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Tuesday, 26 May 2009

‘‘महाकवि मलिक मुहम्मद जायसी’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

हिन्दी के प्रेममार्गी कवियों की परम्परा की जब चर्चा चलती है तो ‘‘महाकवि मलिक मुहम्मद जायसी’’ का नाम आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। ये जायस के कंचाने मुहल्ले के निवासी थे।

इनकी सही जन्मतिथि आज तक सुनिश्चित नही है। कुछ विद्वान इनकी जन्मतिथि 1427 ईस्वी, कुछ 1464 ई0 और कुछ 1492 मानते हैं। परन्तु यदि तर्क की कसौटी से सिद्ध किया जाये तो जायसी शेरशाह सूरी के समकालीन थे और शेरशाह सूरी का शासन 1440 ई0 से प्रारम्भ हुआ था। अतः उपरोक्त तिथियों में 1464 ई0 ही समीचीन प्रतीत होती है।

अपने अमर ग्रन्थ पद्मावत में जायसी ने एक स्थान पर लिखा है-

‘‘‘जायस नगर धरम असथानू , तहाँ कवि कीन्ह बखानू।’’

जायसी निजामुद्दीन औलिया की शिष्य परम्परा में आते हैं। इस परम्परा की दो शाखाएँ हैं- एक मानपुर कालपी और दूसरी जायसी।

मलिक शेख ममरेज जायसी के पिता थे। लोग उन्हें मलिक अशरफ राजे भी कहते हैं और इनके नाना का नाम शेख अल-हदाद खाँ था।

मलिक मुहम्मद जायसी कुरूप और एक आँख से काने थे। कुद लोग उन्हे बचपन से ही काने मानते हैं जबकि अधिकांश लोगों का मत है कि चेचक के प्रकोप के कारण ये कुरूप हो गये थे और उसी में इनकी एक आँख चली गयी थी।

जायसी एक सन्त प्रकृति के गृहस्थी थे। इनके सात पुत्र थे लेकिन दीवार गिर जाने के कारण सभी उसमें दब कर मर गये थे। तभी से इनमें वैराग्य जाग गया और ये फकीर बन गये।

इनकी शिक्षा भी विधिवत् नही हुई थी। जो कुछ भी इन्होने शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की वह मुसलमान फकीरों, गोरखपन्थी और वेदान्ती साधु-सन्तों से ही प्राप्त की थी।

खोजकर्ता यह मानते हैं कि मलिक मुहम्मद जायसी ने 25 ग्रन्थो की रचना की थी प्रकाशित रूप में मात्र छः ग्रन्थ ही उपलब्ध हैं- 1- पद्मावत 2-अखरावट 3- आखिरी कलाम 4- चित्र रेखा 5- कहारानामा और 6- मसलानामा।

लगभग 80 वर्ष की आयु में जायसी की मृत्यु 1542 ईस्वी में हुई । किंवदन्ती है कि ये एक बहेलिया की गोली से लंगल में मारे गये थे। इनकी मृत्यु पर अमेठी राज्य में बहुत शोक मनाया गया था।

सूफी प्रेमाख्यानक लिखनेवालों में जायसी का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। आचार्य राम चन्द्र शुक्ल ने इनके बारे में लिखा है-

‘‘इन्होने मुसलमान होकर हिन्दुओं की कहानियाँ, हिन्दुओं की शैली में पूरी सहृदयता से कहकर, उनके जीवन की मर्मस्पर्शित दशाओं के साथ तादाम्य स्थापित कर अपने उदार हृदय का परिचय दिया है।’’

(चित्र गूगल सर्च से साभार)

3 comments:

  1. Mahat vyaktitv se parichit karakar aapne bada achcha kiya....Aabhar.

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  2. aapne itne utkrisht kavi ke baare mein batakar hamein anugrahit kiya.........unke jeevan ke bare mein jyada pata nhi tha.dhanyavaad.

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  3. MAHAKAVI JAYSI KE BARE ME BACPAN ME JO PADA THA BHIR PADNE KI JGGYASA AAJ PURI HUI. BAHUT-BAHUT DHANYAVAD

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