एक गाँव में एक धनवान व्यक्ति रहता था! लेकिन वह बहुत कंजूस था। रात-दिन वह इन्ही ख्यालों में लगा रहता था कि किस प्रकार उसके धन में बढ़ोत्तरी हो! परन्तु वह इसके लिए कोई उद्यम भी नही करना चाहता था। एक दिन वह सन्त रैदास जी के पास गया और बोला- “महाराज आप तो महाज्ञानी है। कृपया मुझे धन-सम्पत्ति बढ़ाने का उपाय बताइए।” सन्त रैदास ने उसे ध्यान से देख और एक बीज देकर कहा- “देखो यह बीज बहुत ही चमत्कारी है। तुम इसे अपने घर के आँगन में बो देना। तुम्हारे धन में वृद्धि होने लगेगी।” धनवान व्यक्ति सन्त की बात मान कर ने ऐसा ही किया। दो-तीन माह में उस वीज ने एक बेल का रूप ले लिया और उस पर बहुत सारी सेम दिखाई देने लगीं। लेकिन उसकी सम्पत्ति मे बढ़ोत्तरि नही हुई। वह इससे परेशान हो गया और पुनः सन्त रैदास के पास गया। उसने सन्त जी से कहा- “महाराज आपने जो बीज दिया था वह मैंने वो दिया था। अब तो उस पर बहुत सारी फलियाँ भी लगीं हैं परन्तु मेरी सम्पत्ति में तो एक पैसे की भी वृद्धि नही हुई है।” रैदाल बोले- “भाई! तुम नासमझी कर रहे हो। अगर मैं कहता कि इसे भूनकर खा लो, तुम्हारा पेट भर जायेगा, तो यह तो असम्भव ही होता ना। तुमने उस बाज का सही उपयोग किया। अब वही बीज इतने फल दे रहा है कि तुम ही नहीं अन्य लोग भी उसकी सब्जी खा सकते हो। ठीक इसी प्रकार ही तुम्हारे पास जो सम्पत्ति है उसे किसी उद्यम में लगाओ। उसमें वृद्धि होने लगेगी और तुम्हारे साथ बहुत से अन्य लोगों को भी रोजगार मिल जायेगा।” ”बिना उद्यम के सम्पत्ति में वृद्धि का कल्पना करना मूर्खता है। धन का उपयोग सें के बीज की तरह करो! अन्यथा संचित धन धीरे-धीरे नष्ट हो जायेगा!” |
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Sunday, 18 April 2010
“उद्यमेन् हि सिद्धयन्ति” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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सत्य वचन।
ReplyDeleteBadi prerak kahani lagi ,Badhai!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रेरक प्रसंग्।
ReplyDelete”बिना उद्यम के सम्पत्ति में वृद्धि का कल्पना करना मूर्खता है।
ReplyDeleteबहुत सार्थक बात कही है ।
बिल्कुल सही कह रहे हैं -
ReplyDeleteधन का उपयोग बीज की तरह ही करना चाहिए!
बहुत ही सुन्दर और प्रेरक कहानी प्रस्तुत किया है आपने!
ReplyDeleteक्या शब्दों के साथ जादूगरी है ........... बेहतरीन कहानी लिखा आपने.
ReplyDeleteआपको सादर शुभेच्छाएँ, इतनी बढ़िया पोस्ट के लिए। प्रेरक रचनाएँ इस स्तर की कहीं और नहीं देखीं, अब आता रहूँगा।
ReplyDeleteमेरी रुचि थी ब्लॉगिंग में इसलिए आ गया था कुछ प्यार पाने के लिए आप मित्रों की संगति में! आपको अच्छा नही लग रहा है तो अपने को इस नशे से मुक्त कर लूँगा!
ReplyDeleteमै चर्चा मंच और नन्हें सुमन के अतिरिक्त अपने सभी ब्लॉगों से टिप्पणी का विकल्प बन्द कर रहा हूँ!
क्योंकि नन्हें सुमन बच्चों का ब्लॉग है और बच्चों से कोई शत्रुता ऱखता नही है! चर्चा मंच अब मेरा व्यक्तिगत ब्लॉग नही है क्योकि इसमें कई लोग योगदानकर्ता है!
सोनी जी आपका बहुत-बहुत आभार!
प्रेरक कहानी के माध्यम से शास्त्री जी का सदुपदेश!!!!!!
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