(चित्र में मेरे मित्र गुरूसहाय भटनागर और मेरे पौत्र-पौत्री)
उत्तराखण्ड के ऊधमसिंहनगर जिले की तहसील खटीमा और सितारगंज थारू जनजाति के आदिवासी क्षेत्र कहलाते हैं।
जब मैं इस क्षेत्र में आया था तो आदिवासी लोगों के मुँह से एक कहानी सुनी थी। आज आपको भी वह कथा सुनाता हूँ।
नानकमत्ता से 6 किमी दूर एक गाँव बिल्कुल जंगल के बीच में बसा हुआ है। पुराने समय में कुछ लोगों ने खेत में एक गाय का बच्चा देखा। यह बहुत सुन्दर था और इसका रंग बिल्कुल सफेद था। जैसे ही लोग इसके पास गये तो यह पत्थर का हो गया। लोगों ने इसे उठाने का बड़ा प्रयास किया लेकिन यह टस से मस भी नही हुआ। थक हार कर लोगों ने इसे वहीं पर छोड़ दिया।
अगले दिन यह बछड़ा फिर किसी दूसरे खेत में दिखाई दिया। लोग जैसे ही इसके पास गये। यह फिर पत्थर का बन गया। लोगो ने इसे फिर उठाने की कोशिश की परन्तु यह कई लोगों के जोर लगाने पर भी नही उठा। तभी एक बालिका ने शिव आराधना की और इसे उठाया तो यह उसके हाथों से ऐसे उठ गया जैसे कि कोई प्लास्टिक का खिलौना हो।
अन्ततः इस बालिका ने इसे एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित कर दिया। इस स्थान को नन्दीश्वर महादेव का नाम दिया गया। कालान्तर में यहाँ प्राचीन नन्दीश्वर महादेव का मन्दिर बना दिया गया।
कई वर्षों तक तो मुझे इस कहानी पर यकीन ही नही हुआ। लेकिन मन में यह इच्छा बनी रही कि इस स्थान को देखना अवश्य चाहिए।
अतः इस वर्ष महा शिवरात्रि के अवसर पर हम लोग इसके दर्शन करने के लिए गये।
अब यहाँ जाने लिए पक्की सड़क बना दी गयी है। इसके इर्द-गिर्द एक गाँव भी बस गया है।
प्रतिवर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहाँ मेला लगता है जिसमें काफी श्रद्धालू यहाँ पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।
यहाँ शुद्ध दूध और शुद्ध घी चढ़ाया जाता है। प्रसाद के रूप में प्रतिदिन इस दूध की खीर बनाई जाती है तथा भक्तों को खिलाई जाती है।
यहाँ जो घी चढ़ाया जात है उससे नानकमत्ता गुरूद्वारा में कड़ाह-प्रसाद बनाया जाता है।
इस स्थान पर जाने पर मुझे इस कहानी पर विश्वास हो चला है।
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अच्छी जानकारी दे रहे हैं. चित्र भी बिलकुल सजीव लग रहा है. साधुवाद.
ReplyDeleteसुन्दर जानकारी और चित्र के लिए धन्यवाद, शास्त्री जी. वैसे तो हम आपके पडोसी (बरेलवी) ही हैं मगर उस तरफ कभी इतना जाना नहीं हो सका.
ReplyDeleteबम भोले!
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1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
बडिया जानकारी के लिये धन्यवाद्
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