आज सुनिए! अर्चना चावजी के मधुर स्वर में! मेरा यह नवगीत- पंक में खिला कमल, किन्तु है अमल-धवल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! डण्ठलों के साथ-साथ, तैरते हैं पात-पात, रश्मियाँ सँवारतीं , प्रसून का सुवर्ण-गात, देखकर अनूप-रूप को, गया हृदय मचल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! पंक के सुमन में ही, सरस्वती विराजती, श्वेत कमल पुष्प को, ही शारदे निहारती, पूजता रहूँगा मैं, सदा-सदा चरण-कमल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |

वाह वाह ………………बेहद सुन्दर आवाज़ है अर्चना जी की और उनकी आवाज़ ने गीत को चार चाँद लगा दिये क्युँकि गीत पहले ही इतना सुन्दर था।
ReplyDeleteमधुर आवाज अर्चना जी की. सुन्दर शब्दों और भावों की रचना
ReplyDeleteवाह , वाह , शास्त्री जी -जितना सुन्दर गीत , उतना ही सुन्दर स्वर अर्चना जी का ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा सुनकर ।
आभार ।
waah !
ReplyDeletejitne sundar shabd
utna hi sureela swar.............
badhaai !
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसे 11.07.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
वाह वाह जी बहुत मधुर आवाज बिलकुल कोयल सी, ओर सव्द भी बिलकुल साफ़. धन्यवाद
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद, आवाज पसन्द करने के लिए...और शास्त्री जी का आभार ! मौका और इतना सम्मान देने के लिए.................
ReplyDeleteबहूत खूब
ReplyDeleteवाह ,शास्त्री जी बहुत बढ़िया .....
ReplyDeleteएक ही शब्द है अनुपमेय..
ReplyDeleteसुन्दर मधुर आवाज । अर्चना जी और आपको बधाई
ReplyDeleteजितना शानदार गीत, उतनी सुंदर प्रस्तुति।
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पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।
bahut sundar rachna. bahut sundar shabd chayan. aabhaar.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
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