!! बुद्धिर्यस्य बलम् तस्य !!
पहाड़ की तलहटी में एक भेड़पालक का घर था। घर के साथ ही उसने भेड़ का भी बाड़ बनाया हुआ था। रात मे भेड़पालक उसमें भेड़ों के बन्द करके फाटक लगा देता था और सुबह होते ही खोल देता था।
दिन में भेड़ें जंगल में चरने के लिए चली जातीं थीं।
इस बाड़े में एक भेड़ अपने छोटे बच्चे के साथ भी रहती थी।
बच्चा बहुत छोटा था इसलिए वो उसे अपने साथ जंगल में नही ले जाती थी।
एक दिन भेड़ जब जंगल जाने लगा तो उसका बच्चा भी जंगल में जाने की जिद करने लगा। परन्तु वह उसे अपने साथ नही ले गई।
जैसे ही भेड़ बाड़े से ओझल हुई तो भेड़ का बच्चा भी बाड़े से निकल कर जंगल की ओर जाने लगा।
तभी उसे एक भेड़िया दिखाई दिया। जो काफी दिनों सो उसकी ताक में था।
भेड़िये को देख कर तो बच्चे की जैसे जान ही निकल गई। वह डर से थर-थर काँपने लगा।
धीर-धीरे भेड़िया बच्चे की ओर बढ़ने लगा। बच्चा बहुत डर गया था इसलिए वो कुछ बोल भी नही सका।
भेड़िया बच्चे के पास आकर बोला- "प्यारे बच्चे डरो नही। आज मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाऊँगा।"
बच्चे ने डरते हुए कहा- "मामा! मैं अभी बहुत छोटा हूँ, मुझे खाकर त आपका पेट भी नही भरेगा।"
भेड़िया बोला- "मुझे तुम्हारे जैसे कोमल बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं।"
बच्चा कुछ देर चुप रहा और फिर साहस करके बोला- "मामा! पहले मुझे एक गाना सुना दो। फिर जो इच्छा हो करना।"
भेड़िया खुश होकर बोला- "पर मुझे तो गाना नही आता।"
बच्चे ने फिर कहा- "पर मेरी माँ तो आपके गाने की बहुत तारीफ करती है।"
अब तो भेड़िया फूला नही समाया और ऊँची आवाज मे गाने लगा।
कुछ दूरी पर शिकारी कुत्ते जा रहे थे। उन्होंने जब भेड़िए की आवाज सुनी तो वे उसकी ओर झपट पड़े।
जब भेड़िया आँखें बन्द किए मस्ती से गा रहा था तो भेड़ का बच्चा चुपके से उसके पास से खिसक लिया और अपने बाड़े में आ गया।
जैसे ही भेड़िए ने गाना खत्म करके अपनी आँखे खोली तो शिकारी कुत्ते उसके सामने थे।
भेड़िया भाग भी नही पाया और शिकारी कुत्तों ने उसका काम तमाम कर दिया।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि-
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि-
"हमें अपने माता-पिता का कहना मानना चाहिए।"
यदि कभी मुसीबत में घिर जायें तो-
"धैर्य रखकर बुद्धि से काम लेना चाहिए।"
दोनों सीखें उत्तम!
ReplyDeleteBehad achhee lagee ye post..bachhe to bachhe par seekh badon ke liy bhee hai..'shaktee se adhik yuktee shreshth', is kahawat ko balwatee kartee huee rachna...
ReplyDeleteYe katha to ab gharme aur dost saheliyan sabhee ko zaroor bataungi!
बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक कहानी ।
ReplyDeleteअच्छी सीख धन्यवाद
ReplyDeleteDiwali kee, naye saal, tatha bhai dooj kee aapko bhee anek shubh kamnayen...!
ReplyDeleteअच्छी और सार्थक कहानी.
ReplyDeleteदिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.
सुंदर कहानी..संदेश देती हुई आपकी यह कहानी बहुत अच्छी लगी..आदमी चाहे जितना भी छोटा हो उसे विवेक का उपयोग करना चाहिए..
ReplyDeleteधन्यवाद
आदरणीय शास्त्री जी,
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और शिक्षाप्रद कहानी है यह खास कर बच्चों के लिये --बच्चों को इसमें आनन्द भी आयेगा।
हेमन्त कुमार
बहुत उत्तम सीख.
ReplyDeleteधन्यवाद
आप को ओर आप के परिवार को दिपावली की शुभकामनाये
Wah...
ReplyDeleteदीवाली हर रोज हो तभी मनेगी मौज
पर कैसे हर रोज हो इसका उद्गम खोज
आज का प्रश्न यही है
बही कह रही सही है
पर इस सबके बावजूद
थोड़े दीये और मिठाई सबकी हो
चाहे थोड़े मिलें पटाखे सबके हों
गलबहियों के साथ मिलें दिल भी प्यारे
अपने-अपने खील-बताशे सबके हों
---------शुभकामनाऒं सहित
---------मौदगिल परिवार
हम तो तब भी मानते थे जब पूज्यनीय जीवित थे और आज भी-तब यह रिवाज ही था आज हर रिवाज की तरह यह भी बदल गया है
ReplyDeleteखुद को कितना छोटा करना पड़ता है
बच्चों से समझौता करना पड़ता है
पहले डरते थे बच्चे मात पिता से
अब तो मात-पिता को डरना पड़ता है
खैर-हर रिवाज की तरह यह भी बदल ही गया ,फिर लौटेगा
दीपों सी जगमग जिन्दगी रहे
सुख की बयार चहुं मुखी बहे
श्याम सखा श्याम
दीपों सी जगमग जिन्दगी रहे
सुख की बयार चहुं मुखी बहे
श्याम सखा श्याम
झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
ReplyDeleteझिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."
regards
सीख अच्छी है दीपावली की आपको व आपके परिवार को शुभकामनायें
ReplyDeleteसाल की सबसे अंधेरी रात में
ReplyDeleteदीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी
कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
झटकें सभी तकरार ज्यों आयी-गयी
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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