हुक्म की बेगम,
चिड़ी का गुलाम,
कलयुगी स्वयम्बर की इस सप्ताह बड़ी चर्चा रही। कमाल की बात तो यह रही कि स्वयम्बर रचा रही तारिका ने अपने को सीता की उपाधि से अलंकृत कर दिया। सच पूछा जाये तो यह सब दुनिया भर को मूर्ख बनाने का एक उपक्रम ही था। हुक्म की बेगम ने आखिर एक अमीर को फाँस ही लिया। कनाडा का एक चिड़ी का गुलाम, हुक्म की बेगम के चँगुल में फँस ही गया। वही हुआ जिसकी पहले से ही आशंका थी। हमेशा की तरह गरीबी पर अमीरी भारी पड़ गई। सभ्यता और संस्कृति के इस मजाक को राम के वंशज देखते रहे। कहाँ सो रहे थे जय श्री राम का नारा लगाने वाले। यदि फिरकापरस्ती और वोटों की बात होती तो ये कलयुगी राम भक्त दंगा फैलाने से बाज नही आते और पुरातत्व के अवशेषों को ढहाने से भी बाज नही आते। यह सिर्फ कहने भर की बात नही है। हममें से बहुतों ने काला दिन देखा है, जिसकी आग अभी तक ठण्डी नही हो पाई हैं। प्रेम दिवस आता है तो इन संस्कृति के कथित रक्षकों के कारनामें ऐसे होते हैं जिन्हे याद करके मानवता भी शर्मसार हो जाती है।
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बहुत बढ़िया लेख!
ReplyDeleteb shi kaha hai aapne .hidu sanskrti ke thekedaro ki khi koi aavaj nhi ?chalo ak bhondi noutki ka jaldi hi ptakshep hua .
ReplyDeleteक्या कहा जाये!!
ReplyDeleteठीक बात
ReplyDeleteशास्त्री जी,
ReplyDeleteनमस्कार!
नफरत है मुझे अपने आप को माँ सीता से तुलना करने वाली उस पतिता कन्या से, ये मेरा व्यक्तिगत सोचना है, मैं बिल्कुल नही चाहूँगा की माँ सीता का अपमान हो! वाकई में, संसार को मूर्ख बना के पैसा ठग रहे है यह आज कल के रियलिटी प्रोग्राम, अच्छा लेख लिखा है आपने, अंतरात्मा को जागृत करने की ज़रूरत है बस!!!
शुक्रिया आपका इसे साझा करने के लिए!
प्रणाम!
kya baat hai..bahut hi badiya lekh
ReplyDeletekya baat kahi hai shastri ji........aapka ye lekh aise hukmranon ke moonh par ek tamacha hai.
ReplyDeleteमयंकजी,
ReplyDeleteइतनी कोफ्त होती है यह सब देख-सुन कर(देखा तो कभी भी नहीं)कि क्या बताऊं। आज तो लुच्चा ही सबसे उच्चा है। 'सर्व गुण समपन्न' स्वयंम्बरकर्णी को मीडिया ने सिर्फ अपने हित के लिये आकाश तक पहुंचा दिया है।
बेहद अच्छा आलेख है ..! मैंने तो ,खैर, ये सब देखा नही , लेकिन , blogs पे इन बातों की चर्चा पढी....!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
bahut sundar
ReplyDeleteसत्य वचन.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
शास्त्री जी बहुत ही बढिया लेख
ReplyDeleteआपने सही कहा यदि वोट का टाइम होता तो अब तक तमाम राम भक्त सड़क पे होते और तरिका की तो नहीं पर कुछ सिनेमा गृह जहा तारिका का पोस्टर फिल्म मिलता आग के हवाले हो गए होते .
और ये तारिका अपने आप को सीता माता से क्या तुलना करेगी जनक तो स्वयम्बर में थे ही नहीं :) :)
टी वी पर सबसे ज्यादा रेटिंग लेकर इस प्रोग्राम ने साबित कर दिया की हम कितनी आसानी से मूर्ख बनने को तैयार रहते हैं. किसी ने ठीक ही कहा है, पैसा उछालो और कुछ भी कहलवालो. धर्म के ठेकेदारों के बारे में क्या बोलें.?
ReplyDeleteसही लिखा है आपने .....अभी मैं सामने पड़े पेपर में ये न्यूज़ देख रही थी और सोच रही थी कि ये औरत क्या सच मच इस युवक से जीवन निर्वाह कर पायेगी .....या डेटिंग के बाद फिर एक और स्वयंवर होगा .....!!
ReplyDeleteलाजवाब और बेहतरीन लेख के लिए बधाई शास्त्री जी!
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