“मुहूरत खराब चल रहा है!”
कई साल पुरानी बात है। मुझे एक बारात में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। गाँव की बारात थी और उसे किसी दूसरे गाँव में ही जाना था। नया-नया दूल्हा था, नई-नई घोड़ी थी। कहने का मतलब यह है कि घोड़ी की भी पहली ही बारात थी और दूल्हे की भी पहली ही बारात थी। घोड़ी को आतिशबाजी देखने और बैण्ड-बाजा सुनने का इससे पूर्व का कोई अनुभव नही था। इधर दूल्हा भी बड़ी ऐंठ में था। अपनी बारात चढ़वाने के लिए वह तपाक से घोड़ी पर सवार हो गया। कुछ देर तक तो बेचारी घोड़ी ने सहन कर लिया। परन्तु जैसे ही बैण्ड बजना शुरू हुआ। घोड़ी बिफर गयी उसने धड़ाम से दूल्हे को जमीन पर पटक दिया और भाग खड़ी हुई। बारातियों ने उसे पकड़ने की बड़ी कोशिश की लेकिन उसने तो चार किलोमीटर दूर अपने घर आकर ही दम लिया। उघर जमीन पर पड़ा दूल्हा दर्द से कराह रहा था। गाँव से डॉक्टर बुलाया गया और दूल्हे की मिजाज-पुरसी की गयी। कुछ देर बाद दूल्हे के कूल्हे का दर्द कुछ कम हुआ तो उसे दूसरी घोड़ी पर बिठाने की कोशिशे हुईं। परन्तु वह दूसरी पर बैठने को तैयार ही नही हुआ। जैसे-तैसे रिक्शा मे ही दूल्हे को बैठा कर बारात चढायी गयी। अगले दिन बारात लौटी तो दुल्हन भी साथ थी। अब दूल्हे के जीवन में घोड़ी तो नही, पत्नी-रूपी नारी थी। जो हर मायने में बेचारे.............पर भारी थी । शादी में घोड़ी ने पटका था, अब पत्नी बेचारे........ को रोज ही झिड़कती है। जब उस बेचारे..............से पूछते हैं तो वह मायूसीभरा जवाब देता है- साहब जी मेरा तो शादी से ही मुहूरत खराब चल रहा है। |
हा हा हा ! शास्त्री जी दुल्हे की ट्रेजिडी !
ReplyDeleteवैसे शादी खुद एक ट्रेजिडी से कम नहीं होती इंसान के लिए ।
ha ha ha...doolha ab godha gahde ko khud par kaise dekhe..
ReplyDelete:) :) ...बढ़िया है...शादी हर इंसान के लिए ट्रेजिडी होती है फिर भी सब कितना लालायित रहते हैं ?
ReplyDeleteहा हा हा,बेचारा !
ReplyDeleteये तो वो लड्डू है तो खाये वो भी पछताये जो ना खाये वो भी पछताये।
ReplyDeleteहा हा हा.....शास्त्री जी कहीं ये संस्मरण तो नहीं :)
ReplyDeleteha ha ha ha....
ReplyDeletemazaa aa gaya padh ke..
इसे किस कटेगरी में रखें समझ में नहीं आ रहा :
ReplyDelete1. आत्मकथा (क्षमा करें)
2. संस्मरण
3. कहानी
4. रिपोर्ट
या अन्य कोई
वैसे पढकर मज़ा आ गया.
सहानुभूति दुल्हे से
--- --- पढ़कर लोट-पोट होने लगा। आपके प्रयास का जवाब नहीं ! बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteबढ़िया है जी...
ReplyDeleteशादी...... ट्रेजिडी.....
पढकर मज़ा आ गया.....
आपने क्या मारू पोस्ट लगाई है,
ReplyDeleteदूल्हे की हुई खिचाई है,
हंसते- हंसते पेट में बल पड़ गए..........
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
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हा हा हा..दुल्हे की ट्रेजिडी ! बेचारा !
ReplyDeletehahaha bechare dulhe ki bohani hi kharab gayi to din to kharab jana hi hai....;-)
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