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Monday, 1 August 2011

“मेरी पन्तनगर यात्रा” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

मेरी एक दिन की पन्तनगर यात्रा
बहुत दिन हो गये थे घर में पड़े-पड़े!
रोज़मर्रा का वही काम। सुबह ठना कम्प्यूटर खोलना, मेल चेक करना और ब्लॉगिंग करना। 
इस काम से अब खीझ होने लगी थी! इसलिए सोचा कि कहीं पर घूम आया जाए। 
तभी अपने शिष्य सुरेश राजपूत का फोन आ गया कि गुरू जी मेरे पास आ जाइए ! 
मेरा भी मन था कहीं घूमने जाने का। 
तब मैंने 30 जुलाई को अपराह 3 बजे कार निकाल ही ली 
और चल पड़ा पन्त नगर की यात्रा के लिए।
रास्ते में किच्छा का रेलवे क्रॉसिंग पड़ा वह बन्द था इस लिए मुझे रुकना पड़ा।
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सोचा कि कैंमरे से कुछ फोटो ही खींच लिए जाएँ।
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तभी मीटर गेज की रेलगाड़ी किच्छा की ओर से आती हुई दिखाई पड़ी!
उसके बाद मैं पन्तनगर पहुँच गया!
सीधे सुरेश जी के घर पहुँचा और पेटभर कर चाय नाश्ता किया!
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यह है सुरेश राजपूत का घर। 
दोमंजिले पर रहते हैं वो अपनी माता जी के साथ।
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सुरेश जी के घर के बाहर अमरूद के पेड़ लगे हैं।
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जिन पर अमरूद के फल लगे थे!
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खाली जगह में भिण्डी के पौधे भी लगाए हुए हैं।
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इन पर भिण्डी के फूल और कलियाँ भी दिखाई दे रहीं थीं।
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घर के बाहर रोड के किनारे नीम का एक पेड़ भी मुझे दिखाई दिया।
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जिसके नीचे ही मैंने अपनी कार खड़ी की थी।
नीम के पेड़ पर निम्बौरियाँ लदी हुई थीं और वो पर कर नीचे टपक रहीं थी।
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इसके बाद हम लोग पन्तनगर के अन्तरराष्ट्रीय अतिथि गृह में गये। 
सुरेश जी ने मेरे रात्रि विश्राम का प्रबन्ध यहाँ ही किया था।
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गेस्ट हाउस के बाहर का नजारा बहुत मनमोहक था।
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चारों ओर हरियाली ही हरियाली पसरी थी
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मैदान में चीड़ का यह विशालकाय वृक्ष 
उत्तराखण्ड के पहाड़ी राज्य का आभास करा रहा था !
सुरेश जी ने अपनी फोटो भी इसी चीड़ के पेड़ के नीचे खिंचवाई।
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इसके बाद मेरी भी फोटो सुरेश जी ने खींच ही ली!
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सुरेश राजपूत जी ने अपने घर की सीढ़ियों के साथ 
दीवार में गणेश जी की बहुत सारी पेंटिग अपने हाथों से बनाईं हैं।
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यहाँ आने और जाने पर मैं गणेश जी को प्रणाम करना न भूला!
इस प्रकार से मेरी एक दिन की पन्तनगर विश्वविद्यालय की यात्रा सम्पन्न हुई!

14 comments:

  1. bahut hi sundar hai,
    aap ka chotha safar , aur suresh ji ko mara naman ka dijiyega

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  2. मुबारक हो।
    बड़े ही मनोरम वातावरण से आप हो आए।

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  3. सुरेश जी की पेंटिंग्स तो लाज़वाब हैं .
    और आपकी नज़र भी . बहुत बारीकी से निरिक्षण किया है . बढ़िया रहा .

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  4. Shastri ji kabhi kabhi masheeni jindgi se kuch pal churakar ghoomna achcha lagta hai.apne ko fir se charge karne ke liye.bahut achcha vivran hai tasveeren bhi achchi lagi.

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  5. शास्त्री जी आपकी पंतनगर की यात्रा तो बहुत ही बढ़िया रहा! सुरेश जी का घर, बगीचा, अमरुद और भिन्डी के पेड़ और उनकी गणेश भगवान की बनायीं हुई पेंटिंग के क्या कहने! रेलगाड़ी से लेकर हर एक तस्वीरें बहुत सुन्दर लिया है आपने ! अच्छा लगता हैं यूँ एक दिन के लिए कहीं घूमने जाने में ! तस्वीरें और साथ में आपने विस्तारित रूप से वर्णन किया है एक पल के लिए लगा जैसे मैं भी पंतनगर घूमकर आ गई!

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  6. Bahut sundar tasveeren! Sureshji kee paintings bhee behad achhee hain! Maza aa gaya!

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  7. वाह गनेश जी की तस्वीर तो बहुत ही सुन्दर बनायी है सुरेश जी ने…………यात्रा तो बेहद सुखद रही।

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  8. खूबसूरत चित्रों से सजी सुन्दर यात्रा , आभार

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  9. छोटी सी यात्रा का अपना मजा होता है।

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  10. मै भी पंतनगर का प्रोडक्ट हूँ...इसलिए आई जी एच देख कर ही खुश हो गया...पूरा कैम्पस बहुत सुन्दर है...घुमे कि नहीं...

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  11. सफ़ल जात्रा की बधाई

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  12. ब्रेक के लिए बधाई ,चित्रमय मनोरम झांकी ,अमरुद लदे पेड़ दिखाने के लिए आभार .कृपया यहाँ भी पधारें .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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  13. sundar anubhav...achha kiya humse baanta aapne...


    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  14. bahut sunder ...aap bhi dhummakkad ban gae shashtri ji ...

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