"करवाचौथ" (आज मेरे एक मित्र ने फोन पर मुझे एक लतीफा सुनाया वही में आप लोगों से सहभाग कर रहा हूँ!) एक दिन उल्लू लक्ष्मी जी के पास जाकर बहुत ही दीन भाव में बोला कि माता लक्ष्मी जी मैं आपका वाहन हूँ! लेकिन मैं बहुत ही दुखी हूँ कि सब आपकी पूजा करते हैं परन्तु मुझे तिरस्कारभरी दृष्टि से देखते हैं! ऐसा क्यों है? लक्ष्मी जी ने उल्लू की वेदना समझकर उसे वरदान दिया कि दीपावली से पूर्व एक दिन तुम्हारी भी लोग पूजा करेंगे! कल करवाचौथ का दिन है! कहीं यही तो वो दिन नहीं है! अगर सत्यता हो तो बताइए! अन्यथा पढ़कर भूल जाइएगा! |
समर्थक
Monday, 25 October 2010
"करवाचौथ" (प्रस्तोता:डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
waah waah shastri ji
ReplyDeleteaap to aapne khoob umda hasya ke roop me rochak vyangya de maara ..
ha ha ha ha
हाऽऽऽ...हाऽऽऽ...हाऽऽऽ!
ReplyDeleteकुछ-कुछ सही ही तो है यह बात!
Pranam ,
ReplyDelete11 din pahle hi hoti hai.
Mera Blog Padhe: Same matter vistar se milega
www.taarkeshwargiri.blogspot.com
एक दिन ऐसा भी सही ।
ReplyDelete!! सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा !!
ReplyDeletehahaha sahi hai
ReplyDeletewaise ek baat hai...
main kisi pe ungli nahi uthaa raha hoon...jaan na chahta hoon ki auratein KC ka vrat kyu rakhti hain....??
isiliye ki wo chahti hain ki unke pati ki aayu lambi ho aur kyuki wo unhe pyar karti hain??
to kyu nahi vrat maa, baap, bahu, beti, bete ke liye rakhaa jaata....kya kewal pati ki hee lambi aayu chahte hain???
please dont be offended....its just my personal view....i dont mean to hurt anyone!
हा हा हा हा !!
ReplyDeleteहा हा हा ।
ReplyDeleteमजाक न उड़ाइए , आप हंस सकते हैं , मगर वो भूखे प्यासे कौन सा सेलिब्रेशन कर रहे हैं ?
ReplyDeleteफिर भी इस लतीफे पे सब लोग हंस रहे है ...
भूखे-प्यासे.......
ReplyDeleteहा हा हा हा
आज चुटकलों का दिन है.
ये तो "वो जी" जाने की इस भूख-प्यास की कीमत क्या है ..
Aaj hee mujhe bhee kisee ne ye joke sms kiya!
ReplyDeleteशास्त्री जी ..
ReplyDeleteदीपावली से पूर्व एक दिन नहीं ...दीपावली से ११ दिन पूर्व का वरदान दिया था लक्ष्मी जी ने :) :)
बढ़िया रहा यह भी शब्दों का दंगल
वाह शास्त्री जी!....आप ने भी क्या खूब कही!...मजा आ गया
ReplyDeleteसुंदर रचना, सुंदर प्रस्तुति...धन्यवाद! ...दिपावली की शुभ-कामनाएं!
ReplyDeleteबाऊ जी,
ReplyDeleteनमस्ते!
हा हा हा.....
अभी उल्लू नहीं बने हैं!
हा हा हा.....
आशीष
---
पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
शास्त्री जी
ReplyDeleteआपने दुरुस्त फरमाया
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनायें