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Saturday 26 December 2009

"86 वर्षीय बूढ़े-बरगद पर ऐसा गन्दा आरोप ?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

पं. नारायण दत्त तिवारी विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं।
कुछ तो शर्म करो!
86 वर्षीय बूढ़े-बरगद पर ऐसा गन्दा आरोप ?
(चित्र मे पं. नारायण दत्त, डॉ.केडी.पाण्डेय और किनारे डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री)

आज समाचार पत्रों मे और नेट पर पं. नारायण दत्त तिवारी के बारे में पढ़ा तो बहुत ही दुःख हुआ। 86 वर्षीय एक बूढ़ा व्यक्ति सेक्स सकैण्डल के घेरे में। कितना अप्रत्याशित लगता है यह। पं. नारायण दत्त तिवारी पर तो आरोप शुरू से ही लगते रहे हैं। कभी हवाला मे लिप्त होने के, कभी सेक्स मे फँसे रहने केऔर हद तो जब हो गयी कि एक युवक ने अपने को तिवारी जी का नाजायज पुत्र ही कह दिया। लेकिन हर बार माननीय तिवारी जी ससम्मान दोष-मुक्त हुए हैं।
अख़बार वालों को तो मसाला न्यूज मिलनी चाहिए चाहे उसमें सत्यता हो या न हो। ये शायद यह भूल जाते हैं कि जब तिवारी जी केन्द्र मे वित्त-मन्त्री थे तो स.मनमोहन सिंह उनके वित्त-सचिव और वर्तमान में योजना आयोग के उपाध्यक्ष स. मोन्टेक सिंह अहलूवालिया उनके डिप्टी सेक्रेटरी हुआ करते थे। मा. तिवारी जी ने केन्द्र मे योजनामन्त्री, उद्योग मऩ्त्री, विदेश मन्त्री आदि महत्वपूर्ण पदों को तो सुशोभित किया ही है साथ ही वे 4 बार उ.प्रदेश और एक बार उत्तराखण्ड के मुख्य मन्त्री भी रह चुके हैं।
तिवारी जी ने इस झूठ का सामना करने के लिए आन्ध्र-प्रदेश के राज्यपाल पद से त्यागपत्र भी दे दिया है। यह उनकी नैतिकता का ही परिचायक है। वे एक सत्ते गांधीवादी रहे हैं और रहेंगे।
मुझे मा. तिवारी जी का सानिध्य शुरू से ही मिला है, उत्तराखण्ड में सरकार में भी उनके साथ काम करने अवसर मिला है। 80 साल की उम्र में भी वे 17-18 घण्टे लगातार कार्य में संलग्न रहते थे।
ऊपर का चित्र 18 साल पुराना है। उनकी आयु उस समय 70 साल थी। उन दिनों में मैंने काफी दिन-रात उनके साथ गुजारे थे। मुझे सदैव उनमें एक विलक्षण पुरुष और विकास-पुरुष के दिग्दर्शन हुए।
मुझे आशा है कि मा. तिवारी जी इस स्कैण्डल में भी निष्कलंक साबित होंगे।

15 comments:

  1. वैसे तिवाडी जी के पीछे पडा कौन है . निश्चित ही तिवाडी जी का प्रारम्भ जितना संघर्ष से हुआ अन्त भी संघर्षो से भरा लगता है .

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  2. सचमुच, यह आरोप सही नहीं लगता!

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  3. जी... मैं भी यही कहता हूँ..... ऐसे आरोप लगाना आसान होता है.... इस दुनिया का सबसे आसान काम किसी कि बेईज्ज़ती कर देना है..... नैतिकता का परिचय देते हुए .... ठीक किया माननीय तिवारी जी ने..... मुझे भी आशा है कि मा. तिवारी जी इस स्कैण्डल में भी निष्कलंक साबित होंगे।

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  4. यह घटना कई सवाल खड़े करती है -राज भवन में भी स्टिंग आपरेशन -साफ़ है तिवारी को फसाया गया है -बदमाशों की पहुँच कहा तक नहीं है -यह हमारा सुरक्षा तंत्र है !

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  5. मुझे आशा है कि मा. तिवारी जी इस स्कैण्डल में भी निष्कलंक साबित होंगे।
    हमें आपकी आशा पर पूरा भरोसा है, शास्त्री जी।
    यह सचमुच एक बड़ी दुखद घटना है।

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  6. गंदी मानसिकता का परिचय है यह सब सस्ती लोकप्रियता के लिए इतने बड़े शक्स पर इस तरह का आरोप लगाना..जल्द ही सभी के मुँह बंद होंगे..और तिवारी जी ससम्मान आरोप से मुक्त होंगे...

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  7. mujhe lagta hai ki is baar bhi tiwari ji apni achi chhavi pradarshit karenge.

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  8. दुखद है इस तरह से साजिश रचना.

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  9. अत्यन्त दुखद और शर्मनाक षड़यंत्र !
    अगर यह षड़यंत्र है तो............

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  10. Param aadarniy mayank ji,
    sadar pranaam main sirf itna janta hoon ki tiwari ji lucknow k rajnaitik galiyaaro mein is tarah k kaamo k liye prasidh rahe hain na ismein koi shadyantr hai na sajish . sri tiwari ji vyaktitv k dhani vyakti rahe hain lekin kuch kamiyaan thi ya paap jo ab janta k saamne seedhe aa raha hai . agar is umar manniy tiwari ji ne is kraty ko band kar diya hota to aaj yah durdin na dekhne padte lucknow mwin jinka rajniti se koi lena dena nahi hai vah log bhi tiwari ji ki is kary ki charcha aaj bhi karte hain.

    sadar
    suman

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  11. shahsree ji, vriddh ho jane se hi kisee ko shareef nahee mana ja sakta. beshak aap unko janate hai. lekin rajnetao ke asalee chehare tak ham pahunch nahee sakte. sting opration karke unhe fansaane kee bhi koshish hui to bhi tivari ji ne vaisa sab kiya kyo...? aap behatar samajh sakate hai.

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  12. आपको एक घटना सुनाता हूं.. आज से लगभग 7 साल पहले की है.. एक बंदा जिसके साथ मिलकर मैं फ़्री-लौंसिंग के तौर पर पॉकेट मनी के लिये साफ्टवेयर बना कर बेचा करता था, एक दिन अखबार में उनकी(इज्जत इसलिये नवाज़ रहा हूं क्योंकि कभी वे मेरे गुरू भी रह चुके थे और मित्र भी) तस्वीर देखी, सलाखों के पीछे.. मैं सदमें में था कि क्योंकि मैं उनके साथे दिन के 8-9 घंटे गुजारता था और मुझे कुछ पता नहीं था.. जब वह जेल से वापस आये तब उन्होंने खुद स्वीकारा की पुलिस का आरोप सही था.. वे रंगदारी वसूलने के चक्कर में जेल गये थे..

    आज आप किसी पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, भले ही आप उसके साथ कितना ही वक्त क्यों ना गुजार चुके हों..

    नोट - मैं यहां नारायण दत्त तिवारी पर आरोप नहीं लगा रहा हूं, वो मामला तो अभी लंबा खिचेगा..

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  13. बूढा बरगद भी अपनी जडों में तिनकों को जकडता है :) प्रतिभा और यौन प्र्वृत्ति दो अलग चीज़ें है। सच क्या है, ईश्वर ही जाने या वो खुद॥

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  14. तिवारी जी को फंसाया जा रहा है, ये तो प्रथम दृष्टि में ही एक समझदार बन्दे को नजर आजाता है /

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