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Monday, 5 July 2010

“दस्तावेजों से खिलवाड़” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“सरकारी मशीनरी की लापरवाही”

इन दिनों समूचे उत्तराखण्ड में नये राशन-कार्डों का वितरण/सत्यापन चल रहा है!
आप सभी यह जानते हैं कि राशन-कार्ड एक साधारण कागज नही अपितु महत्वपूर्ण दस्तावेज है!
मुझे भी नया राशन-कार्ड मिल गया है!
आप भी इसका अवलोकन कर लीजिए-
IMG_1674 IMG_1684 - Copy इस महत्वपूर्ण दस्तावेज में मेरे नाम, मेरे पिता जी के नाम, मेरी आय तथा घरेलू गैस के विवरण तक पर चूना अर्थात इंक रिमूवर लगाया गया है!
इस सन्दर्भ में मैं आज खण्ड विकास अधिकारी खटीमा से मिला तो पहले तो उन्होंने कहा कि इससे हर्ज ही क्या है?
लेकिन जब मैंने इस जालसाजी की रिपोर्ट करने की बात कही तो घबड़ाकर झट से अपने स्टाफ की गलती स्वयं स्वीकार कर ली और एक सप्ताह में इसे बदलवाने की बात स्वीकार कर ली है!
ऐसे और भी बहुत से कार्ड-धारक होंगे लेकिन सभी तो अधिकारियों से बहस नही कर सकते!
शासन और प्रशासन के अधिकारीगण आज आम आदमी की बात को सुनने के लिए राजी नही हैं! यदि इस घटना को गुजरे हुए 1-2 महीना हो गया होता तो ये अधिकारी तो उलटे उपभोक्ता पर ही जालसाजी करने का आरोप लगाते देर नही लगाते!

8 comments:

  1. भ्रष्टाचार हर जगह व्याप्त है अब तो हमे ही आँखे खुली रखनी पडेंगी।

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  2. Kaash aap jaisi jagrukta har nagrik dikhaye! Ek zimmedaar nagrik ka yahi to praman hai!

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  3. इसी को कहते हैं , चलता है रवैया ।
    इसीलिए अभी तक विकासशील ही है ।

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  4. हम सरकार को कोसते नही थक्ते सरकार सुविधा देती है मगर हम और हमारे समाज से हमारे भाई ही जब बेईमानी पर उतर आयें तो कहाँ तक कोई उसका लाभ उठा सकेगा। जैसे देख कर आप इतनी सी कार्यवाई कर के चुप बैठ गये ऐसे ही लोग भी चुप कर जाते हैं । किस किस जगह झगडा किया जाये, शिकायत की जाये। आभार।

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  5. kuch panktiyaan yaad aa rahi hain:

    "God's in His Heaven, All's Right With the World"

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  6. ये गलतियाँ इस लिए रह जाती हैं की लोग विरोध नहीं करते . प्रेरक पोस्ट.

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  7. यही तो विडंबना है...

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