समलैंगिक सम्बन्धों को मान्यता देने का समाचार पढ़ा तो मन को एक धक्का जैसा लगा और एक आह सी निकल पड़ी। मन के कोने से आवाज आयी- ‘‘हे भगवान! यह देश कहाँ जा रहा है?’’ जगद्गुरू कहलाने वाला भारत आज किस संस्कृति की ओर अग्रसर हो रहा है। हमारे नेतागण तो इसे न्यायालय का बहाना बना कर इस पर कभी कुछ बोलने वाले नही हैं। परन्तु तरस तो उन मा0 न्यायाधीश की बुद्धि पर आता है। जिन्होंने कि बिना कुछ सोचे विचारे विदेशी संस्कृति का सहारा लेकर समलैंगिक सम्बन्धों को बैध ठहरा दिया है। यदि वह प्रकृति का ही सहारा ले लेते तो अच्छा था। कुदरत ने भी विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण का सिद्धान्त अपनाया हुआ है। यदि पशु और पक्षियों की बात करें तो वह भी विपरीत लिंग के प्रति ही आकृष्ट होते हुए पाये जाते हैं। अतः मेरी दृष्टि में समलैंगिक सम्बन्ध- एक दुराचार, अनाचार और भ्रष्टाचार ही है। |
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Friday, 3 July 2009
‘‘ समलैंगिक सम्बन्ध : मेरी दृष्टि में ’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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SHASTRI JI,
ReplyDeleteJUDGE SAHIB KO KHUD EKSI JARURAT HOGI NA.
FIR BHARAT MEIN KANUM WANUN KUCHH NAHI H.
SAMLANGIG BHI USI KA HISSA H.
BAAKI AAP KANTE HI H KI :
CHHIP KAR BHI BAHUT KUCHH HOTA H AUR SHARE AAM BHI.
AAPNE APNE ES MARMIK VISHAY PAR VICHAR VAYAQT KIYE "NAPE TULE SHABDO MEIN" SO SHUKRIYA.
RAMESH SACHDEVA (DIRECTOR)
HPS SENIOR SECONDARY SCHOOL
A SCHOOL WHERE LEARNING & STUDYING @ SPEED OF THOUGHTS
M. DABWALI-125104
HERE DREAMS ARE TAKING SHAPE
PHONE 01668-230327, 229327
MOBILE 09896081327
www.haryanapublicschool.wordpress.com
SHASTRI JI,
ReplyDeleteJUDGE SAHIB KO KHUD EKSI JARURAT HOGI NA.
FIR BHARAT MEIN KANUM WANUN KUCHH NAHI H.
SAMLANGIG BHI USI KA HISSA H.
BAAKI AAP jANTE HI H KI :
CHHIP KAR BHI BAHUT KUCHH HOTA H AUR SHARE AAM BHI.
AAPNE APNE ES MARMIK VISHAY PAR VICHAR VAYAQT KIYE "NAPE TULE SHABDO MEIN" SO SHUKRIYA.
eksi nahi eski padha jaye
ReplyDeletePl. visit "KHAJURAOH,KORNAK TEMPLES",read KAMSUTRA,Even Kinnars have right to sex,so have LGBT.Transgenders as they grow discovers and begin to identify themseves as one of opposite sex to their physical anatomy.,by birth.so there is a genetic component and predisposition to non-conventional (homosexual behavior).some animals also exhibit homosexual behavior,I am talking all this as a science communicator and as the one who has worked for the popularisation of science for over 2decades,have written health columns,Arogya Samachar.sex and sexual behavior and identification of once sexuallity is as basic to life as right to life and equality(gender equality includes).India has been a sex guru for Eons.vatsayan talks and recommends "FELLATIO,MUKH METHUN,ORAL SEX 'in detail in kamsutra.It is not an exaggeration.thanx for yr views and initiating this debate on Hindi Blogs.veeru(virendra sharma,HES-I ,Retd).
ReplyDeleteयदि आप समय निकाल सकें तो समलैंगिकता पर कुछ हमने भी लिखा है, देखिएगा।
ReplyDeleteशास्त्रीजी, आप पुरानी पीढ़ी के लोग इन संबंधों की गहनता और सच्चाई को नहीं समझ पाएंगे। आप लोग तो हर स्वतंत्रता से भय खाते हैं। हर चीज में आपको भारतीय संस्कृति ही दूषित होती मालूम देती है।
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्रीजी,
ReplyDeleteदृष्टिकोण में समग्रता का मिश्रण यदि कर दिया जावे तो वह बदल भी सकता है। चलिये कभी हो सका तो इस पर बातचीत भी करेंगे जी। आभार आपके लेख का।
SIR JI.
ReplyDelete50 VIN POST KE LIYE BAHUT BADHAI HO.
AAPKI POST SE AIDS JAISE ROGO KI ROK-THAAM MEN MADAT MILEGI.
शास्त्री जी!
ReplyDeleteपचासवीं पोस्ट के लिए बधाई।
सीमित लफ्जों में आपने बढ़िया
पोस्ट लिखी है।
50 वीं पोस्ट के लिए शुभ-कामनाएँ।
ReplyDeleteसटीक लिखा है।
बधाई।
sabase pahale ...
ReplyDelete50 vin post ke liye badhai.
It's a very good post.
Many-Many Congratulation to you.
ReplyDeleteon 50th post.
HOMOSEXUAL AAPAS MEN SHADI KAR KE KYA KAR LENGE?
HAAN, AIDS JAROOR PAROSENGE SAMAAJ MEN
DUNIYA TV HUM DARSHAK CHANNEL BADAL TO SAKTE MAGAR BAND NAHIN KAR SAKTE HAR NAI CHEEZ KA SWAGAT HONA CHAHIYE SUDHAR BAAD MEIN HO JAYEGA. LAGATA IS SE APRADHON MEIN KAMI AAYEGI. AAPNE IS VISHAY KO UTHAYA YAHI BAHUT BADI BAAT HAI.VISHAY CHUNANE KE LIYE BADHAAI.MERE BADE BHAI!
ReplyDeleteBahut sahi likha apne. Apke vicharon men dhar hai..badhai.
ReplyDelete________________________________
"शब्द सृजन की ओर" के लिए के. के. यादव !!
बहुत ही जटिल विषय है, इसे कानूनी दण्ड से मुक्त किया जा सकता है किन्तु विवाह सरीखे मान्यता देना गलत होगा।
ReplyDelete
ReplyDeleteयह बह्स बेमानी है, डा० शास्त्री
भावनात्मक जुड़ाव एक अलग चीज है, किंतु...
अच्छा चलिये, किंतु परंतु छोड़ देते हैं, मुद्दे पर आते हैं ।
केवल स्खलन सुख के लिये यह विकृति क्यों स्वीकार किया जाय ?
अप्राकृतिकता का पहले ही हम क्या कम मुआवज़ा दे रहे हैं, कि इस विकृति की पैरवी की जाये ? जिनको हम जानवर कहते हैं, वह भी इससे परहेज़ करते देखे जा सकते हैं . फिर ? फिर ..आप जो भी राय बनायें वह ऎसा ही होगा जैसे 'पैसा आदमी की ज़रूरत है, तो फिर आपराधिक तरीके से धन कमाना भी ज़ायज़ होगा ?'
क्या हम इन मुद्दों पर विमर्श ही करते रहेंगे ? हाँ, जैसे कि मृत्यु या अन्य किसी क्षति पर विलाप कर रोज़मर्रा के कार्य में यह सब भुला बैठते हैं । आवश्यकता भारतीय मूल्यों पर तर्कहीन आधुनिकता थोपे जाने के विरुद्ध उठ खड़े होने की है ।
पर, इससे किसी एन.जी.ओ. का आर्थिक हित या राजनीतिज्ञ के चुनावी हित नहीं सधेंगे । सो, बी इट लाइकवाइज़.. जस्ट अ टापिक आफ़ ड्राइंगरूम टाक ओवर अ कप आफ़ टी ! अफ़सोस.. अफ़सोस.. अफ़सोस !
:) हाँ, अभी तो माँ बहनों की इज़्ज़त की ही चिन्ता रहती है, तब भाई,बेटे के इज़्ज़त की भी गुहार लगानी पड़ेगी ! क्या कहते हैं, बाकी जन ? यदि मेरा बेटा विदेश से एक स्त्रैण पुल्लिंग को ब्याह लाये तो ? :)
satya kah rahe hain!
ReplyDeleteab kya aur kyon to mohar lagaane waale jaane...
ReplyDeletesamlaingingta..........
ReplyDeleteCHHI:
CHHI: CHHI:
GANDI BAAT...................