‘‘महाकवि तुलसीदास’’
अब के कवि खद्योत सम, जहँ-तहँ करत प्रकाश।।’’
ब्लागर मित्रों!
आज से 20 वर्ष पूर्व मेरा एक लेख
नैनीताल से प्रकाशित होने वाले
समाचारपत्र
"दैनिक उत्तर उजाला"
में प्रकाशित हुआ था।
भगवान राम की गाथा को
रामचरित मानस के रूप में
जन-जन में प्रचारित करने वाले
महाकवि तुलसीदास की स्मृति
महाकवि तुलसीदास की स्मृति
उर में संजोए हुए यह लेख मूलरूप में
आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
bahut hi sundar
ReplyDeletekeya racha hai
aacha lagega
Aalekh rochak lag raha tha,lekin poora nahee khul paya....
ReplyDeleteBahut khoobsoorat post
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
ReplyDeleteएस .एन. शुक्ल
bahut achhe
ReplyDeleteयुग दृष्टा थे तुलसी -जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी ,
ReplyDeleteसो नृप अबसी,नरक अधिकारी .आज भी प्रासंगिक हैं ये पंक्तियाँ ,तिहाड़ की शोभा बने हमारे पहरुवे इसका प्रमाण हैं .
शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
Erectile dysfunction? Try losing weight Health
...क्या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August 8
Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
ReplyDeleteआज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
आप तो हिंदी के बहुत पुराने विद्वान् लेखक है , हिंदी की इस लंबी सेवा के लिए बधाई .
ReplyDeleteशास्त्री जी अच्छी जानकारी पुरानी यादें तारापति पुत्र तुलसी के ....चटका लगते जम होना अच्छा जुगाड़ ...
ReplyDeleteसुन्दर
भ्रमर ५
युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए..
ReplyDeleteबहुत अच्छा..
बहुत सुंदर ,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com