"21 दिसम्बर, 1851 को पहली बार रुड़की में चली थी ट्रेन"
रुड़की शहर की पहचान पिरान कलियर और आई.आई,टी. (रुढ़की यूनिवर्सिटी) के कारण ही है, किन्तु बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भारत में पहली बार ट्रेन भी इसी शहर में चली थी। आज से 158 वर्ष पूर्व 21 दिसम्बर, 1851 को दो बोगियों वाली ट्रेन रुड़की से पिरान कलियर के लिए चली थी। इस ट्रेन का उपयोग माल ढुलाई के लिए किया गया था।आम आदमी को रुड़की की इस उपलब्धि से परिचित कराने के लिए इस ऐतिहासिक ट्रेन के इंजन को रुड़की रेलवे स्टेशन के प्रांगण में रखा गया है।
उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों के शासनकाल में हरिद्वार से गंगा नदी को उत्तर भारत से जोड़ने के लिए गंग-नहर का निर्माण किया जा रहा था। नहर निर्माण के दौरान लाखों टन मिट्टी को हटाने में दिक्कत आ रही थी। पहले तो श्रमिकों से मिट्टी से भरे हुए डिब्बों को खिचवाने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नही मिली। अतः घोड़ों से इन डिब्बों को खिंचवाया गया, लेकिन इसमें बहुत देर लग रही थी। नहर निर्माण की योजना में बिलम्ब होते देख कार्यदायी संस्था द्वारा इंग्लैण्ड से विशेषरूप से माल ढोने वाले वैगन और इंजन को मँगवाया गया।
छह पहियों और 200 टन भार की क्षमता वाली इस ट्रेन को चलाने के लिए रुड़की से पिरान-कलियर के मध्य रेल पटरियाँ बिछाई गयीं।
21 दिसम्बर, 1851 को पहली बार रेल इंजन दो मालवाहक डिब्बों को लेकर रुड़की से पिरान-कलियर के लिए रवाना हुआ। भारत में पहली बार रेल-गाड़ी के चलने को लेकर पूरा देश उत्साहित था। चार मील प्रति घण्टे की गति से चलने वाले इस इंजन को देखने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से भी हजारों लोग पहुँचे थे।
बाद में रुड़की रेलवे स्टेशन की स्थापना होने पर इस ऐतिहासिक इंजन को स्टेशन के प्रांगण में लोगों के दर्शनार्थ स्थापित कर दिया गया है।
रुड़की रेलवे स्टेशन प्रांगण में एक शिलापट्ट पर भी सुनहरे अक्षरों मे इस ऐतिहासिक घटना का उल्लेख दिखाई देता है।
(खटीमा मॉर्निंग अंक-51 से साभार)
सामान्य ज्ञान की पुस्तकों में इस बात का ज़िक्र नहीं किया जाता. इस सूचना के लिए धन्य वाद.
ReplyDeleteदिनेश जी की बात से सहमत ! आम लोग तो महाराष्ट्र के थाणे में चली रेल को ही भारत का पहला रेल प्रयोग मानते है ! अच्छी जानकारी !
ReplyDeleteअच्छी जानकारी। धन्यवाद।
ReplyDeleteहम भी पुणे ओर थाणे वाली ट्रेन को ही पहली ट्रेन मानते थे आभार..
ReplyDeleteuttam jaankaari ke liye shukriyaa shastri ji....
ReplyDeletebahut kuchh seekhne milta hai aap se....
Badee mahatw poorn jankaaree dee...rudkee ka kuchh any wajoohaat ko leke naam to suna tha,lekin yah jaankaaree nahee thee..
ReplyDeleteआपने बिलकुल नई जानकारी दी, शुक्रिया।
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महफ़ज़ भाई आखिर क्यों न हों एक्सों...
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
रेलवे इतिहास का प्रथम पृष्ठ उकेरने के लिए धन्यवाद॥
ReplyDeletebahut hi gyanvardhak jankari di..........shukriya.
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह जानकारी..... हम तो बॉम्बे तो ठाणे ही जानते थे.....
ReplyDeleteइस तरह की जानकारियाँ ज़रूरी हैं.......इसके लिए आपका धन्यवाद
ReplyDeleteअच्छी ज्ञानवर्धक जानकारी | शुक्रिया
ReplyDeleteरोचक और नई जानकारी। आभार।
ReplyDeleteये नयी बात पता चली.
ReplyDeleteमुझे भी पहली बार पता लगा। पर यह केवल गुड्स के लिए थी और इस का उल्लेख बहुत कम किया जाता है। पहली पैसेंजर ट्रेन बोरीबंदर से ठाणे तक का ही अक्सर उल्लेख देखा है। जानकारी देने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी है धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी..आभार शास्त्री जी
ReplyDeleteshastri ji,
ReplyDeletehame bhi pahle se hi maaloom tha ki roorkee me pahli train chali thi tabhi to hamne ek post bhi likhi thi:
http://neerajjaatji.blogspot.com/2008/12/blog-post_25.html
शास्त्री जी,
ReplyDeleteइतनी अच्छी ऐतिहासिक जानकारी के लिए धन्यवाद!
बहुत ही रोचक जानकारी वाली पोस्ट। आभार।
ReplyDeleteपूनम
bahut achi jankari relve ki prani jankari padhkar achha lagta hai.
ReplyDeletewah rochak jaankari...shukriya..
ReplyDeleteBahut Acchi Jankari.
ReplyDeleteStatuspb
Shukria pad ke Accha Lga..