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Wednesday 3 June 2009

‘‘क्रोधी व्यक्ति अकेला ही रह जाता है’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)


कई वर्ष पुरानी बात है। मेरे एक मित्र थे। केन्द्र सरकार के महत्वपूर्ण विभाग में महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे। कभी-कभी उनके कार्यालय में जाना होता था, तो वो ढंग से बात नही करते थे। उनकी इस आदत से सभी परेशान थे।
एक दिन नगर में एक कवि गोष्ठी थी। संयोगवश् ये सज्जन भी उसमें बतौर शायर पधारे थे। मैंने जब इन्हें इस रूप में देखा तो विश्वास ही नही हो रहा था कि ये वही होंगे, जो कि अपने दफ्तर में इतने बद-तमीज हैं।
खैर, जब इन्होंने मेरी कविताएँ सुनी तो ये खासे प्रभावित हुए और इनसे दोस्ती हो गयी। इनके घर आना जाना भी हो गया। परन्तु अपने स्वभाव के अनुसार इन्होंने अपनी व अपने परिवार की श्लाघा करनी नही छोड़ी। मैं भी हाँ-हूँ करके इनकी बाते सुन लिया करता था।
एक दिन शाम को 6 बजे के लगभग मैं इनके घर अनायास ही पहुँच गया। वहाँ मैंने जो दृश्य देखा उसे शब्दों में वर्णन करना एक कठिन कार्य है। संक्षेप में इतना ही लिखना पर्याप्त है कि इनके बच्चे व पत्नी इन्हे जूते चप्पल मार रहे थे और ये भी पलट वार कर रहे थे।
आज स्थिति यह है कि इन्होंने अपनी सेवा से स्वेच्छा से अवकाश ले लिया है। 3 कमरों का एक घर भी बनाया हुआ है। परन्तु इनकी पत्नी व पुत्र दूसरे शहर में किराये के मकान में रहते हैं और ये उस घर में अकेले रहने को मजबूर है।
कहने का तात्पर्य यह है कि क्रोधी व्यक्ति अकेला ही रह जाता है। घर परिवार वाले भी उसका साथ छोड़ देते हैं।
क्रमशः..................

8 comments:

  1. Kash ki yeh vrittant mere nikat ke bhi ek 'Mahapurush' padh lein, aur shayad unke vyavahar mein bhi kuch sudhar ho ! Aapki ray s purnatah sahmat hun.

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  2. अविश्वास और क्रोध ये दोनों मनुष्य के शत्रु हैं।

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  3. sach hai krodhi vyavhaar apno ko bhee dushman bana detaa hai...shikshaaprad lekh....

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  4. ऐसों का यही अंजाम होना चाहिए

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  5. बात तो सही है किन्तु ये बात क्रोध करने वाला नहीं मानता और अगर मानता भी हो तब भी अपने को सुधारता नहीं है। आशा है इस संस्मरण को पढ़कर क्रोध जैसे शत्रु से बचने का प्रयास सभी पाठक करेंगें। सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार।

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  6. "क्रोधी व्यक्ति अकेला ही रह जाता है!" -

    सत्य वचन!

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  7. bilkul shi kha aapne .krodh krke mnushy apna nuksan to karta hi hai sath hi apno se bhi dur ho jata hai.

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