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Saturday, 9 November 2013

"उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस-9 नवम्बर)

उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस
उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात  भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तराञ्चल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया।[4] राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम मेंहिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं।
      देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है।[5][6]राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है।
           राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री और उनके कार्यकाल
९ नवम्बर २००० से २९ अक्तूबर २००१
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३० अक्तूबर २००१ से १ मार्च २००२
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२ मार्च २००२ से ७ मार्च २००७
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८ मार्च २००७२ से ३ जून २००९
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०५- रमेश पोखरियाल निशंक
२४ जून २००९ से १० सितम्बर २०११
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१० सितम्बर २०११ से १३ मार्च २०१२
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०५- विजय बहुगुणा१३ मार्च २०१२
अभी तक
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उत्तराखण्ड के श्री राज्यपाल
सुरजीत सिंह बरनाला९ नवम्बर २०००७ जनवरी २००३
सुदर्शन अग्रवाल८ जनवरी २००३२८ अक्टूबर २००७
बनवारी लाल जोशी२९ अक्टूबर २००७५ अगस्त २००९
मार्गरेट अल्वा६ अगस्त २००९१४ मई २०१२
अज़ीज़ कुरैशी१५ मई २०१२पदधारक
उत्तराखण्ड की नदियाँ
      उत्तराखण्ड की नदियाँ भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उत्तराखण्ड अनेक नदियों का उद्गम स्थल है। यहाँ की नदियाँ सिंचाई व जल विद्युत उत्पादन का प्रमुख संसाधन है। इन नदियों के किनारे अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित हैं। हिन्दुओं की पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल मुख्य हिमालय की दक्षिणी श्रेणियाँ हैं। गंगा का प्रारम्भ अलकनन्दा व भागीरथी नदियों से होता है। अलकनन्दा की सहायक नदी धौली, विष्णु गंगा तथा मंदाकिनी है। गंगा नदी, भागीरथी के रुप में गौमुख स्थान से २५ कि.मी. लम्बेगंगोत्री हिमनद से निकलती है। भागीरथी व अलकनन्दा देव प्रयाग संगम करती है जिसके पश्चात वह गंगा के रुप में पहचानी जाती है। यमुना नदी का उद्गम क्षेत्र बन्दरपूँछ के पश्चिमी यमनोत्री हिमनद से है। इस नदी में होन्स, गिरी व आसन मुख्य सहायक हैं। राम गंगा का उद्गम स्थल तकलाकोट के उत्तर पश्चिम में माकचा चुंग हिमनद में मिल जाती है। सोंग नदी देहरादून के दक्षिण पूर्वी भाग में बहती हुई वीरभद्र के पास गंगा नदी में मिल जाती है। इनके अलावा राज्य में काली, रामगंगाकोसीगोमतीटोंसधौली गंगा, गौरीगंगा, पिंडर नयार(पूर्व) पिंडर नयार (पश्चिम) आदि प्रमुख नदियाँ हैं।

मण्डल और जिले


उत्तराखण्ड में १३ जिले हैं जो दो मण्डलों में समूहित हैं: 

कुमाऊँ मण्डल 
और गढ़वाल मण्डल।
कुमाऊँ मण्डल के छः जिले हैं
अल्मोड़ा जिला
उधम सिंह नगर जिला
चम्पावत जिला
नैनीताल जिला
पिथौरागढ़ जिला
बागेश्वर जिला

गढ़वाल मण्डल के सात जिले हैं
उत्तरकाशी जिला
चमोली गढ़वाल जिला
टिहरी गढ़वाल जिला
देहरादून जिला
पौड़ी गढ़वाल जिला
रूद्रप्रयाग जिला
हरिद्वार जिला
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उत्तराखण्ड की जनसंख्या
२०११ की जनगणना के अनुसार, उत्तराखण्ड की जनसंख्या १,०१,१६,७५२ है 
२००१ की जनगणना के अनुसार, उत्तराखण्ड की जनसंख्या ८४,८९,३४९ थी, जिसमें 
४३,२५,९२४ पुरुष और ९१,६३,८२५ स्त्रियाँ थीं। 
इसमें सर्वाधिक जनसंख्या राजधानी देहरादून की ५,३०,२६३ है।
२०११ की जनगणना तक जनसंख्या का १ करोड़ तक हो जाने का अनुमान है। 
मैदानी क्षेत्रों के जिले पर्वतीय जिलों की अपेक्षा अधिक जनसंख्या घनत्व वाले हैं। 
राज्य के मात्र चार सर्वाधिक जनसंख्या वाले जिलों में 
राज्य की आधे से अधिक जनसंख्या निवास करती हैं। 
जिलों में जनसंख्या का आकार २ लाख से लेकर अधिकतम १४ लाख तक है। 
राज्य की दशकवार वृद्धि दर १९९१-२००१ में १९.२ प्रतिशत रही। 
उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को कुमाऊँनी या गढ़वाली कहा जाता है 
जो प्रदेश के दो मण्डलों कुमाऊँ और गढ़वाल में रहते हैं। 
एक अन्य श्रेणी हैं गुज्जर, जो एक प्रकार के चरवाहे हैं 
और दक्षिण-पश्चिमी तराई क्षेत्र में रहते हैं।
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प्रमुख नगर और जनसंख्या
देहरादून         4,47808
हरिद्वार         1,75,010
हल्दवानी        1,29,140
रुड़की          97,064
काशीपुर        92,778
रुद्रपुर          88,720
ऋषिकेश      59,771
रामनगर        47,099
पिथौरागढ़        41,157
जसपुर      39,048
नैनीताल      38,559
किच्छा     30,517
मसूरी         26,069
कोटद्वार          25,400
पौड़ी              24,742
श्रीनगर            19,861
गोपेश्वर         19,865
रानीखेत           19,049
खटीमा            14,378
जोशीमठ          13,202
बागेश्वर         7,803
(उपरोक्त आँकड़े 2001 की जनगणना पर आधारित हैं)
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उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था
राज्य की अर्थ-व्यवस्था मुख्यतः कृषि और संबंधित उद्योगों पर आधारित है। उत्तराखण्ड की लगभग ९०% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। राज्य में कुल खेती योग्य क्षेत्र ७,८४,११७ हेक्टेयर (७,८४१ किमी²) है। इसके अलावा राज्य में बहती नदियों के बाहुल्य के कारण पनविद्युत परियोजनाओं का भी अच्छा योगदान है। राज्य में बहुत सी पनविद्युत परियोजनाएं हैं जिनक राज्य के लगभग कुल ५,९१,४१८ हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई में भी योगदान है। राज्य में पनबिजली उत्पादन की भरपूर क्षमता है। यमुना, भागीरथी, भीलांगना,अलकनन्दामन्दाकिनीसरयू, गौरी, कोसी और काली नदियों पर अनेक पनबिजली संयंत्र लगे हुए हैं, जिनसे बिजली का उत्पादन हो रहा है। राज्य के १५,६६७ गांवों में से १४,४४७ (लगभग ९२.२२%) गांवों में बिजली है।इसके अलावा उद्योग का एक बड़ा भाग वन संपदा पर आधारित हैं। राज्य में कुल ५४,०४७ हस्तशिल्प उद्योग क्रियाशील हैं।
उत्तराखण्ड का सकल घरेलू उत्पाद 
वर्ष २००४ के लिए वर्तमान मूल्यों के आधार पर अनुमानित २८०.३२ अरब रुपए (६ अरब डॉलर) था। उत्तर प्रदेश से अलग होकर बना यह राज्य, पुराने उत्तर प्रदेश के कुल उत्पादन का ८% उत्पन्न करता है। २००३ की औद्योगिक नीति के कारण, जिसमें यहाँ निवेश करने वाले निवेशकों को कर राहत दी गई है, यहाँ पूँजी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सिडकुल यानि स्टेट इन्फ़्रास्ट्रक्चर एण्ड इण्डस्ट्रियल डिवेलपमण्ट कार्पोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि. ने उत्तराखण्ड राज्य के औद्योगिक विकास के लिये राज्य के दक्षिणी छोर पर सात औद्योगिक भूसंपत्तियों की स्थापना की है[23], जबकि ऊचले स्थानों पर दर्जनों पनबिजली बाँधों का निर्माण चल रहा है। फिर भी, पहाड़ी क्षेत्रों का विकास अभी भी एक चुनौती बना हुआ है क्योंकि लोगों का पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन जारी है।

उत्तराखण्ड में चूना पत्थर, राक फास्फेट, डोलोमाइट, मैग्नेसाइट, तांबा, ग्रेफाइट, जिप्सम आदि के भण्डार हैं। राज्य में ४१,२१६ लघु औद्योगिक इकाइया स्थापित हैं, जिनमें लगभग ३०५.५८ करोड़ की परिसंपत्ति का निवेश हुआ है और ६३,५९९ लोगों को रोजगार प्राप्त है। इसके अतिरिक्त १९१ भारी उद्योग स्थापित हैं, जिनमें २,६९४.६६ करोड़ रुपयों का निवेश हुआ है। १,८०२ उद्योगों में ५ लाख लोगों को कार्य मिला हुआ है। वर्ष २००३ में एक नयी औद्योगिक नीति बनायी गई जिसके अन्तर्गत्त निवेशकों को कर में राहत दी गई थी, जिसके कारण राज्य में पूंजी निवेश की एक लहर दौड़ गयी।
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उत्तराखण्ड के हवाई अड्डे
  • जॉलीग्रांट हवाई अड्डा (देहरादून): जॉलीग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है। यह देहरादून से २५ किमी की दूरी पर पूर्वी दिशा में हिमालय की तलहटियों में बसा हुआ है। बड़े विमानों को उतारने के लिए इसका हाल ही में विस्तार किया गया है। पहले यहाँ केवल छोटे विमान ही उतर सकते थे लेकिन अब एयरबसए३२० और बोइंग ७३७ भी यहाँ उतर सकते हैं।[25]
  • चकराता वायुसेना तलः चकराता वायुसेना तल चकराता में स्थित है, जो देहरादून जिले का एक छावनी कस्बा है। यह टोंस और यमुना नदियों के मध्य, समुद्र तल से १,६५० से १,९५० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
  • पंतनगर हवाई अड्डा (नैनी सैनी, पंतनगर)
  • उत्तरकाशी
  • गोचर (चमोली)
  • अगस्त्यमुनि (हेलिपोर्ट) (रुद्रप्रयाग)
  • पिथौरागढ़

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उत्तराखण्ड के बसअड्डे
राज्य के प्रमुख बस अड्डे हैं:
  • देहरादून
  • हरिद्वार
  • हल्द्वानी
  • रुड़की
  • रामनगर
  • कोटद्वार
  • टनकपुर (खटीमा इसी के अन्तर्गत आता है)
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उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थल
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उत्तराखण्ड की बोलियाँ

मध्य पहाड़ी की दो बोलियाँ कुमाऊँनी और गढ़वाली
क्रमशः कुमाऊँ और गढ़वाल में बोली जाती हैं। 
जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियाँ, जनजाति समुदायों द्वारा 
क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं। 
लेकिन हिन्दी पूरे प्रदेश में बोली और समझी जाती है 
और नगरीय जनसंख्या अधिकतर हिन्दी ही बोलती है।
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उत्तराखण्ड के हिम शिखर
       राज्य के प्रमुख हिमशिखरों में गङ्गोत्री (६६१४ मी.), दूनगिरि (७०६६), बन्दरपूँछ (६३१५), केदारनाथ (६४९०), चौखम्बा (७१३८), कामेट (७७५६), सतोपन्थ (७०७५), नीलकण्ठ (५६९६), नन्दा देवी (७८१८), गोरी पर्वत (६२५०), हाथी पर्वत (६७२७), नंदा धुंटी (६३०९), नन्दा कोट (६८६१) देव वन (६८५३), माना(७२७३), मृगथनी (६८५५), पंचाचूली (६९०५), गुनी (६१७९), यूंगटागट (६९४५) हैं।

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उत्तराखण्ड के  हिमनद

            राज्य के प्रमुख हिमनदों में गंगोत्रीयमुनोत्री, पिण्डर, खतलिगं, मिलम, जौलिंकांग, सुन्दर ढूंगा इत्यादि आते हैं।

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उत्तराखण्ड की झीलें

राज्य के प्रमुख तालों व झीलों में गौरीकुण्ड, रूपकुण्ड, नन्दीकुण्ड, डूयोढ़ी ताल, जराल ताल, शहस्त्रा ताल, मासर ताल, नैनीतालभीमताल, सात ताल, नौकुचिया ताल, सूखा ताल, श्यामला ताल, सुरपा ताल, गरूड़ी ताल, हरीश ताल, लोखम ताल, पार्वती ताल, तड़ाग ताल (कुमाऊँ क्षेत्र) इत्यादि आते हैं

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उत्तराखण्ड के दर्रे

उत्तराचंल के प्रमुख दर्रों में बरास- ५३६५ मी.,(उत्तरकाशी), माना - ६६०८ मी.(चमोली), नोती-५३००मी. (चमोली), बोल्छाधुरा- ५३५३मी.,(पिथौरागड़), कुरंगी-वुरंगी-५५६४ मी.( पिथौरागड़), लोवेपुरा-५५६४ मी. (पिथौरागड़), लमप्याधुरा-५५५३ मी. (पिथौरागढ़), लिपुलेश-५१२९ मी. (पिथौरागड़), उंटाबुरा, थांगला, ट्रेलपास, मलारीपास, रालमपास, सोग चोग ला पुलिग ला, तुनजुनला, मरहीला, चिरीचुन दर्रा आते हैं।

2 comments:

  1. वाह... उत्तराखड देव भूमि है.. प्रकृति आपलोगों पर मेहरवान है.. संत से असुर बने बाबाओं कि आश्रम को वहाँ से हटाएं .. मेरे भी ब्लॉग पर आये

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  2. उत्तराखंड -विस्तृत जानकारी -बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
    नई पोस्ट काम अधुरा है

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