उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस
उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री और उनके कार्यकाल
९ नवम्बर २००० से २९ अक्तूबर २००१
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३० अक्तूबर २००१ से १ मार्च २००२
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२ मार्च २००२ से ७ मार्च २००७
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८ मार्च २००७२ से ३ जून २००९
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०५- रमेश पोखरियाल निशंक
२४ जून २००९ से १० सितम्बर २०११
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०५- विजय बहुगुणा१३ मार्च २०१२
अभी तक
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उत्तराखण्ड के श्री राज्यपाल
१ | सुरजीत सिंह बरनाला | ९ नवम्बर २००० | ७ जनवरी २००३ |
२ | सुदर्शन अग्रवाल | ८ जनवरी २००३ | २८ अक्टूबर २००७ |
३ | बनवारी लाल जोशी | २९ अक्टूबर २००७ | ५ अगस्त २००९ |
४ | मार्गरेट अल्वा | ६ अगस्त २००९ | १४ मई २०१२ |
५ | अज़ीज़ कुरैशी | १५ मई २०१२ | पदधारक |
उत्तराखण्ड की नदियाँ
मण्डल और जिले
उत्तराखण्ड में १३ जिले हैं जो दो मण्डलों में समूहित हैं:
कुमाऊँ मण्डल
और गढ़वाल मण्डल।
कुमाऊँ मण्डल के छः जिले हैं
अल्मोड़ा जिला
उधम सिंह नगर जिला
चम्पावत जिला
नैनीताल जिला
पिथौरागढ़ जिला
बागेश्वर जिला
उधम सिंह नगर जिला
चम्पावत जिला
नैनीताल जिला
पिथौरागढ़ जिला
बागेश्वर जिला
गढ़वाल मण्डल के सात जिले हैं
उत्तरकाशी जिला
चमोली गढ़वाल जिला
टिहरी गढ़वाल जिला
देहरादून जिला
पौड़ी गढ़वाल जिला
रूद्रप्रयाग जिला
हरिद्वार जिला
चमोली गढ़वाल जिला
टिहरी गढ़वाल जिला
देहरादून जिला
पौड़ी गढ़वाल जिला
रूद्रप्रयाग जिला
हरिद्वार जिला
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उत्तराखण्ड की जनसंख्या
२०११ की जनगणना के अनुसार, उत्तराखण्ड की जनसंख्या १,०१,१६,७५२ है।
२००१ की जनगणना के अनुसार, उत्तराखण्ड की जनसंख्या ८४,८९,३४९ थी, जिसमें
४३,२५,९२४ पुरुष और ९१,६३,८२५ स्त्रियाँ थीं।
२०११ की जनगणना तक जनसंख्या का १ करोड़ तक हो जाने का अनुमान है।
मैदानी क्षेत्रों के जिले पर्वतीय जिलों की अपेक्षा अधिक जनसंख्या घनत्व वाले हैं।
राज्य के मात्र चार सर्वाधिक जनसंख्या वाले जिलों में
राज्य की आधे से अधिक जनसंख्या निवास करती हैं।
जिलों में जनसंख्या का आकार २ लाख से लेकर अधिकतम १४ लाख तक है।
राज्य की दशकवार वृद्धि दर १९९१-२००१ में १९.२ प्रतिशत रही।
उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को कुमाऊँनी या गढ़वाली कहा जाता है
जो प्रदेश के दो मण्डलों कुमाऊँ और गढ़वाल में रहते हैं।
एक अन्य श्रेणी हैं गुज्जर, जो एक प्रकार के चरवाहे हैं
और दक्षिण-पश्चिमी तराई क्षेत्र में रहते हैं।
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प्रमुख नगर और जनसंख्या
देहरादून 4,47808
हरिद्वार 1,75,010
हल्दवानी 1,29,140
रुड़की 97,064
काशीपुर 92,778
रुद्रपुर 88,720
ऋषिकेश 59,771
रामनगर 47,099
पिथौरागढ़ 41,157
जसपुर 39,048
नैनीताल 38,559
किच्छा 30,517
मसूरी 26,069
कोटद्वार 25,400
पौड़ी 24,742
श्रीनगर 19,861
गोपेश्वर 19,865
रानीखेत 19,049
खटीमा 14,378
जोशीमठ 13,202
बागेश्वर 7,803
(उपरोक्त आँकड़े 2001 की जनगणना पर आधारित हैं)
(उपरोक्त आँकड़े 2001 की जनगणना पर आधारित हैं)
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उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था
राज्य की अर्थ-व्यवस्था मुख्यतः कृषि और संबंधित उद्योगों पर आधारित है। उत्तराखण्ड की लगभग ९०% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। राज्य में कुल खेती योग्य क्षेत्र ७,८४,११७ हेक्टेयर (७,८४१ किमी²) है। इसके अलावा राज्य में बहती नदियों के बाहुल्य के कारण पनविद्युत परियोजनाओं का भी अच्छा योगदान है। राज्य में बहुत सी पनविद्युत परियोजनाएं हैं जिनक राज्य के लगभग कुल ५,९१,४१८ हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई में भी योगदान है। राज्य में पनबिजली उत्पादन की भरपूर क्षमता है। यमुना, भागीरथी, भीलांगना,अलकनन्दा, मन्दाकिनी, सरयू, गौरी, कोसी और काली नदियों पर अनेक पनबिजली संयंत्र लगे हुए हैं, जिनसे बिजली का उत्पादन हो रहा है। राज्य के १५,६६७ गांवों में से १४,४४७ (लगभग ९२.२२%) गांवों में बिजली है।इसके अलावा उद्योग का एक बड़ा भाग वन संपदा पर आधारित हैं। राज्य में कुल ५४,०४७ हस्तशिल्प उद्योग क्रियाशील हैं।
उत्तराखण्ड का सकल घरेलू उत्पाद
वर्ष २००४ के लिए वर्तमान मूल्यों के आधार पर अनुमानित २८०.३२ अरब रुपए (६ अरब डॉलर) था। उत्तर प्रदेश से अलग होकर बना यह राज्य, पुराने उत्तर प्रदेश के कुल उत्पादन का ८% उत्पन्न करता है। २००३ की औद्योगिक नीति के कारण, जिसमें यहाँ निवेश करने वाले निवेशकों को कर राहत दी गई है, यहाँ पूँजी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सिडकुल यानि स्टेट इन्फ़्रास्ट्रक्चर एण्ड इण्डस्ट्रियल डिवेलपमण्ट कार्पोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि. ने उत्तराखण्ड राज्य के औद्योगिक विकास के लिये राज्य के दक्षिणी छोर पर सात औद्योगिक भूसंपत्तियों की स्थापना की है[23], जबकि ऊचले स्थानों पर दर्जनों पनबिजली बाँधों का निर्माण चल रहा है। फिर भी, पहाड़ी क्षेत्रों का विकास अभी भी एक चुनौती बना हुआ है क्योंकि लोगों का पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन जारी है।
उत्तराखण्ड में चूना पत्थर, राक फास्फेट, डोलोमाइट, मैग्नेसाइट, तांबा, ग्रेफाइट, जिप्सम आदि के भण्डार हैं। राज्य में ४१,२१६ लघु औद्योगिक इकाइया स्थापित हैं, जिनमें लगभग ३०५.५८ करोड़ की परिसंपत्ति का निवेश हुआ है और ६३,५९९ लोगों को रोजगार प्राप्त है। इसके अतिरिक्त १९१ भारी उद्योग स्थापित हैं, जिनमें २,६९४.६६ करोड़ रुपयों का निवेश हुआ है। १,८०२ उद्योगों में ५ लाख लोगों को कार्य मिला हुआ है। वर्ष २००३ में एक नयी औद्योगिक नीति बनायी गई जिसके अन्तर्गत्त निवेशकों को कर में राहत दी गई थी, जिसके कारण राज्य में पूंजी निवेश की एक लहर दौड़ गयी।
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उत्तराखण्ड के हवाई अड्डे
- जॉलीग्रांट हवाई अड्डा (देहरादून): जॉलीग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है। यह देहरादून से २५ किमी की दूरी पर पूर्वी दिशा में हिमालय की तलहटियों में बसा हुआ है। बड़े विमानों को उतारने के लिए इसका हाल ही में विस्तार किया गया है। पहले यहाँ केवल छोटे विमान ही उतर सकते थे लेकिन अब एयरबसए३२० और बोइंग ७३७ भी यहाँ उतर सकते हैं।[25]
- चकराता वायुसेना तलः चकराता वायुसेना तल चकराता में स्थित है, जो देहरादून जिले का एक छावनी कस्बा है। यह टोंस और यमुना नदियों के मध्य, समुद्र तल से १,६५० से १,९५० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- पंतनगर हवाई अड्डा (नैनी सैनी, पंतनगर)
- उत्तरकाशी
- गोचर (चमोली)
- अगस्त्यमुनि (हेलिपोर्ट) (रुद्रप्रयाग)
- पिथौरागढ़
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उत्तराखण्ड के बसअड्डे
राज्य के प्रमुख बस अड्डे हैं:
- देहरादून
- हरिद्वार
- हल्द्वानी
- रुड़की
- रामनगर
- कोटद्वार
- टनकपुर (खटीमा इसी के अन्तर्गत आता है)
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उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थल
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उत्तराखण्ड की बोलियाँ
क्रमशः कुमाऊँ और गढ़वाल में बोली जाती हैं।
जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियाँ, जनजाति समुदायों द्वारा
क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं।
लेकिन हिन्दी पूरे प्रदेश में बोली और समझी जाती है
और नगरीय जनसंख्या अधिकतर हिन्दी ही बोलती है।
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उत्तराखण्ड के हिम शिखर
राज्य के प्रमुख हिमशिखरों में गङ्गोत्री (६६१४ मी.), दूनगिरि (७०६६), बन्दरपूँछ (६३१५), केदारनाथ (६४९०), चौखम्बा (७१३८), कामेट (७७५६), सतोपन्थ (७०७५), नीलकण्ठ (५६९६), नन्दा देवी (७८१८), गोरी पर्वत (६२५०), हाथी पर्वत (६७२७), नंदा धुंटी (६३०९), नन्दा कोट (६८६१) देव वन (६८५३), माना(७२७३), मृगथनी (६८५५), पंचाचूली (६९०५), गुनी (६१७९), यूंगटागट (६९४५) हैं।
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उत्तराखण्ड के हिमनद
राज्य के प्रमुख हिमनदों में गंगोत्री, यमुनोत्री, पिण्डर, खतलिगं, मिलम, जौलिंकांग, सुन्दर ढूंगा इत्यादि आते हैं।
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उत्तराखण्ड की झीलें
राज्य के प्रमुख तालों व झीलों में गौरीकुण्ड, रूपकुण्ड, नन्दीकुण्ड, डूयोढ़ी ताल, जराल ताल, शहस्त्रा ताल, मासर ताल, नैनीताल, भीमताल, सात ताल, नौकुचिया ताल, सूखा ताल, श्यामला ताल, सुरपा ताल, गरूड़ी ताल, हरीश ताल, लोखम ताल, पार्वती ताल, तड़ाग ताल (कुमाऊँ क्षेत्र) इत्यादि आते हैं
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उत्तराखण्ड के दर्रे
उत्तराचंल के प्रमुख दर्रों में बरास- ५३६५ मी.,(उत्तरकाशी), माना - ६६०८ मी.(चमोली), नोती-५३००मी. (चमोली), बोल्छाधुरा- ५३५३मी.,(पिथौरागड़), कुरंगी-वुरंगी-५५६४ मी.( पिथौरागड़), लोवेपुरा-५५६४ मी. (पिथौरागड़), लमप्याधुरा-५५५३ मी. (पिथौरागढ़), लिपुलेश-५१२९ मी. (पिथौरागड़), उंटाबुरा, थांगला, ट्रेलपास, मलारीपास, रालमपास, सोग चोग ला पुलिग ला, तुनजुनला, मरहीला, चिरीचुन दर्रा आते हैं।
वाह... उत्तराखड देव भूमि है.. प्रकृति आपलोगों पर मेहरवान है.. संत से असुर बने बाबाओं कि आश्रम को वहाँ से हटाएं .. मेरे भी ब्लॉग पर आये
ReplyDeleteउत्तराखंड -विस्तृत जानकारी -बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteनई पोस्ट काम अधुरा है