आपने इस समाचार का शीर्षक पढ़ा.... नही पढ़ा हो तो उपरोक्त कटिंग पर चटका लगा कर इसे बड़ा करके ध्यान से पढ़ें। धन्यवाद! दैनिक जागरण!! चाहे भूलवश् ही सही वास्तविकता तो प्रकट कर ही दी। बिल्कुल सही हैडिंग लगाया है- आज वास्तव में सत्य पर असत्य की ही विजय हो रही है। बहुत-बहुत बधाई!!
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हा हा हा....ये है जागरूक पत्रकारिता का नमूना!!!
ReplyDeleteहद है!!
bilkul sahi kaha aapne...
ReplyDeleteye to had hi ho gayi.
ReplyDeleteअब कहने सुनने को बचा ही क्या ?
ReplyDeleteअक प्रश्न बार बार मन में आता है जब रामजी ने रावण को बानो
से मारा था तो पुतला क्यों जलाते है ?
इसे कहते कैन फ्रायड की चूक. हमारी जिम्मेदार पत्रकारिता का एक नमूना.
ReplyDeleteरावण जला है मरा नहीं...जब तक वह मर नहीं जाता तब तक सत्य जीत ही नहीं सकता, इसीलिए दैनिक जागरण ने जो लिखा है वह सत्य ही तो है:)
ReplyDeleteलगता है की गलती से सच छप गया.
ReplyDeleteलेकिन ये सच तो इस पत्रकार की नौकरी ले डूबेगा.
इसीलिए आजकल लोग सच बोलने में घबराते हैं.
बहुत अच्छा पकडा आपने.
धारदार व्यंग्य!
ReplyDeleteआये दिन ऐसी गलतियाँ हर अखबार (including Times Of India) कर रही हैं .. फिर भी इनके तेवर जैसे के तैसे हैं ....
ReplyDeleteजय हो आधुनिक पत्रकारिता की
ReplyDeleteये है हमारे आधुनिक पत्रकारिता का नमूना। बेहतरीन खोज... :)
ReplyDeleteसही तो लिखा है ...कहाँ नहीं हो रही सत्य पर असत्य की विजय ..!!
ReplyDeleteवाणी जी सही कह रही हैं आज कल तो यही सच है रवाण कहां मरता है
ReplyDeletedainik jagran jaisa patr to sachchai hi parosta hai.
ReplyDeleteपत्रकारों को सजग और सचेत तो रहना ही चाहिए। शब्द के पांव लडख़ड़ाए कि आया भूचाल । आखिर दुनिया में शब्द, संवेदना और संस्कार की ही भूमिका अहम है। वैसे हर प्रोफेशन जिम्मेवारी का है और हमें पूरी जिम्मेदारी के साथ उसका निर्वहण करना चाहिए। इस खबर में हेडिंग लगाने में जो भूल की गई है उसकी भूल सुधार तो छापी जा सकती है पर अस्पतालों में डाक्टरों ने एक सुई गलत लगाई या फिर इंजीनियरों ने पुल की एंगल गलत बना दी या फिर पायलट ने कोई गुस्ताखी कर दी तो उसके बदले कोई भूल सुधार छापी नहीं जा सकती। सबका काम महत्वपूर्ण है, जिम्मेदारी का है और इसे संजीदगी और ईमानदारी से निभाना चाहिए। वैसे आपकी पकड़ और इसे प्रकाश में लाने के लिए बधाई।
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