बाबा नागार्जुन के
जन्म शताब्दी समारोह प्रारम्भ
जेठ मास की पूर्णिमा को बाबा नागार्जुन के जन्म-दिवस के अवसर पर डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” के निवास पर एक वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। |
सबसे पहले डॉ. सिद्धेश्वर ने बाबा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला - |
इसके बाद रावेन्द्र कुमार रवि ने बाबा के गीत “मेघ बजे” को गाकर सुनाया – “धिन धिन धा धमक धमक मेघ बजे!” |
फिर कैलाश चन्द्र लोहनी ने अपना संस्मरण सुनाते हुए बताया कि मुझे बाबा की कविताएँ कक्षा में पढ़ाने के लिए पढ़नी पड़ीं, तब मुझे बाबा का व्यक्तित्व समझ में आया - |
सतपाल बत्रा ने बाबा की रचना “अन्न पचीसी के दोहे” का वाचन किया - |
डॉ. गंगाधर राय ने बाबा की निर्धनता की महानता से संबंधित संस्मरण प्रस्तुत किया - |
डॉ. विद्यासागर कापड़ी ने बाबा की कविताओं के शीर्षकों को एक कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया - |
कमलेश जोशी ने बाबा की बहुत चर्चित कविता “गुलाबी चूड़ियाँ” सुनाई, जो बाबा ने एक ड्राइवर द्वारा बस में लटकाई गई उसकी सात साल की बेटी की चूड़ियों से प्रेरणा पाकर लिखी थी - |
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” ने बाबा के साथ गुजारे गए दिनों की यादें अपने संस्मरणों के माध्यम से प्रस्तुत कीं - |
देवदत्त प्रसून ने एक चटाई बेचनेवाले बंगाली विप्लव मंडल से बाबा के मिलन का रोचक संस्मरण प्रस्तुत किया - गोष्ठी का संचालन भी प्रसून जी ने किया! |
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्य डॉ. इन्द्र राम ने अपने संस्मरण में बताया कि कैसे बाबा ने प्रेरणा बनकर उनके 75 प्रतिशत विकलांग पुत्र को नयी ऊर्जा प्रदान की - |
गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले सभी मनीषी एक साथ - |
अंत में डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया! |
Aise aayojanon ke baareme sunti hun,to bahut achha lagta hai. Ek hasrat-si rahti hai,ki,kaash mai bhi pahunch pati!
ReplyDeleteबाबा की बात अनोखी बात
ReplyDeleteशुक्रिया
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसे 27.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
"बहुत खूबसूरत प्रस्तुति।"
ReplyDeletenice
ReplyDeleteशुभकामनाओं के लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteअच्छा और सार्थक आयोजन ।
ReplyDeleteबधाई।
एक अच्छॆ आयोजन की अच्छी रपट !
ReplyDelete*
thanks sir ji !
बहुत बढिया आयोजन्।
ReplyDeleteबाबा नागार्जुन की स्मृति...
ReplyDeleteऔर वो दन्तुरित मुस्कान...
बाबा की हर बात निराली!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति । बधाई
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...बेहतरीन चित्र.
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'पाखी की दुनिया' में स्कूल आज से खुल गए...आप भी देखिये मेरा पहला दिन.
यह आयोजन तो वाकई प्रशंसनीय है.
ReplyDeleteमेरे द्वारा एक नया लेख लिखा गया है .... मैं यहाँ नया हूँ ... चिटठा जगत में.... तो एक और बार मेरी कृति को पढ़ाने के लिए दुसरो के ब्लॉग का सहारा ले रहा हूँ ...हो सके तो माफ़ कीजियेगा .... एवं आपकी आलोचनात्मक टिप्पणियों से मेरे लेखन में सुधार अवश्य आयेगा इस आशा से ....
ReplyDeleteसुनहरी यादें