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Tuesday, 12 January 2010

"कितना कुहरा है?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

कुहरा है कि छँटता ही नही!

आज मेरे शहर का सबसे ठण्डा दिन है।
खटीमा की सड़कों में दिल्ली जैसी भीड़-भाड़ रहती है।
मोटर साइकिलों ने साधारण साइकिलों को तो मात दे दी है
लेकिन आज तो मोटर साइकिलों के चक्के जाम हो गये हैं।
आज दोपहर को 1 बजे भी मेरे घर के सामने
पिथौरागढ़ राष्ट्रीय-राजमार्ग पर
केवल इक्का-दुक्का साइकिल ही
नजर आ रहीं हैं।
क्या हम फिर से पिछली सदी में लौट आये हैं?ओह कितना कुहरा है?
आज दोपहर तक तो सूरज की आस में
ठिठुरते हुए समय गुजार दिया।
चलो अब तसले में आग जला कर हाथ-पैर सेंक लेते हैं।

14 comments:

  1. बहुत ठंड है जी!!

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  2. सूरज की रौशनी ज्यू करती कोहरे को दूर
    मन उजास कर सके रंजिशों को भी दूर ...!!

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  3. जब समीर भाई ने घोषित कर दिया कि बहुत ठंड है ( उनके यहाँ आज का तापमान शून्य से सात अंश कम था ) तो फिर हमें भी अनुमोदन करना ही पड़ेगा. हमारे यहाँ सुबह आफ़िस जाते समय केवल सून्य से ९ अंश नीचे था. आपको सुखद गर्मी की शुभकामनायें

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  4. इस ठण्ड में सूरज की अनुपस्थिति का आभास हो रहा है।
    इसीलिए लोग सूर्य देवता को नमस्कार करते हैं।

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  5. हर जगह ठंड अपने चरम सीमा पर है..बस कुछ दिन बचाने की ज़रूरत है..

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  6. हां इस बार ठंड कुछ ज्यादा ही है।

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  7. इस समय सब जगह सर्दी का यही आलम है ।

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  8. और दो चार दिनों का ही तो इंतजार करना है .. इतना तो झेलना ही चाहिए !!

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  9. jab sangeeta ji kah rahi hain to itna intzaar to karna hi padega jahan itni jhel li 2-4 din aur sahi........baki thand to sab jagah jam ke pad rahi hai.

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  10. आपके इस सजीव शब्दचित्र ने दुष्यंत जी की पंक्तिया याद दिला दी। हालांकि उसका इस आलेख से कोई मेल नहीं है, फिर भी पेश करने का मन हो गया
    मत कहो आकश में कुहरा घना है,
    यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ।

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  11. कोहरा है कि छँटता ही नहीं ... ... .
    ठंडक का प्रकोप घटता ही नहीं ... ... .

    लगता है चाहिए रवि को भी धूप,
    जिससे झलकता हो तुम्हारा ही रूप!

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  12. pune me thand hi nahi....aur bahar ghana kohra hai, malik kee ajab mayaa.......

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  13. मकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!
    बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! आपके वहां जितना अधिक ठण्ड है उतना ही अधिक गर्मी पांडिचेरी में है अभी!

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