हँसता उपवन (डॉ प्रीत अरोड़ा)
वैसे तो बहुत से रचनाधर्मी लम्बे समय से साहित्य सृजन कर रहे हैं लेकिन डॉ. प्रीत अरोड़ा ने बहुत कम समय में ही गद्य और पद्य दोनों में अपनी पहचान बनायी है।
आज मुझे अपने मेल पर उनकी बालकृति “हँसता उपवन” की पाण्डुलिपि की फाइल मिली तो मुझे अतीव प्रसन्नता हुई और मुझे अब यह कहने में भी संकोच नहीं है कि डॉ प्रीत अरोड़ा की लेखनी बालसाहित्य में भी समानरूप से चलती है। जिसका प्रमाण उनकी बालकृति “हँसता उपवन” है। जिससे उनके लेखन से बालसाहित्य में आशाएँ उभरतीं है।
उदाहरण के लिए उनकी बाल रचना “मेला सब्जियों का” में पूरी सब्जी मण्डी का चित्र आँखों के सामने दृष्टिगोचर हो जाता है-
“देखो बैंगन राजा आया
सिर पर ताज लगाकर
मन ही मन मुस्कुराया
ढम – ढम करता कद्दू आया
करेले , भिंडी ने नाच दिखाया”
इस बालकृति की एक और रचना “प्यारी माँ” में माता की ममता को कवयित्रि ने बहुत ही उपदेशात्मक ढंग से कविता में पिरोया है-
“प्यारी माँ , दुलारी माँ
सबसे न्यारी हमारी माँ
पुचकारती , खूब लाड – लडाती
रोज सुबह हमें उठाती
नहा – धोकर तिलक लगाती
और हमें पूजा – पाठ सिखाती”
पुस्तक की पाण्डुलिपि को पढ़ने के उपरान्त मैंने यह अनुभव किया है कि डॉ प्रीत अरोड़ा की रचनाओं में एक सन्देश होता है-
उदाहरणस्वरूप उनकी “किताबों की दुनिया” में यह रचना है-
“किताबों का एक अनोखा संसार है
जिसमे ज्ञान का अक्षय भण्डार है
मानों या न मानों
किताबों से ही जीवन में बहार है”
इसी काव्य संग्रह से उनकी एक और कविता भी देखिए- हरे - भरे पेड़...
“हरे भरे घने ये पेड़
धरती पर शीतलता बरसाते
गर्मी , धूप और बरसात में भी
हमें सुखद एहसास करवाते”
आज मुझे सबसे ज्यादा प्रसन्नता का अनुभव उस समय हुआ जब यह बाल कृति मुद्रित होकर मेरे पास जीते-जागते कलेवर में डाक से प्राप्त हुई।
बालकवयित्री के रूप में उदित हुई डॉ. प्रीत अरोड़ा ने अपनी बालकृति “हँसता उपवन” में जहाँ बच्चों की मनपसन्द कविताओं गुड़ियारानी, बन्दरमामा, रेलगाड़ी, चन्दामामा, नानी, बिल्लीरानी आदि को स्थान दिया है वहीं शिक्षाप्रद विषयों स्कूल, पेड़, किताबों की दुनिया, भारतदेश आदि को भी लिया है।
डॉ.प्रीत अरोड़ा की बालकृति “हँसता उपवन” में बालसाहित्य की सभी मर्यादाओं का निर्वहन किया गया है। कुल मिला कर मैं यह कह सकता हूँ कि यह काव्य संग्रह बच्चों के ही लिए नहीं अपितु बड़ों के भी लिए उपयोगी है। यह केवल पठनीय ही नहीं अपितु विभिन्न संस्थानों के पुस्तकालयों में संग्रहणीय भी है।
मुझे पूरा विश्वास है कि डॉ. प्रीत अरोड़ा की इस बालकृति से बच्चे अवश्य लाभान्वित होंगे तथा समीक्षकों की दृष्टि से भी यह काव्यसंकलन उपादेय सिद्ध होगा।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
कवि एवं साहित्यकार
टनकपुर-रोड, खटीमा
जिला-ऊधमसिंहनगर (उत्तराखण्ड) 262 308
E-Mail . roopchandrashastri@gmail.com
फोन-(05943) 250129
मोबाइल-0997996437, 07417619828
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सुंदर समीक्षा । लेखिका को शुभकामनाऐं ।
ReplyDeleteसुन्दर, सटीक और सन्तुलित समीक्षा के लिए आदरणीय शास्त्री जी को कोटि-कोटि धन्यवाद।
ReplyDeleteबालकृति “हँसता उपवन” की सफलता के लिए डॉ. प्रीत अरोड़ा को
विशेष धन्यवाद एवं शुभकामनाएं।
..आनन्द विश्वास
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