब मनाई।।