रास्ते में सबसे पहले खटीमा से 7 किमी दूर चकरपुर के जंगलों में स्थित
राष्ट्रीय राजमार्ग-125 के किनारे बने वनखण्डी महादेव के दर्शन किये!
मन्दिर के मुख्य-महन्त ने इससे जुड़ी कहानी सुनाते हुए कहा-
“प्रणवीर महाराणा प्रताप के वीरगति को प्राप्त होने के उपरान्त कुछ राजपूत महिलाएँ तो सती हो गईं थी, लेकिन कुछ राजकुमारियों ने अपने सेवकों के साथ मेवाड़ से पलायन कर खटीमा के समीप नेपाल की तराई के जंगलों में अपना ठिकाना बना लिया था। यह कबीला “थारू” जनजाति के नाम से जाना जाता है।
उसी समय की बात है कि एक थारू की गाय घर में बिल्कुल दूध नही देती थी। लोगों ने जब इसका कारण खोजा तो पता लगा कि यह गाय प्रतिदिन जंगल में जाकर एक पत्थर के पास जाती है और अपने थनों से दूध गिरा कर आ जाती है।”
थारू समाज के लोगों ने यहाँ एक साधारण सा शिवालय बना दिया।
मन्दिर में कलश के नीचे वही पत्थर है जिस पर गाय अपने थनों से दूध गिरा कर इसको प्रतिदिन स्नान कराती थी।
प्रत्येक वर्ष यहाँ शिवरात्रि को एक विशाल मेला लगता है। जो सात दिनों तक चलता है।
कभी आपका भी इधर आना हो तो “वनखण्डी-महादेव” के इस प्राचीन शिव-मन्दिर का दर्शन करना न भूलें! |
जय माता दी !
ReplyDeleteबोलो सच्चे दरबार की जय !
शास्त्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद. पिछली बार पूर्णागिरी दर्शन किये हुए करीब २५ वर्ष तो बीत ही चुके हैं. तब से बहुत परिवर्तन दिख रहा है
ReplyDeleteआईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
ReplyDeleteJAI MATA KI...SHASTRI JI BINA GAYE AAP NE MATA KE DARSHAN KARWA DIYE ..DHNYWAD
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ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी .....ये मेरा सौभाग्य ही है कि एक मुलाकात के बाद ही आपने माताजी के दर्शन करवा दिए............आभार आपका........जय माता दी
ReplyDeleteKya khoobsoorat sthaan hai..sansmaran aur prawas warnan padhna hamesh achha lagta hai..khud jo safar nahi kar pati!
ReplyDeleteYahan to aapne qalam aur chitr don se safar kara diya!
सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteलगा आपकी यात्रा में कही मैं आपके साथ ही हूं।
ReplyDeleteमाताजी के दर्शन का लाभ करवाकर आपने एक बड़ा उपकार किया है।
माता तो अचानक ही बुलाती हैं!
ReplyDelete--
बहुत बढ़िया पोस्ट!
जय माता दी ! मान्यता लेकिन ये है कि बिना ब्रहमदेव के दर्शन के पूर्णागिरी माता की यात्रा सफल नहीं होती। ब्रहमदेव का मंदिर, टनकपुर से कोई दो किलोमीटर दूर नेपाल सीमा में है। शारदा नदी पार करते ही ब्रहमदेव मंदिर है। आपकी तस्वीरें में ब्रहमदेव का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए लिख रहा हूं। अगर नहीं गए इस बार तो अगली बार जरुर जायेगा। धन्यवाद
ReplyDeleteजय माता दी .. मां पूर्णागिरी की यात्रा का चित्र सहित बढिया विवरण के लिए आभार .. आप लोगों के साथ हमलोगों ने भी यात्रा कर ली !!
ReplyDeleteशास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद घर बैठें हमें भी माता के दर्शन हो गये..धाम का सचित्र सुंदर प्रस्तुतिकरण..धन्यवाद शास्त्री जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीरें! जय माता दी! उनका दर्शन मिल गया उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ! बहुत बढ़िया पोस्ट!
ReplyDeleteआपके माध्यम से हमने भी दर्शन और जानकारी प्राप्त कर ली.
ReplyDelete(पुन्यागिरी ) माँ पूर्णागिरी का मंदिर उत्तराखंड का वैष्णो देवी कहा जा सकता है.प्रदेश सरकार को यहाँ की यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं को अधिक सुविधाजनक बना कर पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिये.
ReplyDeleteइस प्रस्तुति के कारण आप के साथ हम भी मां पूर्णागिरी की यात्रा कर सके.....इसके लिये धन्यवाद....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति........बधाई.....
पर्वतों के बीच माता का मंदिर --स्वर्ग समान लगा। हमें तो यहाँ तक ठंडक का अहसास हो रहा है ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चित्रमय यात्रा । आभार शास्त्री जी ।
शास्त्रीजी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद जो आपने हमे माता पूर्णागिरी के दर्शन घर बैठे ही करवा दिए |असल में अभी अप्रेल माह में हम श्यामलाताल (रामकृष्ण मिशन )मेंगये थे वहा हमे एक पहाड़ी परिवार ने कहा था की आप इतनी दूर आये है तो माता
पूर्णागिरी के दर्शन करके जाइये ये भी वैष्णव देवी का ही रूप है कितु हमे मायावती (रामकृष्ण मिशन )लौहगढ़ जाना था हमारा कार्यक्रम निशित था तो हम नहीं जा पाए और ये भी सच है की जब तक माँ का बुलावा नहीं आएगा कैसे जा पायेगे ?आपका पुनह धन्यवाद |
"जय माता दी "
जय माता की । सुन्दर तस्वीरों समेत अच्छी जानकारी धन्यवाद्
ReplyDeletebahut sundar post...ham bhi itni door baithe baithe darshan kar liye...aapka dhnywaad..
ReplyDeleteaisa laga ki saakshaat darshn huye ho//shukriyaa guru ji..
ReplyDeleteजय हो ...बढ़िया यात्रा रही
ReplyDeleteदर्शन करवाने के लिए आभार।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
य्यात्रा बर्णन बहुत अच्छा लगा |चित्रों ने तो उसमें जान डाल दी ,देवी दर्शन का सौभाग्यप्राप्त हुआ |बहुत बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteआशा
जय माता दी !
ReplyDeleteबोलो सच्चे दरबार की जय
पूर्णागिरि पर बेहद रोचक और आकर्षक पोस्ट----चित्रों ने लेख में चार चांद लगा दिया।
ReplyDeleteबहुत ही बढिया यात्रा रही साथ ही हम भी वहाँ हो आये और दर्शन कर आये………………शुक्रिया।
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