♥ छन्द काव्य को स्मरण योग्य बना देता है ♥
♥ रस काव्य की आत्मा है ♥ http://powerofhydro.uchcharan.com/2011/01/blog-post_20.html
बृहस्पतिवार, २० जनवरी २०११ को मैंने उपरोक्त लिंक पर ♥ रस काव्य की आत्मा है ♥ के बारे में प्रकाश डाला था।
आज इस कड़ी में "छन्द" के बारे में लिखने का मन है।
स्वाभाविक सा प्रश्न है छन्द क्या होता है?
जो काव्य के प्रभाव को लययुक्त, संगीतात्मक, सुव्यवस्थित और नियोजित करता है। उसको छन्द कहा जाता है। छन्दबद्ध होकर भाव प्रभावशाली, हृदयग्राही और स्थायी हो जाता है। इसलिए कहा जाता है।
"छन्द काव्य को स्मरण योग्य बना देता है।"
छन्द के प्रत्येक चरण में वर्णों का क्रम अथवा मात्राओं की संख्या निश्चित होती है।
छन्द तीन प्रकार के माने जाते हैं।
१- वर्णिक
२- मात्रिक और
३- मुक्त
वर्णिक छन्द-
वर्णिक वृत्तों के प्रत्येक चरण का निर्माण वर्णों की एक निश्चित संख्या एवं लघु गुरू के क्रम के अनुसार होता है। वर्णिक वृत्तों में अनुष्टुप, द्रुतविलम्बित, मालिनी, शिखरिणी आदि छन्द प्रसिद्ध हैं।
मात्रिक छन्द-
मात्रिक छन्द वे होते हैं जिनकी रचना में चरण की मात्राओं की गणना की जाती है। जैसे दोहा, सोरठा, चौपाई, रोला आदि।
मुक्त छन्द-
हिन्दी में स्वतन्त्ररूप से आज लिखे जा रहे छन्द मुक्तछन्द की परिधि में आते हैं। जिनमें वर्ण या मात्रा का कोई बन्धन नही है।
♥ मात्रा ♥
वर्म के उच्चारण में जो समय लगता है उसे मात्रा कहा जाता है। अ, इ, उ, ऋ के उच्चारण में लगने वाले समय की मात्रा एक गिनी जाती है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ तथा इसके संयुक्त व्यञ्जनों के उच्चारण में जो समय लगता है उसकी दो मात्राएँ गिनी जाती हैं। व्यञ्जन स्वतः उच्चरित नहीं हो सकते हैं। अतः मात्रा गणना स्वरों के आधार पर की जाती है।
मात्रा भेद से वर्ण दो प्रकार के होते हैं।
१- हृस्व और
२- दीर्घ
हृस्व और दीर्घ को पिंगलशास्त्र में क्रमशः लघु और गुरू कहा जाता है।
♥ यति (विराम) ♥
छन्द की एक लय होती है। उसे गति या प्रवाह कहा जाता है। लय का ज्ञान अभ्यास पर निर्भर करता है। छन्दों में विराम के नियम का भी पालन करना चाहिए। अतः छन्द के प्रत्येक चरण में उच्चारण करते समय मध्य या अन्त में जो विराम होता है उसे ही तो यति कहा जाता है।
♥ पाद (चरण) ♥
छन्द में प्रायःचार पंक्तियाँ होती हैं। इसकी प्रत्येक पंक्ति को पाद कहा जाता है और इसी पाद को चरण कहते हैं। पहले और तीसरे चरण को विषम चरण और दूसरे तथा चौथे चरण को सम चरण कहा जाता है। उदाहरण के लिए-
नन्हें-मुन्नों के मन को,
मत ठेस कभी पहुँचाना।
नितप्रति कोमल पौधों पर,
तुम स्नेह-सुधा बरसाना ।।
इस छन्द में चार पंक्तियाँ (चरण) हैं। हर एक पंक्ति चरण या पाद है। आजकल कुछ चार चरण वाले छन्दों को दो चरणों में लिखने की भी प्रथा चल पड़ी है।
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यदि मन हुआ तो आगामी किसी पोस्ट में
अलंकारों पर भी लिखने का प्रयास करूँगा।
बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट. मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला .आभार
ReplyDeleteज्ञान का भण्डार है आपकी यह पोस्ट..आभार.
ReplyDeletebahut kuch seekhane ko milaa.
ReplyDeletei will try to apply this knowledge in my coming posts
thanks
सरस और रोचक शैली में आपने वर्णों के बारे में समझाया है।
ReplyDeleteपर कुछ अधूरा-सा मन भरा है। अभी हमें इनके प्रकार और गणना आदि के बारे में उदाहरण के साथ समझाइए।
@ यदि मन हुआ तो आगामी किसी पोस्ट में अलंकारों पर भी लिखने का प्रयास करूँगा।
मन जल्दी से बनाइए। यही निवेदन है।
काव्य शास्त्रीय रंग में रंगी शास्त्री जी की ज्ञानवर्धक पोस्ट
ReplyDelete'छंद काव्य को स्मरण योग्य बना देता हे ' बेहद खूब सुरत पोस्ट लगी --बचपन याद करवा दिया धन्यवाद |शास्त्री जी!
ReplyDeletejaankaari dene ke liye shukriyaa!!
ReplyDeleteबहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट. मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला……………मनोज जी का कहना सही है उदाहरण के साथ समझायेंगे तो और अच्छा रहेगा…………हम जैसे मूढ जल्दी समझ सकेंगे।
ReplyDeleteSach! Bahut kuchh seekhne ko mila!
ReplyDeleteबहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी, आभार.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी है। उदाहरण की पँक्तिओं मे चौथी पाँक्ति मे शायद एक मात्रा टाईप करने से रह गयी है। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपको जन्मदिन पर ढेरों शुभकामनायें
ReplyDeleteसरस और रोचक शैली में आपने वर्णों के बारे में समझाया है।
आदरणीय शास्त्री जी जन्म दिन की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ|
ReplyDeleteदुनिया के सबसे पुराने पद्य के छंदों पर आप के द्वारा की जा रही यह चर्चा सहज ही वन्दनीय है|
सादर प्रणाम|
आद. मयंक जी,
ReplyDeleteछंद के बारे में विस्तृत और उपयोगी जानकारी हेतु आभार !
आदरणीय गुरु जी को जन्मदिन पर गुफ्तगू की ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाये और बधाई.
ReplyDeletebahut kaam kee jaanakaari... dhnyvaad........... aur janm din par shubhkaamnayen...
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ReplyDeleteअशुद्ध लिखा था अतः मिटा दिया |छंद की जानकारी
ReplyDeleteके लिए बहुत आभारी हूँ |इसी प्रकार ज्ञान वर्धन
करते रहें |जन्म दिन शुभ और मंगलमय हो |
आशा
bahut kaam kee jaanakaari... dhnyvaad........... aur janm din par shubhkaamnayen...
ReplyDeleteमयंक जी, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
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ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
बहुत अच्छी जानकारी । आजकल कवि भी छंद में ही लिखना और सुनाना पसंद करते हैं ।
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें शास्त्री जी ।
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteनमस्कार ..............
ReplyDeleteज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
जन्म दिन कब था ये तो नहीं जानती पर आज आपको जन्मदिन की शुभ कामनाएं !
आपका स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहें !
शुक्रिया !
मयंक जी, आपका भेजा बालगीत संग्रह नन्हे सुमन मिला, आभार।
ReplyDeleteबालमन को आपने कविताओं में बहुत ही सुंदर ढंग से निरूपित किया है। बहुत बहुत बधाई।
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पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
namaskar.
ReplyDeletechhand ke bare me upyogi jankari.
Cchanda ke vina sab svacchanda hai.....................bahut gyanvarddhak post hai........aabhaar
ReplyDeleteएक निवेदन.......सहयोग की आशा के साथ....
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।