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Wednesday, 6 January 2010

“कहीं धूप, कहीं छाया” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

पहले हमारे यहाँ कहावत थी-
"ठण्डो पाणी पीणे पहाड़ मा जाओ,
घाम सेकणें मैदान मा जाओ।"
लेकिन आज ये कहावत विल्कुल
उलटी हो गयी है।
अब तो-
" घाम सेकणें पहाड़ मा जाओ,
ठण्डो पाणी पीणे मैदान मा जाओ।"

इस बार की सरदी से जन-जीवन ठप्प

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नैनीताल में खिली हुई गुनगुनी धूप
मगर मैदानी-क्षेत्रों में कुहरे की चादर गहराई।
हे प्रभो! अजब है माया,
कहीं धूप, कहीं छाया।।

ठण्ड की मार के कारण उत्तराखण्ड के
कक्षा-एक से कक्षा नौ तक के छात्र-छात्राओं के विद्यालय
15 जनवरी तक ले लिए बन्द करने का
उत्तराखण्ड सरकार का आदेश जारी।
IMG_0671
(दैनिक अमर उजाला, 06-01-2010)
अनुमान है कि इस बार बसन्त-पञ्चमी
के बाद तक भी जाड़े की मार जारी रहेगी।

17 comments:

  1. एक बार तो ऐसा लगा मानो फ़ाइल फोटो दिखाया गया है . अब तो वसंत पंचमी की प्रतीक्षा है, मयंक जी !

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  2. मैं भी बहुत सालो से यह बात नोट कर रहा था की अक्सर जब सर्दियों में मैदानी भागो में कुहरा छाया रहता है तो पहाडो पर खूब धुप खिलती है !

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  3. कोलकाता में धूप खिली है।

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  4. दिल्ली मे भी कुहरा था पर अब नही --

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  5. Is baat kaa anubhav maine bhee kiya hai! Pahadiyon me gunguni dhoop badee achhee lagtee hai..gar apne priy jan saath hon!

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  6. अजी सर्दी तो हर साल ऎसे ही पडती है, लेकिन हम भुल जाते है, चलिये शायद इस साल थोडी ज्यादा पड रही है, फ़ोटो बहुत सुंदर लगी

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  7. ठंड देखे हुए तो एक जमाना बीत गया है। थोड़ी मुम्बई की तरफ भी भेजिए।
    घुघूती बासूती

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  8. आज अख़बारों के मुख्य समाचार में था ...जयपुर शिमला से भी यदा ठंडा ...!!

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  9. aaj to delhi mein kohre ki chadar bichhi huyi hai......hill station ka mazaa delhi mein.

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  10. ग्लोबल वार्मिंग जो न दिखादे वो कम है :)

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  11. सर्दी हो या गर्मी, हमें तो पहाड़ों की हवा हमेशा ही बड़ी अच्छी लगती है , शास्त्री जी।
    शुद्ध जो होती है। प्रदुषण रहित।

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  12. shastri ji...
    bahut sahi kaha aapne...aajkal to maindaani ilaakon mein itni thand hei ki ghar se bahar nikalna mushkil ho jaata hai...

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  13. जाड़े से इतना क्‍यों डरते डराते हैं
    जाड़े ही तो सुहाना वसंत लाते हैं।

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  14. मेरे ख्याल से इस साल सभी जगह काफी ठण्ड पड़ा है! ठण्ड का मौसम सभी को भाता है और आनंद मिलता है!

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  15. बसन्त पँचमी के बाद तक? मंयक जी तब तक तो कुलफी जम जायेगी अपनी। शुभकामनायें

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