खटीमा की सड़कों में दिल्ली जैसी भीड़-भाड़ रहती है। मोटर साइकिलों ने साधारण साइकिलों को तो मात दे दी है लेकिन आज तो मोटर साइकिलों के चक्के जाम हो गये हैं। आज दोपहर को 1 बजे भी मेरे घर के सामने पिथौरागढ़ राष्ट्रीय-राजमार्ग पर केवल इक्का-दुक्का साइकिल ही नजर आ रहीं हैं। |
समर्थक
Tuesday, 12 January 2010
"कितना कुहरा है?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत ठंड है जी!!
ReplyDeleteसूरज की रौशनी ज्यू करती कोहरे को दूर
ReplyDeleteमन उजास कर सके रंजिशों को भी दूर ...!!
जब समीर भाई ने घोषित कर दिया कि बहुत ठंड है ( उनके यहाँ आज का तापमान शून्य से सात अंश कम था ) तो फिर हमें भी अनुमोदन करना ही पड़ेगा. हमारे यहाँ सुबह आफ़िस जाते समय केवल सून्य से ९ अंश नीचे था. आपको सुखद गर्मी की शुभकामनायें
ReplyDeleteइस ठण्ड में सूरज की अनुपस्थिति का आभास हो रहा है।
ReplyDeleteइसीलिए लोग सूर्य देवता को नमस्कार करते हैं।
हर जगह ठंड अपने चरम सीमा पर है..बस कुछ दिन बचाने की ज़रूरत है..
ReplyDeleteहां इस बार ठंड कुछ ज्यादा ही है।
ReplyDeleteइस समय सब जगह सर्दी का यही आलम है ।
ReplyDeleteऔर दो चार दिनों का ही तो इंतजार करना है .. इतना तो झेलना ही चाहिए !!
ReplyDeleteshastri ji....thand ke mazze lijiye...
ReplyDeletejab sangeeta ji kah rahi hain to itna intzaar to karna hi padega jahan itni jhel li 2-4 din aur sahi........baki thand to sab jagah jam ke pad rahi hai.
ReplyDeleteआपके इस सजीव शब्दचित्र ने दुष्यंत जी की पंक्तिया याद दिला दी। हालांकि उसका इस आलेख से कोई मेल नहीं है, फिर भी पेश करने का मन हो गया
ReplyDeleteमत कहो आकश में कुहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ।
कोहरा है कि छँटता ही नहीं ... ... .
ReplyDeleteठंडक का प्रकोप घटता ही नहीं ... ... .
लगता है चाहिए रवि को भी धूप,
जिससे झलकता हो तुम्हारा ही रूप!
pune me thand hi nahi....aur bahar ghana kohra hai, malik kee ajab mayaa.......
ReplyDeleteमकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! आपके वहां जितना अधिक ठण्ड है उतना ही अधिक गर्मी पांडिचेरी में है अभी!