बरेली से पिथौरागढ़ राष्ट्रीय-राजमार्ग पर विगत दो वर्षों से मुँह चिढ़ाता उत्तराखण्ड का प्रवेश-द्वार
बरेली के रास्ते कभी आप उत्तराखण्ड पधारें तो-
उत्तर-प्रदेश के मझोला कस्बे से थोड़ा सा आगे निकलने पर उत्तराखण्ड की सीमा में प्रवेश करते ही यह खण्ड-खण्ड प्रवेश द्वार आपका स्वागत करता हुआ मिलेगा! ऐसा नही है कि मण्डी समिति के के पास इस बोर्ड को ठीक कराने के लिये धन नही है! किन्तु मुख्य बात तो यह है कि भिखारियों के घर यदि बाहर से सुन्दर होंगे तो उन्हें भिक्षा कौन देगा? जबकि भीतर से इनके घर बड़े शानौ-शौकत से परिपूर्ण होते हैं! बस इतना ही इशारा काफी है! माँ पूर्णागिरि के दर्शनों को इसी मार्ग से अधिकांश दर्शनार्थी आते हैं! शायद वो अपने छोटे भाई की दुर्दशा पर तरस खा कर अधिक से अधिक चढ़ावा उत्तराखण्ड के पुजारियों को ………! |
kaash koi dhyan de.....laparvahee seema lanjhatee
ReplyDeletenazar aatee hai aksar sarkaree kamaon me.............
aabhar
सरकारी काम ऐसे ही होते है………………।इनकी तरफ़ देखेंगे तो खुद ही दुखी होंगे।
ReplyDeleteसर, यह तो प्यार में बाधक था इसलिये हटा दिया गया :)
ReplyDeleteपिथोरागढ़ कभी आना नहीं हुआ शास्त्री जी ।
ReplyDeleteगेट कैसा भी हो हमें तो पहाड़ों से बहुत प्यार है ।
रामनवमी की शुभकामनायें।
yahi haal hai desh ka aur bhi aise nazare dekhane ko milenge....sach much aapke jaisi nazar karta dhartaon ke pas hoti to ye haal na hote...
ReplyDeleteRaam navami ki shubhakaamnaae!!
कभी जाना नहीं हुआ उस तरफ.
ReplyDeleteहर जगह का यही हाल है शास्त्री जी.
ReplyDeleteबचपन याद आ गया शास्त्री जी ! इस राजमार्ग पर ६ साल तक सफ़र किया है ..पर लगता है तब से अब तक कुछ भी नहीं बदला.दुर्भाग्यवश तब भी इसे नजरंदाज किया जाता था ..आज भी किया जाता है.
ReplyDeleteहमें प्रवेश द्वार से क्या मतलब है जी? हम तो तब आपके अतिथि होंगे।
ReplyDeleteहर जगह ऐसा ही हाल है ! सरकार देखकर भी अनदेखा करती है और हमें ये देखकर दुःख होता है! उम्मीद करती हूँ जल्द से जल्द इस मसले का हल हो!
ReplyDeletesirf seemaon ki raajneeti hai guru ji!
ReplyDeleteकिन्तु मुख्य बात तो यह है कि भिखारियों के घर यदि बाहर से सुन्दर होंगे तो उन्हें भिक्षा कौन देगा? Isseme sabkuchh samet liya aapne...afsos hota hai aisi baten padhke...
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