पहले हमारे यहाँ कहावत थी- "ठण्डो पाणी पीणे पहाड़ मा जाओ, घाम सेकणें मैदान मा जाओ।" लेकिन आज ये कहावत विल्कुल उलटी हो गयी है। अब तो- " घाम सेकणें पहाड़ मा जाओ, ठण्डो पाणी पीणे मैदान मा जाओ।" इस बार की सरदी से जन-जीवन ठप्प नैनीताल में खिली हुई गुनगुनी धूप मगर मैदानी-क्षेत्रों में कुहरे की चादर गहराई। हे प्रभो! अजब है माया, कहीं धूप, कहीं छाया।। ठण्ड की मार के कारण उत्तराखण्ड के कक्षा-एक से कक्षा नौ तक के छात्र-छात्राओं के विद्यालय 15 जनवरी तक ले लिए बन्द करने का उत्तराखण्ड सरकार का आदेश जारी। (दैनिक अमर उजाला, 06-01-2010) अनुमान है कि इस बार बसन्त-पञ्चमी के बाद तक भी जाड़े की मार जारी रहेगी।
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एक बार तो ऐसा लगा मानो फ़ाइल फोटो दिखाया गया है . अब तो वसंत पंचमी की प्रतीक्षा है, मयंक जी !
ReplyDeletelekin pune me thand nahi
ReplyDeleteमैं भी बहुत सालो से यह बात नोट कर रहा था की अक्सर जब सर्दियों में मैदानी भागो में कुहरा छाया रहता है तो पहाडो पर खूब धुप खिलती है !
ReplyDeleteकोलकाता में धूप खिली है।
ReplyDeleteदिल्ली मे भी कुहरा था पर अब नही --
ReplyDeleteIs baat kaa anubhav maine bhee kiya hai! Pahadiyon me gunguni dhoop badee achhee lagtee hai..gar apne priy jan saath hon!
ReplyDeleteअजी सर्दी तो हर साल ऎसे ही पडती है, लेकिन हम भुल जाते है, चलिये शायद इस साल थोडी ज्यादा पड रही है, फ़ोटो बहुत सुंदर लगी
ReplyDeleteठंड देखे हुए तो एक जमाना बीत गया है। थोड़ी मुम्बई की तरफ भी भेजिए।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आज अख़बारों के मुख्य समाचार में था ...जयपुर शिमला से भी यदा ठंडा ...!!
ReplyDeleteaaj to delhi mein kohre ki chadar bichhi huyi hai......hill station ka mazaa delhi mein.
ReplyDeleteग्लोबल वार्मिंग जो न दिखादे वो कम है :)
ReplyDeleteसर्दी हो या गर्मी, हमें तो पहाड़ों की हवा हमेशा ही बड़ी अच्छी लगती है , शास्त्री जी।
ReplyDeleteशुद्ध जो होती है। प्रदुषण रहित।
shastri ji...
ReplyDeletebahut sahi kaha aapne...aajkal to maindaani ilaakon mein itni thand hei ki ghar se bahar nikalna mushkil ho jaata hai...
अब तो मौसम सुहावना हो गया है, जी!
ReplyDeleteओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"
जाड़े से इतना क्यों डरते डराते हैं
ReplyDeleteजाड़े ही तो सुहाना वसंत लाते हैं।
मेरे ख्याल से इस साल सभी जगह काफी ठण्ड पड़ा है! ठण्ड का मौसम सभी को भाता है और आनंद मिलता है!
ReplyDeleteबसन्त पँचमी के बाद तक? मंयक जी तब तक तो कुलफी जम जायेगी अपनी। शुभकामनायें
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