उसके मन में बहुत कुंठाए थीं, जिसके कारण मेरा छोटा पुत्र लगभग मानसिक रोगी हो गया था। कभी दिल में दर्द तो कभी उसके सिर में भयंकर दर्द हो जाता था। वह बहुत दिनों से मन में दबाए हुए बैठा था कि कैसे वह अपना राज़ परिवार वालों के साथ साझा करे।
लेकिन एक दिन मैंने प्यार से उससे पूछ ही लिया कि बेटा क्या बात है जो तुम युवावस्था में इतने परेशान रहते हो।
उसने कहा- “पापा पहले यह बताओ कि मेरी बात सुनकर आप मुझे घर से तो निकाल नहीं दोगे।“
बेटे ने उत्तर दिया- “पापा मैंने दो साल पहले 2 फरवरी, 2010 को आर्य समाज, पीलीभीत में शादी कर ली है और उसके बाद हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत सितारगंज फैमिली कोर्ट से अपने विवाह को पंजीकृत भी करा लिया है।“
मैंने सहजभाव से पुत्र विनीत के निर्णय को स्वीकार कर लिया और उसे बधाई दी। अब मैंने पूछा कि हमारी बहू कौन है और क्या करती है. कहाँ की रहने वाली है?
विनीत ने बताया कि पापा! वह इंजीनियर है। उसका नाम पल्लवी है, रुड़की की रहने वाली है और देहरादून में मैनेजमेंट के किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाती है।
इस पर मैंने विनीत से कहा कि बेटा! पल्लवी को शीघ्र ही यहाँ बुला लो। मेरी बात मानकर उसने पल्लवी को घर पर बुला लिया है।
विनीत की मम्मी जी ने थोड़ा सा विरोध तो अवश्य किया लेकिन अब उन्होंने भी पल्लवी को अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया है। हमारे घर में तो खुशियाँ अनायास ही खुद-ब-खुद चल कर आ गईं हैं।
सोच रहा हूँ कि इनकी वैवाहिक वर्षगाँठ पर पूरे शहरभर का प्रीतिभोज करके दोनों के विवाह को सामाजिक मान्यता भी दिला दूँ!
बेटी के रूप में मिली पुत्रवधु "पल्लवी"
पुत्रवधु को आशीर्वाद देते हुए हम पति-पत्नी
विनीत ने परिवार की मौजूदगी में पल्लवी को अँगूठी पहनाई।
पल्लवी की सासू माँ
विनीत से अपनी बहू की माँग भरवाती हुई।
सुहाग का प्रतीक विछुए पहनाई हुई श्रीमती अमर भारती
अब पैरों में पायल भी तो पहनानी थी।
श्रीमती अमर भारती अपने गोत्र "गरुड़िया" का नाम लेकर
दोनों का सिरजोड़ा करके अपने गोत्र में मिलाती हुई
अपनी दादी सासू के साथ श्रीमती पल्लवी
हम दोनों ने वस्त्र और आभूषण देकर
पल्लवी को अपनी पुत्रवधु के रूप में स्वीकार कर लिया!
ममता की भेंट लिये कब से खड़े हैं ,
ReplyDeleteसुनने को तुम्हारे मृदु पगों की रुनझुन ,
पधारो प्रिय पुत्र-वधू !
शुभकामना
ReplyDeleteBete ke vivah par maa pita ka sneh bahut hee prashnsniya hai... Bahu beta ghar parivar me prem kee jyoti jalayen.. aur sukhi vaivahik jiwan ho... var vadhu ko shubhkaamnayen... Shastri ji aur Amar Bharti ji ko badhai..
ReplyDeletehardik mangal kaamnaayen.....
ReplyDeleteचि विनीत और आयुष्मती पल्लवी को बहुत बहुत बधाई । आपने वधु को अपनाकर सही काम किया शास्त्री जी ।
ReplyDeleteनव विवाहित युगल को हार्दिक शुभकामनायें ।
सचमुच जीवन में छाएगा, फिर से वासंती शृंगार!
ReplyDeleteआदर्श प्रस्तुत किया है आपने.
ReplyDeleteशास्त्री जी, इस शुभ अवसर पर आपको बधाई और वर-वधू को आशीर्वाद! ईश्वर उनका वैवाहिक जीवन सफल करे!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteबहुत बधाई !
ReplyDeleteMubarak ho.
ReplyDeleteAapne bahut achha faisla liya .
बधाई ...
ReplyDeleteअनुकरणीय है यह प्रसंग
शास्त्री जी,सही फैसला लिया,शुभकामनाएं,बधाई
ReplyDeleteबधाई ||
ReplyDeleteशुभकामनाएं ||
आपका फैसला सराहनीय हें ---नव जोड़े को शुभकामनाए ---- पर शास्त्री जी वीनित को गुपचुप विवाह करने की क्या जरूरत थी ? --यह बात भी स्पष्ट होती तो अच्छा रहता ...! वैसे आपको भी बहुत -बहुत शुभकामनाए ........
ReplyDeletebahut bahut badhaai.aap ne putra,bahu ko apnaya usko parivaar ke rasmo rivaaz se apnaya bhut shreshth kaam kiya hum logon ki najron me aap aur uooche uth gaye.beta bahu ko humara aashirvaad.aap donon ko dheron badhaaiyan.ab to aap dehradun jaroor aayenge.milna mat bhooliyega.
ReplyDeleteप्रेम विवाह करने वालों को दुनिया भर की तकलीफें झेलनी पडती है.... घर परिवार का विरोध झेलना पडता है, इन बातों को मैं अच्छी तरह समझ सकता हूं...... पर आपने सहर्ष अपने बेटे के प्रेम विवाह को मान्यता देकर उनको अपनाया, ये एक अनुकरणीय उदाहरण है.... बधाई हो आपको और नवयुगल जोडे को शुभकामनाएं........
ReplyDeleteशुभकामनायें ..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.com
अनुकरणीय फैसला.. बधाई और शुभकामनायें ...
ReplyDeleteआपका फैसला सही है।
ReplyDeleteपुत्र और पुत्रवधु को ढेर सारी शुभकामनाएं.
विनीत और पल्लवी को बहुत बहुत बधाई । आपने वक्त के साथ सही निर्णय लिया शास्त्री जी ।
ReplyDeleteनव विवाहित युगल को हार्दिक शुभकामनायें ।
anukariniya pahal ki hai aapne..
ReplyDeletenav dampati ko haardik shubhkamnayen!
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
ReplyDeleteअनन्त शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनव दम्पति को 'अखंड सुख सौभग्य' एवं 'शुभ कामनाएं'
ReplyDeleteek behtareen nirnay ke liye badhai sir!!
ReplyDeletedil se shubhkamnayen... dono yugal jodi ko:)
सबसे पहले तो इन दोनो को सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteअब आपके ममतामय निर्णय के लिए हार्दिक बधाई, और इस विवाह के उपलक्ष और बहु के घर आने की खुशी में ढेर सारी शुभकामनाएँ।
पुत्र विनित वास्तव में विनित है, सम्मान करता है। उसे बधाई सहित अनंत शुभकामनाएँ!!
आपका फैसला सराहनीय है
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें
नव विवाहित युगल को हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआपको और अमर भारती जी को बधाई!
शुभकामनाएं :)
ReplyDeleteअनुकरणीय फैसला |
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें |
..
शुभकामनाएँ
ReplyDeleteaaplogon ke is sunder vyvhaar se bahuton ko prerna leni chahiye.hamari shubhkamnayen lijiyega.
ReplyDeleteबेटे की शादी और सही फैसला लेने के लिए बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteअरे! चलो अच्छा हुआ
ReplyDeleteमाता-पिता को थोडा खेद तो होता है लेकिन बच्चों की खुशी में ही अपनी खुशी देखते हैं।
आपने बढिया किया और नगर प्रीतिभोज वाला फैसला बहुत सुन्दर है।
विनीत-पल्लवी की जोडी बहुत प्यारी है, इनके सफल-सुखद भविष्य के लिये शुभकामनायें
दादी जी को भी मेरा चरण-स्पर्श कहियेगा
प्रणाम
ये आपके दिये संस्कार ही हैं कि विनीत पिछले दो साल से भीतर ही भीतर खुद को सजा दिये जा रहा था।
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी ...नमन है आप को ...आप के दिए गए संस्कारों का... आप के दिए गए प्रेम का ..आज के जमाने में बेटा इस कदर छुपाये रहा खुद झेलता रहा ..काश सब बेटे माँ बाप को यों ही माने और बदले में उनके माँ बाप --आप सा इतना बड़ा दिल रख बधू को स्वीकार करें ..उन्हें अद्भुत प्यार दें ...शादियाँ और इस तरह के कदम उठाने से पहले बेटे कहाँ किस के साथ क्या कर रहे हैं अगर ये ख्याल रख कुछ करें तो ये और सहज हो जाता है ..
ReplyDeleteजय श्री राधे ...सुन्दर मिसाल ...बधू और वर को हमारी तरफ से ढेर सारी शुभ कामनाएं
भमर ५
Mummy-Papa ke aashirwad ke saa
ReplyDeleteth saath aapke sneh evam aashirwad ke liye hum aapke hriday se aabhari hain.
waah! kya baat hai, kitne udaar dil ka parichay diya aap ne ,nav vivahit jode aur saas sasur ko khub shubhkaamnaye....aadrsh parstut kiya aap ne.....
ReplyDeleteआपके अनुकरणीय ममतामयी अनुग्रह को कोटि कोटि नमन.....नव युगल दम्पति पर भगवान बद्रीविशाल की असीम अनुकम्पा सदा बनी रहे....अपार शुभ कामनाएं !!!
ReplyDeleteआपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआप के पुत्र औत पुत्रवधु को अनेको शुभाशीष और शुभ कामनाएं!...आप को भी ढेरों बधाइयां!..सभी फोटोग्राफ्स सुन्दर है!
ReplyDeleteअनुकरणीय आदर्श स्थापित किया है आपने। आपके साहस को नमन।
ReplyDeleteविनीत और पल्लवी बहुत भाग्यशाली है जो आप जैसे माता पिता मिले .....
ReplyDeleteaapke saahsik, prasangik aur maanglik nirnay ka liye saadhuvad. Daawat par hak to hamaara bhi banta hai. Manyataprapt navdampati ko shubhkaamnayeen.
ReplyDeleteaapko bahut bahut badhai kash bhagvan aap jaesa pita sabhi ko de
ReplyDeletepunah subhkamnayen
saader
rachana
बहुत -बहुत बधाई शास्त्री जी ....
ReplyDeleteबहु तो बड़ी प्यारी है .....
और सौभाग्यशाली है दादी का भी स्नेह मिला ....
आपको जन्मदिन की भी शुभकामनाएं .....
आपने समाज में एक मिशाल प्रस्तुत किया है । मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteaapko bahut bahut badhaiyan.....aapke ghar mein hamesha khushiyon kaa vaas rahe.....aur iss yugal jaode ko meri aor se haardik shubhkaaamnein....
ReplyDeleteसबसे पहले बधाई.....!
ReplyDeleteप्रीतिभोज के आमंत्रण का इन्तिज़ार रहेगा.
पुत्र और पुत्रवधु को ढेर सारी शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसही फैसला ,शुभकामनाएं,बधाई.
ReplyDeleteआपने इनको अपनाकर ऐसा काम किया है जो आज के इस दौर में बहुत ही कम लोग इस तरह से धेर्य रख पाते हैं.और सहर्ष स्वीकार करते हैं.आपकी पूरी फेमेली को मेरी ओर से भी बधाई .
ReplyDeleteचर्चा मंच पर जाकर मुझे पता चला की डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक खुद एक बहुत ही अच्छे कवी हैं.इनकी इस ब्लॉग पर दूसरी ब्लोग्स की चर्चा की जाती है.वाकई ये काम भी काबिले तारीफ़ लगा.
http://ishq-love.blogspot.com/ मोहब्बत नामा
sarahneey faisla...badhai sweekare :)
ReplyDeleteमत भेद न बने मन भेद- A post for all bloggers
हार्दिक बधाई ! आज के समय में यह व्यवहारिक और सहज है । विनीत और पल्लवी भाग्यशाली हैं कि उन्हें आपके जैसे माता-पिता मिले, पर वे इसलिए और ज्यादा सौभाग्यशाली और बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने संयम और संकल्पित होकर अपने प्रेम को उसकी मंजिल तक पहुंचाया है ।
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