माँ ने वाणी को उच्चारण का ढंग बतलाया है,
माता ने मुझको धरती पर चलना सिखलाया है,
खुद गीले बिस्तर में सोई, मुझे सुलाया सूखे में,
माँ के उर में ममता का व्याकरण समाया है,
माता शब्द की व्यापकता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि
दुख-दर्द के समय अन्तर्मन से एक ही स्वर वाणी पर अपने आप आ जाता है कि
‘हाय-मैया’। कभी विचार किया है कि यदि माँ नही होती तो हम दुनिया में कैसे आ जाते?
माता के प्रति हमारी कितनी अगाध श्रद्धा और भक्ति है इसका पता
इसी बात से लग जाता है कि
देवी स्वरूपा माता के दर्शनों के लिए पूरे वर्ष माँ के मन्दिरों में भीड़ लगी रहती है।
माता को ही जगत्-जननी का अमर पद प्राप्त है।
आदि-शक्ति के रूप में वह हमारे मन में सरस्वती, पार्वती के रूप में विराजमान है।
माता को विश्व में प्रथम गुरू का सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।
‘‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’’
मातृ-दिवस पर, हे माँ! मैं तुमको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ।
मातृ दिवस पर बहुत अच्छी पोस्ट प्रस्तुत की, धन्यवाद
ReplyDeleteमातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteमात्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDelete"मां" के लिये भावपूर्ण आदरान्जलि...हम सब भी नतमस्तक हैं.
ReplyDeletematri divas ki hardik shubhkamnayein..........sundar prastuti.
ReplyDeleteमाँ के उर में ममता का व्याकरण समाया है,
ReplyDeletebhut susdar udgar.
मां तूने दिया हमको जन्म
ReplyDeleteतेरा हम पर अहसान है
आज तेरे ही करम से
हमारा दुनिया में नाम है
हर बेटा तुझे आज
करता सलाम है
इसीलिए तो माँ का ऋण आज तक कोई नहीं चुका पाया!
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