!! ब्लागिंग का भविष्य !!
आज सायं 6 बजे डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" के निवास पर एक ब्लॉगर-मीट का आयोजन किया गया। जिसमे "ब्लागिंग का भविष्य" पर व्यापक चर्चा की गयी। चर्चा का प्रारम्भ खटीमा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष और "कर्मनाशा" नाम से ब्लॉग चलाने वाले डॉ.सिद्धेश्वर सिंह ने किया।
उन्होने कहा कि ब्लॉगिंग से वो प्रसिद्धि नही मिलती, जो पत्र-पत्रिकाओं मे छपने पर मिलती है।
इनके सुर में सुर मिलाते हुए राष्ट्रपति पदक से अलंकृत "सरस पायस" के ब्लॉगर रावेंद्रकुमार रवि ने कहा कि हम लोग दस हजार रुपये प्रति वर्ष व्यय नेट पर व्यय करते हैं। इतना खर्च करके तो हम लोग एक बढ़िया लाइब्रेरी सजा सकते हैं।
मैंने इस पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा -
1- पत्र-पत्रिकाओं में छपने से केवल अपने देश में ही नाम मिल जाता है परन्तु देश-विदेश में प्रसिद्धि तो कुछ विरलों को ही मिल पाती है। जबकि ब्लॉगिंग से पूरी दुनिया में नाम तथा जान-पहचान हो जाती है।
2- दस हजार रुपये प्रति वर्ष खर्च करके एक बढ़िया लाइब्रेरी तो सजाई जा सकती है परन्तु इसमे सुसज्जित साहित्य को पढ़ना भी तो पड़ता है और सभी पुस्तकों को पढ़ना सम्भव नही होता है।
3- पुस्तक पढ़ने से ज्ञान तो निश्चितरूप से बढ़ता है लेकिन वाह-वाही नही मिलती है। मगर ब्लॉगिंग में तो इधर पोस्ट लगाओ और उधर वाहवाही से भरी टिप्पणी मिलनी शुरू हो जाती हैं। इससे प्रेरणा भी मिलती है और उत्साहवर्धन भी होता रहता है।
तभी सूरत (गुजरात) से हास्य-कवि अलबेला खत्री जी की चैट आ गयी। चैट में ही उनसे उनका मोबाइल नं. ले लिया गया। अब तो वे भी इस मीट में शामिल हो गये।
हास्य-कवि अलबेला खत्री जी ने कहा कि पढ़ना लिखना अपनी जगह महत्वपूर्ण है लेकिन ब्लॉगिंग का तो मजा ही अलग है।
अब आप क्या कहेंगे इस पर.............!
आपकी एवं अलबेला जी की बात से पूर्णत्या सहमत
ReplyDeleteआप सभी को मेरा नमस्कार
ReplyDeleteवाह शास्त्रीजी वाह !
ReplyDeleteआप तो मुझसे भी ज़्यादा उत्साही हैं.........
मैं प्रणाम करता हूँ , दण्डवत करता हूँ
आपकी ऊर्जा को,
आपकी सजगता को
आपके समर्पण को
और आपके निर्बाध लेखन को !
सचमुच आपकी बात में दम है ..........
लाइब्रेरी बनाना अलग बात है
और ब्लोगिंग के माध्यम से लोगों के दिलों में घर बनाना अलग बात है
आपका धन्यवाद कि आपने मुझ अदना को भी सम्मिलित कर लिया
आभार !
yeh baat to sahi hai ki blogging ka mazaa hi alag hai....
ReplyDeleteशास्त्री जी, ब्लागरी का क्या कहना?
ReplyDeleteआपने तो साहित्यकारों की आंखें ही खोल दीं। इस ब्लॉगर मीट में। जितना नशा बेजान पुस्तकों को पढ़ने में उससे अधिक आनंद तो जानदार से संपर्क करने, पढ़ने पढ़ाने, लिखने लिखाने में आता है। भला लाइब्रेरी में पुस्तकों के बीच बैठकर अलबेला जी से बात हो सकती है या साथ साथ कंप्यूटर पर लिखचीत (चैट) संभव है। बिल्कुल नहीं। तो ब्लॉगिंग का भविष्य उज्ज्वल है। इसकी ज्वाला धधकना शुरू हुई है। आगे आगे देखिए होता है क्या, हर घर, हर गांव, हर शहर यानी प्रत्येक इसकी चपेट में होगा, इसी से पेट भरेगा। पेट भरेगा तभी तो मानस की खुराक की जरूरत होगी। भूखे पेट न भजन होता है और न ब्लॉगिंग। जय ब्लॉग हिन्द।
ReplyDeleteबहुत सम्वेदनशील मुद्दे पर आप लोगो की ब्लॉगर्स मीट हुई इसके लिये बधाई ।
ReplyDeleteमेरा मानना यह है कि यह दोनो माध्यम अलग अलग है और किसीकी किसीसे तुलना नही की जा सकती ।
फि र भी ...
दोनों में प्रसिद्धी या लोकप्रियता के भी मापदण्ड अलग अलग हैं । इसलिये कि दोनो माध्यम के पाठक अलग अलग हैं ( हाँ कुछ पाठक दोनो जगह है)
ब्लॉगरी में गति है और सम्वाद दोनो ओर से है । प्रकाशन् मे भी सम्वाद है लेकिन समय लगता है ।
पुस्तक प्रकाशित होने पर ही नाम का स्थायित्व (?) है,( पत्रिकाओं मे प्रकाशन का क्या कहें ,मेरी रचनायें 50 पत्रिकाओं मे छपी है लेकिन अब मै खुद ही नही बता पाउंगा किसमे क्या था , पाठक की कौन कहे )
ब्लॉगिंग का ग्लैमर ,पत्रिका मे प्रकाशन से ज़्यादा है यहाँ रंग हैं तस्वीर है ..वगैरह ।लेकिन यह खर्चीला भी है।
शेष के लिये तो पूरा लेख लिखना पड़ेगा । फिलहाल इतना ही कि सिद्धेश्वर जी का नाम एक लेखक के रूप मे वर्षों से सुन रखा था लेकिन पिछली मई में पाबला जी के सौजन्य से भिलाई में उनसे मुलाकात हुई । यह तो ब्लॉगरी से ही सम्भव हुआ ना । यह परम्परा साहित्य्कारों की बीच भी है ।
वैसे आगे चलकर हर लेखक को ब्लॉगर होना ही है और हर ब्लॉगर को लेखक फिर इसमे विवाद कैसा ?हाँ साहित्य और साहित्येतर का झगड़ा नही होना चाहिये । धन्यवाद , ऐसे ही कभी कभी ऑन फोन हमे भी शामिल कर लिया कीजिये शास्त्री जी ।
आदरणीय शास्त्री जी
ReplyDeleteआपकी व अलबेलाजी की बात मे भविष्य छिपा हुआ है। सहमत हू मै।
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आप सभी मुलाकातियो का अभिनन्दन!!!!
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रावेंद्रकुमारजी रवि और डॉ.सिद्धेश्वर सिंहजी दोनो कि बात पर सहमति जताना निश्चित ही किसी के साथ अन्याय या न्याय वाली बात होगी। ब्लोगिग करना स्वय के आधिपत्य मे है
पत्र पत्रिकाओ मे छपना परतन्त्र है। वहा आपको चापलुसी करना है यहा आपके मर्जी के मालिक है। आजकल ९०% युवा पत्रपत्रिकाओ को देखते तक नही है सिर्फ नेट और नेट पर सभी पढ लेते है। न्युज पेपर या मैगजिन तारिक बदलते ही पुराने पड जाते है, ब्लोगिग मे वैसा नही है। आधुनिक भारत कि दिशा को तय करने मे २०१५ तक हिन्दी ब्लोगिग का अहम किरदार होगा।
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आभार
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
SELECTION & COLLECTION
चैट से मीट में शामिल होना तो बहुत सुविधाजनक है। यही तरीका बढ़िया है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
मैं समझता हूँ आपने अलबेला जी को सम्मलित कर ब्लॉगर मीट के लिए एक नया आयाम खोला है चैट के माध्यम से. इस तर्ज पर एक बड़े आयोजन की संभावना बनती है.
ReplyDeleteअच्छा लगा विचार जानना!!
कोकास जी और समीर जी की बात से इत्तेफाक....रखता हूँ...मयंक जी को इस मीट के लिए बधाई..
ReplyDeletebadhiya charcha rahee...avinash ji kee baaton se sahmati hai...
ReplyDeleterochak charcha rahi yahi utsaah aur junon blogging ko ek nayi disha de yahi hai hamari shubh kamna
ReplyDeleteये होता है मल्टीमीडिया का उपयोग।
ReplyDeleteचैट से, मोबाईल से, वेब कैम से, साक्षात्, सभी माध्यमों का समावेश कर क्यों ना एक अनूठी स्वीट सी मीट कर डाली जाए।
वेबकास्ट भी हो जाए!!
बी एस पाबला
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ReplyDeleteशास्त्री जी भी सही है और शरद कोकास भाई भी...
ReplyDeleteलेकिन मैं समझता हूं कि इंस्टेंट कॉफी की तरह ब्लॉग का सबसे सशक्त पहलू है इसके अंतर्संवाद की जबरदस्त क्षमता...
जय हिंद...
आज का वक्त इन्टरनेट का है …………………और इससे बढिया माध्यम और क्या हो सकता है । …………………सिर्फ़ कुछ ही पलो मे हम एक दूसरे के विचारो से अवगत हो जाते है………………………आपका ये अन्दाज़ तो बहुत हि सार्थक लगा और दिल को भी बहुत भाया………………………इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिये………………………शास्त्री जी आपको इस आयोजन के लिये हार्दिक बधाई।
ReplyDeletecongrats fot this meet shastri ji.
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क्या होती है एक आदर्श ब्लोग्गर मीट , कैसे करते हैं उसकी रिपोर्टिंग , कैसे वहां बैठना, चलना और फोटू खिंचवाना ‘चहिये ‘ , और भी बहुत कुछ ……देखें सिर्फ़ यहाँ — maykhaana.blogspot.com
आपकी बात से पूर्णतया सहमति, और आपका यह आयोजन बहुत ही अच्छा रहा आभार के साथ बधाई ।
ReplyDeleteसच है ब्लॉगिंग का अलग ही मज़ा है लेकिन पत्रिकाओं में छपने का नशा भी कुछ कम नहीं.
ReplyDeleteसच तो ये है पत्रिका में छपने के लिए लेखक का नामचीन होना जरूरी है | सामान्य जन की रचना छपेगी या नहीं ,पता नहीं कब छपेगी , नहीं छापा तो वापस होगी नहीं होगी | छप जाने पर कितने लोग पढेंगे , क्या प्रतिक्रिया होगी | ब्लॉग इन सब से मुक्त है , जरूरत पड़ने पर बाद में एडिट भी कर लीजिये और सबसे अहम् बात की - सुझाव और प्रतिक्रिया तुंरत हाजिर | देश से भी और विदेश से भी
ReplyDeleteब्लोगिंग और प्रकाशन, दोनों का अपना अपना स्थान है.
ReplyDeleteलेकिन ब्लोगिंग सब कर सकते है, पर सब को रचनाएँ प्रकाशित करने का न तो अवसर मिल पता है और न सब में इतनी क्षमता होती है.
वैसे घर पर ब्लोगर मीट का आइडिया अच्छा रहा.
ब्लोगिंग से प्रसिद्धि मिले ना मिले इसकी परवाह किसको है...हम तो ब्लॉग्गिंग करेंगे...दुनिया से नहीं डरेंगे...चाहे ये ज़माना कहे हमको दीवाना ..अजी हम तो ब्लॉग्गिंग करेंगे...
ReplyDeleteनीरज
मै नीरज जी के विचारो से सहमत हूँ .
ReplyDeleteब्लॉगिंग एक अभिव्यक्ति है..इसे व्यक्त करने के लिए ब्लॉग से बढ़िया स्थान कुछ नही हो सकता जहाँ पर लोग आप को सुनते है ,पढ़ते है और कहीं कुछ कमी रहे तो वही पर त्वरित टिप्पणी भी देते है..बढ़िया विचार सभी का..बधाई..
ReplyDeleteजब खेद के साथ रचनाये वापस आ जाती है दूसरी रचना भेजने का उत्साह कम हो जाता है |और आजकल पत्रिकाए और पुस्तके कितने लोग पढ़ते है ?इन्ही सब के बीच ब्लॉग लिखना और आपसी संवाद कि निरंतर लिखने कि प्रेरणा देता है | हा उपन्यास या महाकाव्य कि पुस्तको को पढ़ने कि बात अलग है |पर ब्लॉग कि बात बात निराली है |ऐसी मीट होती रहे और रिपोर्ट मिलती रहे आभारी है आपके |
ReplyDeleteआपकी बात से मैं भी पूरी तरह सहमत हूं।
ReplyDeleteपूनम
blog ke madhayam se vastav mein hum international level tak judhkar apne baat sahi jagah pahucha paate hai.
ReplyDeleteShastri ji ko or sabhi blogger ko shubhkamnayein
bahबुत सुन्दर अब कवि सम्मेलन ब्लागर्ज़्मीट मे बदलने लगे हैं मगर शास्त्री जी हम क्या करें मेरे शहर मे तो केवल मैं ही एक ब्लागर हूँ । मीट रखूँ भी तो इतनी दूर कौन आयेगा? बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद्
ReplyDelete@ निर्मला कपिला
ReplyDeleteजो भी मांसाहारी होंगे
दौड़े चले आयेंगे पर
मैं तो शाकाहारी हूं।
शास्त्री जी बहुत बढ़िया लगा ! खत्री जी को लाकर आपने चर्चे में जान डाल दिया ! सभी ब्लॉगर बंधुओं को मेरा नमस्कार और शुभकामनायें!
ReplyDeleteAapne sahi kaha...
ReplyDeleteबहुत सम्वेदनशील मुद्दे पर आप लोगो की ब्लॉगर्स मीट हुई इसके लिये बधाई ।
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