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Monday 30 August 2010

“पहाड़ी मनीहार” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“पहाड़ी मनीहार” 
IMG_2048आज सुबह–सुबह मेरे आयुर्वेदिक चिकित्सालय में गठिया-वात का इलाज कराने के लिए जाहिद हुसैन पधारे!
जाहिद हुसैन जब अपनी औषधि ले चुके तो मुझसे बोले - “सर! आप देसी हैं या पहाड़ी हैं।”
मैंने उत्तर दिया - “35 साल से ज्यादा समय से तो यहीँ पहाड़ की तराई में रह रहा हूँ। फिर यह देशी-पहाड़ी की बात कहाँ से आ गई?”
अब मुझे भी जाहिद हुसैन के बारे में जानने की उत्सुकता हुई! मैंने इनसे पूछा- “अच्छा अब तुम यह बतलाओ कि तुम देशी हो या पहाड़ी।”
IMG_2046 जाहिद हुसैन ने कहा- “सर जी! हम तो पहाड़ी हैं।”
अब चौंकने की बारी मेरी थी।
मैंने इनसे पूछा- “अच्छा तो यह बतलाइए कि तुम्हारे घर में आपस में सब लोग पहाड़ी भाषा में बात करते हैं या मैदानी भाषा में।”
जाहिद हुसैन ने बतलाया- “सर जी! हम लोग घर में आपस में पहाड़ी भाषा में बात-चीत करते हैं।”
मैंने पूछा- “तो क्या तुम मूल निवासी पहाड़ के ही हो?”
जाहिद हुसैन ने कहा- “सर जी! हमारे पुरखे यानि 5-7 पीढ़ी पहले के लोग राजस्थान के रहने वाले थे। जो बाद में दिल्ली में आकर बस गये थे। आपने गली मनीहारान का नाम सुना होगा। आज भी हमार बहुत से रिश्तेदार वहीं रहते हैं।
कुमाऊँ के चन्द राजा की शादी राजस्थान में हुई थी। उनकी दुल्हिन रानी रानी साहिबा को चूड़ी पहनाने के लिए मनीहार के रूप में हम लोग साथ आये थे।”
मैंने पूछा कि तुम्हारे पूर्वज चूड़ी पहनाने के बाद वापिस राजस्तान या दिल्ली क्यों नहीं चले गये थे?
जाहिद हुसैन ने कहा- “सर जी! राजे-महाराजों की बात आप क्या पूछते हो? रानी को हमारे पुरखे सुबह को चूड़ियाँ पहनाते थे रात को रनिवास में राजा के साथ रास लीला में रानी की चूड़ियाँ टूट जाती थीं तो सुबह को फिर रानी नई चूड़ियाँ पहनती थी।”
उसने आगे कहा- “इसलिए तत्कालीन  चन्द राजा ने स्थायीरूप से कुछ मनीहारों को दिल्ली से पहाड़ में बुला लिया और उनके रहने के लिए एक गाँव और उसके आस-पास का इलाका खेती करने के लिए दे दिया।”
मैंने पूछा- “जाहिद हुसैन! क्या आज भी पहाड़ में आपका कोई गाँव है?”
जाहिद हुसैन ने फरमाया- “जी सर! चम्पावत से 7 किमी आगे लोहाघाट की ओर पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राज मार्ग-125 पर “खूना मलिक” के नाम से एक गाँव है। वही हमारा प्राचीन पहाड़ी गाँव है। जिसमें आज भी केवल मनीहार लोग ही निवास करते हैं ।”
अच्छा जाहिद हुसैन यह बतलाओ कि टनकपुर के पास “मनीहार-गोठ” के नाम से जो आपका गाँव है उसका इतिहास क्या है?
जाहिद हुसैन ने कहा- “सर जी! पहले पहाड़ों पर आने-जाने के साधन नहीं थे। इसलिए हम लोग जब अपने मूल निवास राजस्थान जाया करते थे तो पहाड़ से नीचे मैदान में आने पर 1-2 दिन यहाँ आराम किया करते थे। बाद में इसका नाम मनीहार-गोठ पड़ गया और इसके आस-पास की भूमि पर हमारे पुरखे खेती करने लगे। आज भी हर एक मनीहार परिवार की भूमि और घर “मनीहार-गोठ” और “खूना मलिक” में भी है।”
"इसीलिए सर! मैंने आपको बतलाया है कि हम लोग पहाड़ी हैं और इस्लाम मज़हब को मानने वाले हैं।”

Monday 23 August 2010

“अश्रुपूरित-श्रद्धाञ्जलि” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

उत्तराखण्ड आन्दोलन के संवाहक 
गिरीश तिवारी "गिर्दा" नहीं रहे!
श्रद्धाञ्जलि में प्रस्तुत हैं- 
अमर उजाला, नैनीताल में छपी
23 अगस्त, 2010 की कवरेज!


गिरीश तिवारी "गिर्दा"

को शत्-शत् नमन!

Wednesday 18 August 2010

"नेता जी सुभाष चन्द्र बोस हैं?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों! 
18 अगस्त, 1945 को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई थी?
यह तथ्य तो कुछ और ही बयान करते हैं-
1- ब्रिटिश पार्ल्यामेंट  में मि. एटिली (तत्कालीन प्रधानमंत्री) ने 18 अगस्त, 1945 में कहा था कि उनका भारतीय नेताओं से समझौता हो चुका है कि  नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के पकड़े जाने पर उन्हें ब्रिटिश सरकार के हवाले कर दिया जायेगा!
2- 1948 में मास्को में दार्शनिक सम्मेलन में भाग लेने गये (पूर्व राष्ट्रपति) भारत के प्रख्यात दार्शनिक सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मुलाकात नेता जी सुभाष चन्द्र बोस  से हुई थी!
3- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस तिब्बत में एकनाथलाता के रूप में 1960 में रहे!
4- श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित की मुलाकात 1948 में रूस में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस  से हुई थी! उस समय वे भारत की विदेश मंत्री थी! शांताक्रूज हवाई अड्डे पर उन्होंने यह घोषणा की थी कि वह भारतवासियों के लिए एक अच्छी खबर लाई हैं परन्तु नेहरू जी के दबाव में आकर उन्होंने जीवनभर अपनी जबान नहीं खोली!
5- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस 1960 से 1970 तक शारदानन्द के रूप में प.बंगाल में शौलमारी आश्रम में रहे!
6- नेता जी 1964 में नेहरू जी की मत्यु के बाद उनके शव के साथ देखे गये थे!


1944-45

27 मई 1964

???
7- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस 1971 में काँग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इन्दिरा जी के साथ देखे गये!
8- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस गुमनामी बाबा के रूप में फैजाबाद में 1985 तक रहे!
9- तेरह मई,1962 को नेहरू जी ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के बड़े बाई श्री सुरेशचन्द्र बोस को पत्र क्रमांक-704, पी.एम. / 62 में लिखा था कि हमारे पास  नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु का कोई प्रमाण नही है!
10- कस्बा पूरनपुर जनपद-पीलीभीत में 15 फरवरी 2009 को भारतीय सुभाष सेना के संस्थापक परम पूज्य महान संत सम्राट सुभाष जी द्वारा यह घोषणा की गई थी कि वे ही   नेता जी सुभाष चन्द्र बोस हैं!

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को सादर नमन!

Wednesday 11 August 2010

“मेरे ब्लॉग आसानी से खुलने लगे हैं” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों!
"अपनीवाणी”  और  “हमारीवाणी” नाम के एग्रीगेटर का मोनोग्राम मैंने अपने निम्न ब्लॉगों पर लगा लिया था।
जिसके कारण मेरे ये सभी ब्लॉग खुलने बन्द हो गये थे।
भगवान 
ताऊ रामपुरिया का भला करें कि उन्होंने मुझे यह मेल कर दी-

निम्न संदेश आ रहा है.

सादर
ताऊ

Warning: Visiting this site may harm your computer!
The website at charchamanch.blogspot.com contains elements from the sitewww.apnivani.com, which appears to host malware – software that can hurt your computer or otherwise operate without your consent. Just visiting a site that contains malware can infect your computer.


इस सन्देश के बाद मैंने 
"अपनीवाणी”  और  “हमारीवाणी” नाम के एग्रीगेटर के मोनोग्राम अपने सभी ब्लॉगों से हटा दिये हैं और कम्प्यूटर को एण्टीवायरस से स्कैन कर लिया है।
अतः मेरे निम्न ब्लॉग खुलने में अब कोई समस्या नही हो रही है।


Wednesday 4 August 2010

“सौ बरस की जिन्दगी” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो उन्होंने सबसे पहले 4 जीव बनाए।
1- मनुष्य, 2- बैल 3- कुत्ता और 5- उल्लू ।
इन चारों में प्रत्येक की आयु भी 40-40 वर्ष निर्धारित कर दी।
अब इन प्राणियों में विचार मंथन शुरू हुआ तो मनुष्य सोचने लगा कि मेरी आयु तो 40 वर्ष बहुत ही कम है।
बैल, कुत्ता और उल्लू 40 वर्ष की आयु देखकर तो बहुत ही घबड़ा गए।
सबसे पहले बैल ब्रह्मा जी के पास जाकर बोला- “महाराज 40 वर्ष की आयु तो मेरे लिए बहुत ही दुखदायक होगी। कृपा करके मेरी आयु कुछ कम कर दीजिए। 
उसको तुम्हारे साथी की आयु के खाते में लिख दिया जाएगा।
बैल की आयु लेने से जब सबने इन्कार कर दिया तो मनुष्य से लोभ संवरण नही हुआ और उसने बैल की आधी आयु को स्वीकार कर लिया।
अब कुत्ता ब्रह्मा जी के पास जाकर बोला- “महाराज  कृपा करके मेरी आयु कुछ कम कर दीजिए।
ब्रह्मा जी ने कहा – “तुम भी अपने किसी साथी से पूछ लो। यदि वह इसमें से कुछ ले लेता है तो तुम्हारी भी कम कर दी जायेगी।”
कुत्ते की आयु लेने से भी सबने इन्कार कर दिया तो लेकिन मनुष्य ने कुत्ते की भी आधी आयु को स्वीकार कर लिया।
अब उल्लू ब्रह्मा जी के पास जाकर बोला- “महाराज  मेरी आयु कुछ कम कर दीजिए।
ब्रह्मा जी ने कहा – “तुम भी मनुष्य से पूछ लो। यदि वह इसमें से कुछ ले लेता है तो तुम्हारी भी कम कर दी जायेगी।”
अन्ततः मनुष्य ने उल्लू की भी आधी आयु को स्वीकार कर लिया।
इस प्रकार मनुष्य की आयु 100 वर्ष की हो गई।
सच पूछा जाए तो मनुष्य की अपनी आयु मात्र 40 वर्ष की है! जिसमें वह खेलने-कूदने, पढने-लिखने से लेकर धनोपार्जन और सन्तानोत्पत्ति तक करता है।
40 के बाद उसका बैल का जीवन शुरू हो जाता है। सन्तान का लालन-पालन और गृहस्थी की गाड़ी को मनुष्य खींचने लगता है।
जब आयु 60 की हो जाती है तो सरकारी सेवा से भी मुक्ति मिल जाती है। पुत्र-पौत्रों का व्यवहार भी बदल जाता है। नाश्ता जल्दी खाने का मन है तो बच्चे कह देते है कि पिता जी आपको दफ्तर थोड़े ही जाना है, आप बाद में आराम से खाते रहना, आदि-आदि!
यह कुत्ते की आयु होती है!
जब आयु 80 की हो जाती है तो सन्यास आश्रम का शुभारम्भ हो जाता है। उल्लू की भाँति रात में नींद नही आती है!
यह पौराणिक गाथा मनुष्य के जीवन पर विल्कुल सटीक बैठती है!