अचानक खबर आई की मौसी जी का देहान्त हो गया है। जैसे-तैसे भागे उनके गाँव की ओर......। मौसी जी के शव को शमशान ले जाने की तैयारी थी। दाह संस्कार करके आये तो जानकारी की गई कि मौसी जी का तो स्वास्थ्य बहुत अच्छा था, वो अचानक कैसे चली गईं। घर में सभी कुछ न कुछ छिपाते हुए मिले। लेकिन मौसा जी ने मुझे एक ओर ले जा कर भारी मन से बताया कि घर में माँ-बेटे में कलह हुई थी। इसी में ..............ने अपनी माँ को छत से धक्का दे दिया। वो सम्भल नही पाई और छत से नीचे गिर गई। सिर में चोट लगी और उसने तड़प-तड़प कर प्राण त्याग दिये। इसके साथ ही मौसा जी फफक कर रो पड़े। ...........घर का इकलौता पुत्र था। किसी से कुछ बताते भी नही बन रहा था। बस मन मे ही सारे गुबार भरे थे मौसा जी के। वाह..........! क्या जमाना आ गया है कि ................को जरा सा बुखार आ जाने पर भी मौसी जी परेशान हो जाती थीं। परन्तु वही पुत्र ....................! इसने न केवल अपनी माता का दूध ही नही लजाया, अपितु अपनी सगी माँ की कोख को भी कलंकित कर दिया। इसके बाद मौसा जी ने उससे सारे सम्बऩ्ध तोड़ लिए। उनके नाम पर ५० बीघा खेती की जमीन थी। उसमें उन्होंने मौसी जी नाम से एक अनाथालय खोल दिया है। अब यह मातृहन्ता पुत्र मजदूरी करता है और दुनिया की झिड़कियाँ भी खाता है। शायद उसके लिए यह सजा कम है। |
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Wednesday, 16 September 2009
‘‘माँ का हत्यारा, पुत्र’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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ये बहुत ही शर्मनाक वाकया है। पता नहीं आपके मौसाजी ने क्या क़दम उठाया लेकिन, अगर मैं होती तो सारे रिश्ते ख़त्म कर चुकी होती।
ReplyDeleteक्या कहा जाय। समझ में नहीं आ रहा। जो भी हुआ दर्दनाक रहा।
ReplyDeleteसच मे ही बेहद शर्मनाक प्रसंग है आभार्
ReplyDeleteसच मे ही बेहद शर्मनाक प्रसंग है आभार्
ReplyDeleteजानकर बहुत अफ़सोस हुआ है. क्या किसी ने उसके खिलाफ FIR दर्ज कराई?
ReplyDeletepadh kar shock hua......... par us matruhanta ko uske kiye ki saza mil gayi.......
ReplyDeleteUske liye har saza kam hai.."un kitabon ham qabile zaptee sajhate hain, jinhen padhke bachhe baap ko khaptee samajhte hain..." baat to isse kaheen adhik sangeen huee..ya shayad maa zinda rah gayi hoti to sochiye, bete ne hatya ka yatn kiya,ye soch zinda jalee hoti..
ReplyDeleteदुखद..........
ReplyDeleteअत्यन्त दुखद.....
परमात्मा ऐसी संतान देने से बेहतर है न दे..........
behad sharmnaak aur behad dukhad...........aapke mausa ji ne sahi kiya aur uske karmon ki sazaa wo bhog hi raha hai isi se pata chalta hai ki uske yahan bhi der hai magar andher nahi.isiliye kaha gaya hai.........aise bete se to na hona achcha.
ReplyDeleteबहुत ही शर्मनाक दुर्घटना है. ऐसी ही औलाद को नालायक कहते हैं.
ReplyDeleteबहुत ही निंदनीयः घटना | हा पर उसको सज़ा भी मिल गई |इसको कहते है उसकी लाठी मे आवाज़ नही होती |
ReplyDeleteतनाव और गुस्से ने आम आदमी का जीवन नर्क बना दिया है और उसी गुस्से के नतीजे ने …………………… उसे जीते जी नर्क भोगने पर मज़बूर कर दिया,मगर इसमे मौसीजी और मौसाजी का क्या दोष था।
ReplyDeleteबहुत ही शर्मनाक, दुखद और दर्दनाक घटना है! भगवान ऐसी औलाद किसीको न दे!
ReplyDeleteएक ही बेटा था उनका .. अधिक लाड प्यार में बर्वाद हो गया .. बच्चों को हर उम्र में उसके अनुरूप जिम्मेदारी देनी चाहिए .. वैसे कर्म का फल तो वह भोग ही रहा है .. सजा मिलनी भी चाहिए !!
ReplyDeleteDARDNAK...ATYANT HRIDAYVIDARAK GHATANA....AISE DUSHTA LADKO KE LIYE....KOI BHI SAJA KAM HAIN KYOKI ISNE MATRATAVA BHAVNAYEN RISHTE SABKA KATLA KAR DIYA HAIN.
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