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Saturday, 10 July 2010

"नवगीत-स्वरःअर्चना चावजी”

आज सुनिए!
अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!
मेरा यह नवगीत-



पंक में खिला कमल,
किन्तु है अमल-धवल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!

डण्ठलों के साथ-साथ,
तैरते हैं पात-पात,
रश्मियाँ सँवारतीं ,
प्रसून का सुवर्ण-गात,
देखकर अनूप-रूप को,
गया हृदय मचल! 
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!! 

पंक के सुमन में ही, 
सरस्वती विराजती,
श्वेत कमल पुष्प को,
ही शारदे निहारती,
पूजता रहूँगा मैं,
सदा-सदा चरण-कमल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!
-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” 

14 comments:

  1. वाह वाह ………………बेहद सुन्दर आवाज़ है अर्चना जी की और उनकी आवाज़ ने गीत को चार चाँद लगा दिये क्युँकि गीत पहले ही इतना सुन्दर था।

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  2. मधुर आवाज अर्चना जी की. सुन्दर शब्दों और भावों की रचना

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  3. वाह , वाह , शास्त्री जी -जितना सुन्दर गीत , उतना ही सुन्दर स्वर अर्चना जी का ।
    बहुत बढ़िया लगा सुनकर ।
    आभार ।

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  4. waah !

    jitne sundar shabd

    utna hi sureela swar.............

    badhaai !

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 11.07.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  6. वाह वाह जी बहुत मधुर आवाज बिलकुल कोयल सी, ओर सव्द भी बिलकुल साफ़. धन्यवाद

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  7. आप सभी का धन्यवाद, आवाज पसन्द करने के लिए...और शास्त्री जी का आभार ! मौका और इतना सम्मान देने के लिए.................

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  8. वाह ,शास्त्री जी बहुत बढ़िया .....

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  9. एक ही शब्द है अनुपमेय..

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  10. सुन्दर मधुर आवाज । अर्चना जी और आपको बधाई

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  11. bahut sundar rachna. bahut sundar shabd chayan. aabhaar.

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  12. बेहतरीन रचना

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