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Wednesday, 24 March 2010

“उत्तराखण्ड का प्रवेश-द्वार” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

बरेली से पिथौरागढ़ राष्ट्रीय-राजमार्ग पर
विगत दो वर्षों से मुँह चिढ़ाता
उत्तराखण्ड का प्रवेश-द्वार
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बरेली के रास्ते कभी आप उत्तराखण्ड पधारें तो-

उत्तर-प्रदेश के मझोला कस्बे से थोड़ा सा आगे निकलने पर उत्तराखण्ड की सीमा में प्रवेश करते ही यह खण्ड-खण्ड प्रवेश द्वार आपका स्वागत करता हुआ मिलेगा!
ऐसा नही है कि मण्डी समिति के के पास इस बोर्ड को ठीक कराने के लिये धन नही है!
किन्तु मुख्य बात तो यह है कि भिखारियों के घर यदि बाहर से सुन्दर होंगे तो उन्हें भिक्षा कौन देगा?
जबकि भीतर से इनके घर बड़े शानौ-शौकत से परिपूर्ण होते हैं!
बस इतना ही इशारा काफी है!
माँ पूर्णागिरि के दर्शनों को इसी मार्ग से अधिकांश दर्शनार्थी आते हैं! शायद वो अपने छोटे भाई की दुर्दशा पर तरस खा कर अधिक से अधिक चढ़ावा उत्तराखण्ड के पुजारियों को ………!

12 comments:

  1. kaash koi dhyan de.....laparvahee seema lanjhatee
    nazar aatee hai aksar sarkaree kamaon me.............
    aabhar

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  2. सरकारी काम ऐसे ही होते है………………।इनकी तरफ़ देखेंगे तो खुद ही दुखी होंगे।

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  3. सर, यह तो प्यार में बाधक था इसलिये हटा दिया गया :)

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  4. पिथोरागढ़ कभी आना नहीं हुआ शास्त्री जी ।
    गेट कैसा भी हो हमें तो पहाड़ों से बहुत प्यार है ।
    रामनवमी की शुभकामनायें।

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  5. yahi haal hai desh ka aur bhi aise nazare dekhane ko milenge....sach much aapke jaisi nazar karta dhartaon ke pas hoti to ye haal na hote...
    Raam navami ki shubhakaamnaae!!

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  6. कभी जाना नहीं हुआ उस तरफ.

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  7. हर जगह का यही हाल है शास्त्री जी.

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  8. बचपन याद आ गया शास्त्री जी ! इस राजमार्ग पर ६ साल तक सफ़र किया है ..पर लगता है तब से अब तक कुछ भी नहीं बदला.दुर्भाग्यवश तब भी इसे नजरंदाज किया जाता था ..आज भी किया जाता है.

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  9. हमें प्रवेश द्वार से क्‍या मतलब है जी? हम तो तब आपके अतिथि होंगे।

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  10. हर जगह ऐसा ही हाल है ! सरकार देखकर भी अनदेखा करती है और हमें ये देखकर दुःख होता है! उम्मीद करती हूँ जल्द से जल्द इस मसले का हल हो!

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  11. किन्तु मुख्य बात तो यह है कि भिखारियों के घर यदि बाहर से सुन्दर होंगे तो उन्हें भिक्षा कौन देगा? Isseme sabkuchh samet liya aapne...afsos hota hai aisi baten padhke...

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